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भारत सरकार में केन्द्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट ने भारतीय राष्ट्रीय गान के रचेयता तथा एशिया के प्रथम नॉबेल पुरस्कार से सम्मानित युगदृष्टा गुरूदेव रबिन्द्र नाथ टैगोर की 161 वीं जयन्ती पर उत्तराखंडवासियों को बधाई देते हुए कहा कि इस वर्ष गुरुदेव की कर्मभूमि रहे रामगढ़ ( नैनीताल ) में शांतिनिकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालया के तत्वाधान में आयोजित हो रहा गुरूदेव का जन्मोत्सव कार्यक्रम ऐतिहासिक होगा,  क्योंकि इस अवसर पर रामगढ में विश्व भारती केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रथम परिसर का भूमि पूजन किया जा रहा है । यह भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी  की ओर से उत्तराखंड को विशेष और अनुपम सौगात है।


केंद्रीय मंत्री श्री भट्ट ने बताया कि रामगढ़ क्षेत्र के टैगोर टॉप स्थित गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कर्म स्थली जहां उन्होंने 19वीं शताब्दी में 5 बार यहां प्रस्थान कर अपनी चर्चित कविता संग्रह शिशु सहित गीतांजलि के कुछ भागों की रचना की। जिसके लिए उन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला जो किसी एशियाई को पहला नोबेल पुरस्कार था। उन्होंने बताया कि विश्व भारतीय केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी हैं और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी रामगढ़ में रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के परिसर की स्थापना में अपनी रुचि व्यक्त की है जो कि उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है।



श्री भट्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी की इस सौगात से जहां विस्वभारती केंद्रीय विश्वविद्यालय उत्तराखंड को भारत के प्रमुख शिक्षा केन्द्र के रूप में स्थापित होने का अवसर प्राप्त होगा । वहीं स्थानीय युवाओं के लिए स्वरोजगार के नये अवसर उपलब्ध होंगे, तथा यह राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों एवं शोधार्थियों के लिए भी नया गंतव्य बनेगा।


लोकसभा सदन में भी विश्व भारती केंद्रीय विश्वविद्यालय की आवाज उठाने वाले केंद्रीय मंत्री श्री भट्ट ने बताया कि रामगढ़ में गुरुदेव के निकेतन स्थापना के सपने को साकार करने के लिए उनके द्वारा संसद एवं माननीय प्रधानमंत्री जी सहित विभिन्न महत्वपूर्ण माध्यमों में ध्यान आकर्षित किया गया । उन्होंने इसके लिए पूर्व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री डॉ ० रमेश पोखरियाल निशंक ' के प्रयासों की अथक करते हुए कहा कि उनकी ही परिणाम है कि उनके अकादमिक और साहित्यिक पृष्ठभूमि तथा मार्गदर्शन में ही विश्व भारती ने अपने प्रथम परिसर सराहना  प्रयासों का की स्थापना के लिए गुरुदेव की कर्मभूमि रामगढ़ नैनीताल , जहाँ उन्होंने अपने कालजयी ग्रंथ गीतांजली की रचना की का चयन कर उत्तराखंड को देश के शिक्षा जगत का महत्वपूर्ण केंद्र बनाने का निर्णय लिया । 



उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के पार्श्व में उत्तराखंड की संभ्रात जनता सामाजिक संगठनों तथा राजनैतिक दलों ने आगे बढ़कर अपना योगदान दिया जिसमें गुरुदेव के वसुधैव कुटुम्बकम का दर्शन परिलक्षित होता है । उन्होंने कहा कि विश्व भारती की स्थापना के लिए प्रथम चरण में 150 करोड़ रूपये की डी ० पी ० आर ० केन्द्र सरकार में स्वीकृति की प्रक्रिया में है जोकि भूमि के हस्तांतरण न हो पाने के कारण लम्बित हो रही थी । 



अब उत्तराखंड सरकार द्वारा 45 एकड़ भूमि के हस्तांतरण से उसके शीघ्र निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है । श्री भट्ट ने उद्यान विभाग की 45 एकड़ भूमि का हस्तांतरण वि विश्व भारती को करने के लिए उत्तराखंड के कृषि मंत्री श्री गणेश जोशी का भी आभार जताया । इस अवसर पर श्री भट्ट ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान का उनके द्वारा रामगढ़ में विश्व भारती केंद्रीय विश्वविद्यालय के परिसर की स्थापना के लिए हर संभव वित्तीय सहायता उपलब्ध कराये जाने के लिए दिए आश्वासन के लिए आभार ज्ञापित करते हुए प्रो ० विदयुत चक्रवर्ती , कुलपति विस्वभारती पश्चिम बंगाल तथा शांतिनिकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालया के प्रन्यासियों का भी धन्यवाद ज्ञापित किया और उम्मीद जताई कि नये शिक्षा सत्र से इस नये परिसर में स्थानीय प्राकृतिक एवं ग्रामीण संसाधनों एवं संभावनाओं पर आधारित विषयों का पठन - पाठन प्रारंभ होगा ।

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