उत्तरकाशी:
ग्राम सभा उत्तरों में उत्तरकाशी में प्रति वर्ष की भांति इस बार भी 16 एवं 17 जुलाई को हरेला पर्व के अवसर पर नाग देवता का मेला सम्पन्न हुआ। उत्तराखंड ,देवभूमि में विभिन्न प्रकार के किसी न किसी सांस्कृतिक मेलों का आयोजन वर्षभर होता रहता है। यही मेले देवभूमि की पहचान है। यही नही स्थानीय लोगों के साथ साथ पर्यटक भी इसका लुत्फ उठाते है।
नाग समिति का कहना है कि यदि पर्यटन विभाग चाहे तो नाग मेले जैसे आयोजनों को कार्निवाल का रूप देकर पर्यटन के रूप में विकसित कर सकते है, और इससे ना केवल स्थानीय लोगों को रोजगात भी ।मिलेगा अपितु उत्तराखंड की संस्कृति की रक्षा भी होगी।
लुप्त होती संस्कृति को बचाने के लिये नाग मेले में आज भी सुदूर खूबसूरत बुग्यालों से पुष्प चुनकर नाग देवता और हमियार देवता को चढ़ाए जातें है। नाच गाकर लोग देवताओं को प्रसन्न करते है। ताकि वो गांव पर सदैव अपनी कृपा बनाये रखे और उनकी सुरक्षा भी करे।
इस अवसर पर नाग देवता समिति के अध्यक्ष श्री प्रीतम सिंह मख्लोगा ,ग्राम प्रधान धर्मवीर सिंह पवार, क्षेत्र पंचायत सदस्य नीलम राणा और समस्त ग्रामीण उपस्थित थे।
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