एचआईएचटी में जल जीवन मिशन प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय जॉलीग्रांट में 1500 किलोवॉट के रूफ टॉप सोलर प्लांट स्थापित
डोईवाला :
हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) की ओर से जल जीवन मिशन के तहत पब्लिक हेल्थ इंजीनियर के़ प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हो गया। को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस दौरान प्रतिभागियों को पेयजल हेतु डिजिटल एवं अभिनव तकनीक से प्रशिक्षित किया गया।
नर्सिंग सभागार में चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुये जल शक्ति मंत्रालय के पैनल एक्सपर्ट गंभीर सिंह ने प्रतिभागियों इंजीनियर्स को डिजिटल एवं अभिनव तकनीक का इस्तेमाल पेयजल आपूर्ति, गुणवत्ता, रख-रखाव, सामुदायिक जागरुकता एवं जनसहभागिता के विषय में बताया। उन्होंने जल जनित एवं अशुद्ध् पेयजल के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानकारी दी और शुद्ध् जल की आपूर्ति पर बल दिया। पैनल एक्सपर्ट एचपी उनियाल ने जल जीवन मिशन कार्यक्रम की रूपरेखा, उद्देश्यों एवं इंजीनियर्स की भूमिका को स्पष्ट किया। उन्होंने उपलब्ध तकनीक के प्रयोग की जानकारी के साथ ही नवीनतम तकनीक इजाद करने की बात कही। आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर प्रदीप कुमार, राज्य योजना आयोग उत्तराखंड के तकनीकी सलाहकार एके. त्यागी, राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के सलाहकार वीके सिन्हा ने प्रतिभागी इंजीनियर्स को ग्रामीण जलापूर्ति स्कीम एवं स्वच्छता, इनोवेटिव तकनीक के लिए प्रयोजन करना, जल स्रोत से दोहन एवं ट्रीटमंेट हेतु नवीनतम तकनीक के उपाय, पानी के शुद्ध्किरण एवं गुणवत्ता हेतु उपलब्ध तकनीक, समावेषन एवं प्रयोग के द्वारा पानी का ट्रीटमेंट, इनोवेटिव फिल्ट्रेशन तकनीक, रिवर बैंक फिल्ट्रेशन के विषय में जानकारी दी। इस दौरान प्रतिभगियों को वास्तविक तकनीक अनुप्रयोग हेतु हरिद्वार, रायवाला में स्थापित संयत्रों को स्थलीय निरीक्षण कराया गया। एचआईएचटी में वाटर एंड सैनिटेशन (वाटसन) विभाग के इंचार्ज नितेश कौशिक ने बताया की केआरसी (की रिसोर्स सेंटर) के रुप में एचआईएचटी में गढ़वाल मंडल सात जिलों से उत्तराखंड जल संस्थान व पेयजल निगम के 30 पब्लिक हेल्थ इंजीनियर को प्रशिक्षण दिया गया है। इस प्रशिक्षण शिविर में उन्हें ‘हर घर जल’ योजना के तहत नियोजन, संचालन व रखरखाव की बारीकी से जानकारी दी जा रही है
*राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर विशेष (मंगलवार, 14 दिंसबर)*
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय जॉलीग्रांट में 1500 किलोवॉट के रूफ टॉप सोलर प्लांट स्थापित
ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में भी स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) की प्रयोजित संस्था हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) स्वास्थ्य व शिक्षा की संगम स्थली के रुप में पहचान कायम कर चुका है। इसी कड़ी में एसआरएचयू ऊर्जा संरक्षण में भी योगदान कर राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन महामारी के पूर्व के स्तर तक पहुंचने के करीब है। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जॉलीग्रांट के कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि इसका प्रमुख कारण है बड़े संस्थानों में बिजली की खपत में बेइंतहा वृद्धि। बिजली की खपत को कम करने के लिए सौर ऊर्जा सबसे बेहतरीन विकल्प है। सूर्य हमेशा से ऊर्जा का सबसे भरोसेमंद स्रोत रहा है।
*साल 2007 में बढ़ाया पहला कदम*
कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि सौर ऊर्जा के महत्व को हम समझते हैं। इसके लिए संस्थान में विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है। भविष्य की जरूरत को समझते हुए ऊर्जा संरक्षण की ओर हमने साल 2007 में पहला कदम बढ़ाया था। तब हिमालयन हॉस्पिटल, कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट सहित सभी हॉस्टल में सोलर वाटर हीटर पैनल लगाए गए थे।
*साल 2017 में लगाया पहला 500 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर पैनल*
कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि साल 2017 में राष्ट्रीय सौर मिशन से जुड़ने का फैसला किया। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में योगदान की व्यापक योजना बनाई। साल 2017 में हिमालयी राज्यों में रूफ टॉप सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए सरकार की ओर से प्रदान की जा रही 70 फीसदी सब्सिडी को देखते हुए सोलर पैनल लगाने का फैसला लिया। नर्सिंग और मेडिकल कॉलेज में 500 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर पैनल लगाए।
*68,51,600 किलोवॉट (यूनिट) बिजली की बचत*
कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि 2017 से अब तक विश्वविद्यालय कैंपस स्थित विभिन्न भवनों की छतों में 1500 किलोवॉट का सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं। इससे अब तक एसआरएचयू 68,51,660 किलोवॉट (यूनिट) बिजली की बचत कर चुका है।
*40 फीसदी बिजली की जरूरत सौर ऊर्जा से कर रहे पूरा*
इलेक्ट्रिकल व मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग प्रभारी गिरीश उनियाल ने बताया कि संस्थान में ऊर्जा मांग के अनुसार 3500 किलोवॉट का बिजली संयंत्र लगाया गया है। अब करीब 1500 किलोवॉट रुफ टॉप सोलर पैनल की मदद से संस्थान बिजली की 40 फीसदी मांग सौर ऊर्जा से पूरा कर रहा है।
*सोलर पैनल को अपनाने की अपील*
कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण के लिए सभी नागरिकों से सजग भूमिका निभानी होगी। आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग से आम जनजीवन को बड़ा खतरा होने वाला है। इसलिए अभी से प्राकृतिक ऊर्जा पर निर्भर रहने की आदत डालनी होगी। प्रकृति के संरक्षण के लिए ऊर्जा का संरक्षण जरूरी है।
*सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से पहाड़ों में पहुंचाया पानी*
कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि सौर ऊर्जा का इस्तेमाल हमने पहाड़ों के दुरस्थ गांवों में पानी पहुंचाने के लिए भी किया है। साल 2014 में टिहरी के चंबा में ग्राम चुरेड़धार में सोलर पंपिंग प्लांट के जरिये गांव में पानी पहुंचाया। इसकी मदद से 23 यूनिट बिजली रोजाना के हिसाब से गांव के करीब 43 हजार रुपये सलाना बचत हुई। इसके अलावा पौड़ी के तीन व हरिद्वार के एक गांव में सोलर पंपिंग योजना पर काम जारी है।
*करीब 1455 टन कार्बन उत्सर्जन की कमी*
कुलपति डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के खतरे दिखने लगे हैं। इसका बड़ा कारण है कार्बन उत्सर्जन। एसआरएचूय में 1500 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर पैनल की मदद से 1455 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। उत्तराखंड के किसी भी संस्थान की तुलना में यह एक रिकॉर्ड है।
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