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 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र के नाम संबोधन-

कोरोना की दूसरी लहर से हम भारतवासी की लड़ाई दुनिया के अनेक देशों की तरह भारत भी इस लड़ाई के दौरान बहुत बड़ी पीड़ा से गुजरा है। हम  में से कई लोगों ने अपने परिजनों को अपने परिचितों को खोया है।  ऐसे सभी परिवारों के साथ उन्होंने संवेदना व्यक्त की।  उन्होंने कहा बीते 100 वर्षों में यह सबसे बड़ी त्रासदी है इस तरह की महामारी आधुनिक विश्व में ना देखी थी ना अनुभव की थी । इतनी बड़ी वैश्विक महामारी से हमारा देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा है । 

बीते 100 सालों में नया हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है दूसरी लहर के दौरान अप्रैल मई के महीने में भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ी है।  भारत के इतिहास में कभी भी इतनी मात्रा में मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत कभी पड़ी ही नहीं है  । इस जरूरत को पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया गया  । बहुत ही कम समय में मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन में और वितरण में बढ़ोतरी की गयी है ।

जरूरी दवाओं के प्रोडक्शन को कई गुना बढ़ाया गया  । विदेशों में जहां भी दवाइयां उपलब्ध वहां से उन्हें लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई ।

कोरोना जैसे  अदृश्य रूप बदलने वाले दुश्मन  के खिलाफ लड़ाई में सबसे प्रभावी हथियार कोविड-19 प्रोटोकॉल   है । मास्क सामाजिक दूरी और   सावधानियां उसका पालन ही इस लड़ाई में वैक्सीन हमारे लिए सुरक्षा कवच का काम करेगी । 

उन्होंने कहा आज पूरे विश्व में वैक्सीन  के लिए जो मांग है उसकी तुलना में उत्पादन करने वाले देश  कम  है। कल्पना कीजिए कि हमारे पास भारत में बनी वैक्सीन  नहीं होती तो भारत जैसे विशाल देश में क्या होता ? इसलिए पिछले 50 -60   का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन  प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे। 

टीकाकरण पूरा हो जाता था तब तक भी भारत में शुरू नहीं होता था। पोलियो  ,स्मॉल पॉक्स ,हेपेटाइटिस बी, चेचक आदि  वैक्सीन के लिए देशवासियों ने 10 साल तक इंतजार किया था । जब 2014 में देश का सेवा का अवसर दिया तो भारत में  सिर्फ 60% के आसपास था। 

 जिस रफ्तार से टीकाकरण कार्यक्रम चल रहा था । उस रफ्तार से देश को शत-प्रतिशत टीकाकरण का कवरेज करने में 30 साल लग जाते।  हमने समस्या के समाधान के लिए मिशन इंद्रधनुष को लांच किया। परिणामस्वरूप  वैक्सीनेशन कवरेज 60% से बढ़ाकर 90% से भी ज्यादा हो गई.

हमारे देश के बच्चों की गरीब लोगों  के लिए हम शत-प्रतिशत टीकाकरण की ओर बढ़ रहे थे कि कोरोनावायरस में हमें घेर लिया. दुनिया के सामने भारत किस प्रकार इतनी बड़ी आबादी को बचा पाएगा ? यह सवाल था। नीति स्पष्ट नीति साफ होने पर भारत में 1 साल के भीतर  एक ही नहीं दो मेड इन इंडिया वैक्सीन लॉन्च की । 

हमारे देश में देश के वैज्ञानिकों ने यह दिखा दिया कि भारत बड़े-बड़े देशों से पीछे नहीं है । आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं तो देश में 23 करोड़ से ज्यादा कोरोना वैक्सीन की  की डोज दी जा चुकी है। 

हमारे यहां कहा जाता है विश्वास -सिद्धि अर्थात हमारे प्रयास में हमें सफलता तब मिलती है । जब हमें स्वयं  पर विश्वास होता है।  हमें थोड़ा विश्वास था कि हमारे वैज्ञानिक बहुत ही कम समय में व्यक्ति बनाने में सफलता हासिल कर लेंगे .इसी विश्वास के चलते जब हमारे वैज्ञानिक  मेहनत कर रहे थे तभी हमने लॉजिस्टिक तैयारियां शुरू कर दी थी। 

पिछले वर्ष ही वैक्सिंग टास्क फोर्स का गठन कर दिया गया था .भारत में भारत के लिए वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को सरकार ने हर तरह से सहयोग  किया ,निर्माताओं को क्लिनिकल ट्रायल में मदद की गई.हजारों करोड रुपए उपलब्ध कराए गए । 

पिछले काफी समय से देश लगातार जो प्रयास से कर रहा है उसे आने वाले दिनों में सप्लाई और भी ज्यादा बनने वाली है .आज देश में 7 कंपनियां विभिन्न प्रकार वैक्सीन बना रही है.। 

कुछ एक्सपर्ट द्वारा हमारे बच्चों को लेकर भी चिंता जताई गई है। इस दिशा में भी दो वैक्सीन का ट्रायल तेजी से चल रहा है। इसके अलावा अभी देश में नेज़ल वैक्सीन पर भी रिसर्च जारी है , जो सिरिंज से ना देकर नाक में स्प्रे किया जाए। 

इससे भारत में वैक्सीन अभियान में और अधिक तेजी आएगी. इतने कम समय में वैक्सीन बनाना अपने आप में पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। 

लेकिन इसके अपनी सीमाएं भी हैं. वैक्सीन बनने के बाद भी दुनिया के बहुत कम देशों में वैक्सीनेशन प्रारंभ हुआ वो भी ज्यादातर समृद्ध देशों में शुरू हुआ। 

 वैज्ञानिकों ने रूपरेखा रखी  और भारत ने भी जो अन्य देशों की बेस्ट प्रैक्टिस थी ।  विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक थे ,उसी आधार पर चरणबद्ध तरीके से टीकाकरण करना होगा जिसके लिए   केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री के साथ हुई  बैठक में भाग लिया .संसद के विभिन्न दलों के सुझाव के बाद भी यह तय हुआ कि जिन्हें कोरोना से ज्यादा खतरा है उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी इसीलिए हेल्थ वर्कर, फ्रंट लाइन वर्कर और ६० वर्ष से अधिक आयु के लोगों को  टीकाकरण पहले होगा।  

 उन्होंने कहा ,अगर दूसरी वेब से पहले हमारे स्टाफ को टीकाकरण नहीं लगा होता तो क्या होता ?यह सोचने का विषय है । ज्यादा से ज्यादा हेल्थ वर्कर को टीकाकरण होने के कारण ही वह निश्चित होकर दूसरों की सेवा में लग पाए । लाखों देशवासियों का जीवन बचा पाए ।लेकिन देश में कम होते कोरोना  के मामले होते ही केंद्र सरकार के सामने अलग-अलग सुझाव भी आने लगेदिन प्रतिदिन पूछा जाने लगा ,सब कुछ भारत सरकार ही तय कर रही है राज्य सरकार को छूट क्यों नहीं दे रहे हैं?

संविधान में क्योंकि हेल्थ आरोग्य प्रमुख रूप से राज्य का विषय है इसलिए अच्छा है सब राज्य ही करें .इसलिए इस दिशा में एक शुरुआत की गई।  भारत सरकार ने एक वृहद गाइड लाइन बनाकर राज्य को दी । राज्य अपनी आवश्यकता अनुसार काम कर सकते हैं । स्थानीय स्तर पर कोरोनावायरस माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाना या उससे जुड़ी व्यवस्थाएं हो भारत सरकार ने राज्यों की मांगों को स्वीकार किया। 

 इस साल 16 जनवरी से शुरू कर अप्रैल महीने के अंत तक भारत का टीकाकरण कार्यक्रम मुख्यतः केंद्र सरकार की देखरेख में ही चला। 

 कई राज्य सरकारों ने फिर राज्य सरकारों पर छोड़ने की बात कही गई कि टीकाकरण का कार्य राज्य सरकार को दिया जाए । उनकी मांग केंद्र सरकार ने  काफी चिंतन मनन के बाद  राज्य सरकारों को अपने चिंतन मनन के अनुसार उनके आग्रह को ध्यान में रखते हुए 16 जनवरी से व्यवस्था चली आ रही है में एक बदलाव किया गया।  केंद्र सरकार ने सोचा राज्य मांग कर रहे हैं तो 25% कार्य उन्हीं को दे दिया जाए 1 मई से राज्य को 25% काम उनके हवाले कर दिया गया।  उसे पूरा करने के लिए राज्यों को अनेक कठिनाइयों सामना करना  पड़ा और यह भी पता चला कि  पूरी दुनिया में वैक्सीन की क्या स्थिति है । इससे भी राज्य परिचित हुए और हमने देखा एक तरफ मई में सेकंड वेव  में दूसरी तरफ टीकाकरण के लिए लोगों का बढ़ता रुझान।

 मई में 2 सप्ताह बीतते बीतते कुछ राज्य खुले मन से कहने लगे पहले वाली व्यवस्था ही सही थी।धीरे-धीरे इसमें कई राज्य सरकारें जुड़ती चली गई।  टीकाकरण का काम राज्यों पर छोड़ा जाए वह इसकी वकालत कर रहे थे। उनकी भी दिशा बदल गई एक अच्छी बात रही कि समय रहते राज्य पुनर्विचार की मांग के साथ फिर आ गया है।

 राज्यों की मांग पर हमने सोचते हुए देशवासियों को तकलीफ ना हो सुचारू रूप से उनका टीकाकरण हो इसके लिए 16 जनवरी से अप्रैल तक की पुरानी व्यवस्था को फिर से लागू किया जायेगा। 

 आज यह निर्णय लिया गया है कि राज्य के पास वैक्सीनेशन से जुड़ा जो 25% काम था उसकी जिम्मेदारी भी केंद्र सरकार उठाएगी। यह व्यवस्था आने वाले 2 सप्ताह में लागू की जाएगी । इन 2 सप्ताह में केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर नई गाइडलाइन के अनुसार, 21 जून सोमवार से देश के राज्य में 18 वर्ष से ऊपर की उम्र के सभी नागरिकों के लिए भारत सरकार राज्यों को मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराएगी।  

वैक्सीन  निर्माताओं से  उत्पादन का 75% हिस्सा भारत सरकार खुद ही खरीद कर राज्य सरकारों को मुफ्त  देगी  ।किसी भी राज्य सरकार को वैक्सीन पर कुछ भी खर्च नहीं करना होगा ।अब तक देश के करोड़ों लोगों को मुफ्त वैक्सीन मिली है । अब इसमें 18 वर्ष से अधिक की आयु के लोग भी जुड़ जायेंगे।

 भारत सरकार, उच्च वर्ग, मध्यमवर्ग ,निम्न वर्ग सभी लोगों के लिए मुक्त वैक्सीन उपलब्ध कराएगी ।जो व्यक्ति मुफ्त में व्यक्ति नहीं लगवाना चाहते हैं। प्राइवेट अस्पताल में व्यक्ति लगवाना चाहते हैं ।उनका भी ध्यान रखा है ।देश में बन रही वैक्सीन  में से 25% प्राइवेट सेक्टर से अस्पताल सीधे ले पाए ,यह व्यवस्था जारी रहेगी।

 प्राइवेट अस्पताल वैक्सीन की निर्धारित कीमत के उपरांत एक डोज़  पर अधिकतम ₹150 ही चार्ज ले पाएगी। इसकी निगरानी करने का काम राज्य सरकार के पास ही रहेगा। 

 कोरोनावायरससे लड़ने में   में 130 से अधिक करोड़ से अधिक भारतीयों ने दिन रात मेहनत कर विजय पाई है।  आगे भी हमारे रास्ते हमारे श्रम और हमारे सहयोग से मजबूत होगा हम टीकाकरण टीका प्राप्त करने की गति भी बनाएंगे और टीकाकरण को भी गति प्रदान करेंगे हमें याद रखना है कि भारत में टीकाकरण की रफ्तार आज भी दुनिया में बहुत तेज है अन्य विकसित देशों से भी तेज है। हमने जो टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म  cowin बनाया है उसकी भी पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है अनेक देशों ने भारत के प्लेटफार्म को प्रयोग करने की इच्छा जताई है।

  केंद्र सरकार ने अवस्था भी बनाई है कि हर राज्य को कुछ सप्ताह पहले ही बता दिया जाएगा कि उसे कब-कब कितनी डोज़ मिलने वाली है ।मानवता के इस पवित्र कार्य में वाद विवाद और राजनीति करने से ऐसी बातों को कोई भी अच्छा नहीं मानता ।वैक्सीन की उपलब्धता के अनुसार पूरे अनुशासन के साथ वैक्सीन लगती रहे। देश के हर नागरिक पहुंच सके। यह हर सरकार हर जनप्रतिनिधि हर प्रशासन की सामूहिक जिम्मेदारी है ।

प्रिय देशवासियों

 एक और बड़ा फैसला लिया जा रहा है पिछले वर्ष जब करो ना के बाद लॉकडाउन लगाना पड़ा था तो प्रधानमंत्री गरीब योजना के तहत 8 महीने तक 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को मुक्त राशन की व्यवस्था की गई थी। इस वर्ष भी दूसरी वेब के कारण मई और जून के लिए भी इस योजना का विस्तार किया जा रहा है। आज सरकार ने फैसला लिया है की प्रधानमंत्री योजना में गरीबन कल्याण योजना  दीपावली तक आगे बढ़ाया जाएगा ।

महामारी के समय में सरकार  नवंबर तक 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को हर महीने तय मात्रा में मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया जाएगा ।पीएम गरीब कल्याण योजना को दीपावली तक बढ़ाया गया।

 किसी भी गरीब भाई बहन को भूखा ना सोना पड़े उन्होंने कहा देश में हो रहे हैं।

 इन प्रयासों के बीच कई क्षेत्रों से वैक्सीन को लेकर भरम और जागरूकता की कमी चिंता बढ़ाती है ।यह चिंता भी मैं आपके सामने व्यक्त करना चाहता हूं ।जब से वैक्सीन का काम शुरू हुआ कुछ लोगों द्वारा ऐसी बातें कही गई जिससे आम लोगों के मन में शंका हो जाए और व्यक्ति निर्माताओं का हौसला पस्त पड़ जाए और उनके कार्य में बाधा आने लगे।

भांति भांति के तर्क प्रसारित किए गए इन्हें भी देश देख रहा है जो लोग  वैक्सीन को लेकर आशंका पैदा कर रहे हैं ।

अफवाह फैला रहे हैं वह बोले वाले बहनों के जीवन के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ कर रहे हैं ऐसे भाव से सतर्क रहने की आवश्यकता है।

 मैं अभी आप सब से समाज के प्रबुद्ध लोगों से युवाओं से अनुरोध करता हूं कि आप भी व्यक्ति को लेकर जागरूकता बढ़ाने में सहयोग करें ।

अभी कहीं जगह पर कोरोना कर्फ्यू में ढील दी जा रही है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोरोनावायरस चला गया है।

 हमें नियमों का पालन करना है और सावधानी रखनी है भारत भारत के साथ आप सभी देशवासियों का धन्यवाद

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