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ऋषिकेश:

उत्तम सिंह



तहसील ऋषिकेश  क्षेत्रान्तर्गत रायवाला के गौहरीमाफी  में सौंग नदी में आने वाली बाढ़ नेताओं व अधिकारियों  के लिए किस तरह सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बन गई है।  सौंग नदी की  बाढ़ के कहर को प्रतिवर्ष झेल रहे स्थानीय निवासियों के दर्द व संकट  के साथ खिलवाड़ कर रहे नेताओं, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों  पर तंज कसते हुऐ स्थानीय निवासी व अधिवक्ता देवेंद्र सेमवाल ने मीडिया के साथ सांझा की है। उन्होंने बताया कि गौहरीमाफी पिछले कई वर्षों से सांग नदी की बाढ़ का दंश झेल रहा है। बाढ़ से उनके खेत खलिहान व फसल बर्बाद हो रही है । घर आंगन डूब जाते है। बरसात के दिनों में सौंग नदी में आने वाली बाढ़ से कई बार उनका गांव  देश के शेष हिस्से से सम्पर्क तक कट जाता है। यहाँ  बसे लोग बरसात के दिनों में अपने ही घर पर बंधक बनाकर रहने को विवश रहते है। प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़  से निजात दिलाने के नाम पर स्थानीय जनप्रतिनिधि कोरी घोषणाएं कर जनता के भरोसे के साथ खिलवाड़ कर रहे है। वे स्थाई बाढ़ सुरक्षा के बजाय अस्थाई सुरक्षा इंतजाम कर कर्तव्य की इतिश्री कर रहे है। फिर स्थानीय ठेकेदार भी इस प्रकार के अस्थाई सुरक्षा कार्य मे ज्यादा रुचि रखते है। रुचि रखे भी क्यों नही। क्योंकि अस्थाई बाढ़ सुरक्षा कार्य बरसात में आने वाली बाढ़ के साथ बहकर नष्ट हो जाते है। उन्हें फिर प्रतिवर्ष  वाली बाढ़ के सुरक्षा कार्य सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की भांति प्राप्त हो जाता है। अधिवक्ता व स्थानीय निवासी देवेंद्र सेमवाल का कहना है कि प्रतिवर्ष अस्थाई बाढ़ सुरक्षा कार्य के नाम पर करोड़ों रुपये के सरकारी धन से बनने वाली अस्थाई सुरक्षा दीवार बाढ़ के बहाव में भरभराकर बहने से  ग्रामीणों में  दहशत फैल जाती है। वही स्थाई निर्माण कार्य कराने चाहिये  ताकि गांव के लोगों को दीर्घकालिक राहत मिल सके। उनका मानना है कि ऐसा होना असंभव है क्योंकि कोई भी जनप्रिनिधि सोने का अंडा देने वाली  मुर्गी खोना नही चाहता है। स्थाई बाढ़ सुरक्षा दिवार के निर्माण से सोने का अंडा देने वाली मुर्गी उनके हाथ से निकल जायेगी।

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