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ऋषिकेश:



रेड राइडर्स साइकिल क्लब के प्रयासों से अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान ऋषिकेश की नेत्रदान डिपार्टमेंट की डा० निती गुप्ता व उनकी टीम द्वारा शुक्रवार को  एक कार्यशाला का आयोजन किया गया ।जिसमें मुख्य अतिथि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य जयेन्द्र रमोला व विशिष्ट अतिथि पार्षद राकेश मिंया व पार्षद शकुन्तला शर्मा ने संयुक्त रूप कार्यक्रम का शुभारंभ किया ।


आखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य जयेन्द्र रमोला ने कहा कि एम्स ऋषिकेश का एक अच्छा प्रयास है । इस कार्यशाला से आम जन में जागरूकता आयेगी । रमोला ने बताया कि नेत्रदान में एक व्‍यक्ति अपनी मृत्‍यु के बाद अपनी आंखें दान करने का वचन देता है। भारत में, लाखों लोगों को दोबारा अपनी आंखों की रोशनी हासिल करने के लिए कॉर्नियल ट्रांसप्‍लांट की जरूरत है। दुर्भाग्‍य से 10 प्रतिशत से भी कम लोगों को इसका लाभ मिल पाता है । बहुत सारे लोगों को दृष्टिहीन रहना पड़ता है। एक अनुमान के मुताबिक  भारत में 1.2 करोड़ लोग कॉर्नियल ट्रांसप्‍लांट के लिए इंतजार कर रहे हैं। भारत में नेत्रदान को बढ़ाने की जरूरत के बारे में जन जागरूकता फैलाने के लिए गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और निजी संस्‍थानों द्वारा काफी प्रयास किए गए हैं। अभी भी दान का आंकड़ा बहुत कम बना हुआ है। मृत्‍यु पश्‍चात नेत्रदान में संकोच का कारण प्रक्रिया के बारे में कम जागरूकता के साथ-साथ अंधविश्‍वास है । जो अंग दान के बारे में कम जानकारी की कमी से उत्‍पन्‍न होता है । आगे भी भविष्य में हम ऐसी कार्यशाला ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में एम्स के माध्यम से लगवाने का काम करेंगे ।


वरिष्ठ नेत्र सर्जन डा० निती गुप्ता ने बताया कि नेत्रदान के प्रति समुदाय में जागरूकता पैदा करने के लिए भारत में हर साल नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है, भारत में लगभग 3 से 4 मिलियन कॉर्नियल ब्लाइंड लोग हैं जो कॉर्नियल ट्रांसप्लांट की प्रतीक्षा कर रहे हैं और इसमें हर साल 20 से 30 हजार कॉर्नियल ब्लाइंड जुड़ते हैं, कॉर्नियल ब्लाइंडनेस का इलाज केवल मृत्यु के बाद दान किए गए कॉर्निया का उपयोग करके कॉर्नियल ट्रांसप्लांट द्वारा किया जा सकता है।इसमें उम्र, लिंग, रक्त समूह या धर्म के बावजूद कोई भी दाता हो सकता है। मोतियाबिंद या चश्मा वाला कोई भी व्यक्ति या नेत्र शल्य चिकित्सा के बाद अपनी आंख दान कर सकता है।  यदि मृतक ने नेत्रदान का वचन न दिया हो तो भी नेत्रदान किया जा सकता है।डा० नीति ने बताया कि मृत्यु के 6 से 8 घंटे के भीतर आंखें निकाल देनी चाहिए। प्रक्रिया में केवल 15 से 20 मिनट लगते हैं और मृतक का चेहरा विकृत नहीं होता है।इसलिये इस तरह की भ्रांतियों को दूर करने की आवश्यकता है ।

अंत में रक्त दान को प्रेरित करने के लिये गोपाल नारंग, आर के पंथ व महेश भाटिया को सम्मानित किया गया ।


कार्यक्रम में पार्षद राकेश मिंया, पार्षद शकुंतला शर्मा, एम्स के वरिष्ठ गैस्ट्रो फ़िज़िशियन डा० रोहित गुप्ता, डा० चित्र सिंह, आरपी रतूड़ी, पीजी डा० काव्या, डा० सुनीता, बिंदिया, नीरज शर्मा, मनीष मिश्रा, गोपाल नारंग, आर के पंथ, बिक्रम शेडगे, सरदार बूटा सिंह, नरेन्द्र कुकरेजा, सुनील प्रभाकर, गोपाल नारंग, ज्योति शर्मा, प्रदीप दुबे, राजेश नौटियाल, दिग्विजय कैंतुरा, बुद्धि रावत, विपिन शर्मा, सरोजिनी थपलियाल, यश अरोड़ा, हिमांशु जाटव, आदित्य झा  में लोग मौजूद रहे ।

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