उत्तराखंड को अब चेत जाना चाहिए, एक तरफ देवभूमिवाले जिहादियों से खौफ खा रहे है। हर तरफ उनकी भूमि, बेटियों पर बुरी नज़र रखी जा रहींहै। वहीं दूसरी और वीरो की भूमि के युवा हताश होकर आत्महत्या कर रहे है।
अग्निवीर परीक्षा में फेल होने पर आत्महत्या जैसा कदम उठाने वाले इस युवा के कितने हत्यारे है? पैठाणी के कमलेश ने अपना वीडियो बनाया सबको बताया कि वह आत्महत्या क्यों कर रहा है ?
इस युवा के सपनो को पंख लगने से पहले ही वह गिर गया। क्या किसीने उसे ये बताने की कोशिश की ,ये अग्निवीर का इम्तिहान ही पास करना उसका जीवन नही है। क्या भर्ती किये जानेवाले संगठनों ने इस बात को जानने की कोशिश कि इतने अच्छे अंक लाने वाला एन सीसी का कैडेट फेल क्यों हो गया?
क्या, भर्ती के स्थानों पर युवाओं के लिये केरियर कॉउंसलिंग की व्यवस्था नही होनी चाहिए थी?
क्या ,भर्ती से पूर्व केंद्र और राज्यो सरकारों को अलर्ट नही रहना चाहिए, क्योंकि जिन युवाओं को उन्होंने अग्निवीर परीक्षा के लिये आमंत्रित किया है वो अभी स्कूलों से निकले कोमल मन के युवा भी है?
कमलेश का यूं जीवन का त्याग करना उसके माँ बाप ही ही नही बल्कि पूरे प्रदेश के लिये सवाल पैदा कर रहा है। कैसी व्यवस्था है, कैसा तंत्र है और कैसा माहौल देवभूमि में पैदा हो रहा है? यह सोचनीय है।
युवाओं को बताया जाए अपने जीवन के लक्ष्य को एक स्थान तक सीमित न रखे, अनेको रास्तों पर नज़र भी रखे, साहस कभी न छोड़े, धैर्य धारण करे, सबसे बड़ी बात अपने लोक संस्कृति और धर्म को कभी न भूलें।
परंतु ये बाते उन्हें बतानी होंगी , कुछ राह बनानी होगी तभी अपने युवाओं को बचाया जा सकेगा इस तनाव से।
युवाओं को भी अपने मन बदलने होंगे, समय की धारा में चलना होगा। किसी भी परिस्तिथि में आत्महत्या जैसा कदम ना उठाये, अपने माता पिता से अपना दर्द साझा करे, सदैव उनको ध्यान रखे जो उनसे भी निम्न परिस्थितियों में जी रहे है।
कमलेश गोस्वामी को श्रद्धांजलि है। परंतु तुम वास्तव में वीर थे यह दिखाना था। कठिनाइयों को बार बार हराना था। तुम्हे मरना नही था, जीना था।
एक टिप्पणी भेजें