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 डोईवाला में कांग्रेस से टिकट दिए जाने की चर्चा मात्र से ही डोईवाला कांग्रेस कार्यकर्ताओं में विरोध के स्वर आने शुरू हो गए हैं।



डोईवाला एक वीआईपी विधानसभा सीट रही है। पहले निशंक और बाद में लगातार त्रिवेन्द्र सिंह रावत के डोईवाला से चुनाव लड़ने और जीतने और इसके बाद सीएम की कुर्सी मिल जाना महज संयोग  माना जा सकता है। परंतु डोईवाला क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण संस्थाओं का होना और यहां की जनता का अपार समर्थन ही इसे विशेष बनाता है।

भाजपा की भांति इस बार कांग्रेस में भी डोईवाला सीट के लिये स्थानीय व्यक्ति को टिकट दिये जाने  की मांग की जा रही है।  परंतु हरक सिंह रावत के द्वारा डोईवाला का टिकट मांगे जाने को लेकर स्थानीय नेताओं की त्योंरिया चढ़ गई।

इसी पर कांग्रेस विधायक एसपी सिंह   ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि यदि स्थानीय को टिकट नहीं दिया गया तो वह कुछ ऐसा करेंगे जिससे कि कांग्रेस को शर्मिंदगी उठानी पड़ जाएगी। यहां तक कि उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि जो नेता बाहर से आकर डोईवाला में चुनाव लड़ना चाहते हैं वह पहले अपने चरित्र पर नजर डालें।


डोईवाला में स्थानीय स्तर पर मोहित उनियाल, गौरव चौधरी ,हेमा पुरोहित और अन्य भी टिकट की आस लगाए बैठे हैं.पूर्व विधायक डोईवाला हीरा सिंह बिष्ट इस बार डोईवाला के बजाय रायपुर से किस्मत आजमा सकते है।

 ऐसे में हरक सिंह रावत को डोईवाला का टिकट दिए जाने का विरोध होगा.

उधर चर्चा है कि कांग्रेस  हरक सिंह रावत को 02 टिकट देने के मूड में नही है।

पहली बात तो अभी तक कांग्रेस ने उनके लिए अपने दरवाजे नहीं खोले हैं फिर भी उन्हें यदि कांग्रेस में आना है तो टिकट नहीं दिया जाएगा और उन्हें कांग्रेस की सेवा कर अपनी योग्यता साबित करनी होगी.

कुल मिलाकर दल बदलने से हरक सिंह रावत को नुकसान ही नुकसान हुआ है . 


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