ऋषिकेश:
समाज कल्याण विभाग द्वारा 60 वर्ष की आयु से अधिक निराश्रित वृद्धजनों को उनके भरण पोषण के लिए वृद्धा पेंशन दिए जाने का प्रावधान है। जिसमें बुढ़ापे में उनको आर्थिक सहारा मिल सके। लेकिन सरकारी मानक इतने कड़े हैं कि बुजुर्ग की शेष बची आयु पंचायत से लेकर ब्लाक के दफ्तरों के चक्कर काटने में ही बीत रही है।
सरकारी नियम के मुताबिक पेंशन पाने के लिए आवेदक बीपीएल परिवार का हो X उसकी मसिक आय चार हजार रुपये से अधिक न हो। आवेदक का कोई पुत्र या पौत्र 20 वर्ष से अधिक आयु का नहीं होना चाहिए। यदि हो तो उनको गरीबी रेखा (बीपीएल) के नीचे का होना जरूरी है। खास बात यह है कि समाज कल्याण विभाग बीपीएल सूची के आधार पर आवेदन स्वीकार नहीं करता है। वहीं दूसरी तरफ चार हजार का आय प्रमाण पत्र बनाने के लिए आवेदक को तहसील के चक्कर काटने पड़ते हैं। गौहरीमाफी के ग्राम प्रधान रोहित नौटियाल ने बताया कि कहने को सरकार ने पति व पत्नी दोनों के लिए वृद्धा पेंशन देने का प्रावधान किया है लेकिन अव्यहारिक मानक के चलते एक की पेंशन भी लगना संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि जरूरतमंद उनके पास आकर पेंशन लगवाने की गुहार करते हैं। सभी के फार्म भी जमा कराए जा रहे हैं, लेकिन समाज कल्याण विभाग उनको अस्वीकृत कर देता है। पहले आवेदक की ओर से निराश्रित होने पर शपथ पत्र देने की व्यवस्था थी, लेकिन नए मानक में यह व्यवस्था भी खत्म कर दी गयी है। वहीं तहसील प्रशासन छ: हजार रूपये से कम का आय प्रमाण पत्र किसी को भी बनाकर नहीं देता, ऐसे में जरूरतमंदों को पेंशन नहीं मिल पा रही है। ग्राम प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष ने कहा कि
पेंशन का मानक पूरी तरह अव्यहारिक है। इसको ठीक करने की जरूरत है। वर्तमान मानक की वजह से पूरे जिले में जरुरतमंद वृद्ध न केवल परेशान हैं बल्कि किसी की भी पेंशन स्वीकृत नहीं हो पा रही है। इस व्यवस्था से प्रधानों में रोष है। मंत्रियों से लेकर मुख्यमंत्री, विभागीय अधिकारियों को ज्ञापन दिए जा चुके हैं। अब आंदोलन ही एकमात्र रास्ता बचा है।
एक टिप्पणी भेजें