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ऋषिकेश:

                                                                                                                                                                                                              अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश हर वष की भांति इस वष भी विश्व लिम्फडीमा   दिवस मनाया गया जिसमे  इस बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए जनजागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बताया गया कि इस बीमारी के लक्षणों के प्रति जागरुक रहकर ही इससे बचा जा सकता है। 

वर्ल्ड लिम्फडीमा दिवस पर शनिवार को एम्स ऋषिकेश में इस बीमारी से बचाव के प्रति जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी की देखरेख में एम्स, रोटरी क्लब ऋषिकेश व लसीका शिक्षा नेटवर्क संयुक्त राज्य अमेरिका के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में इस बीमारी के लक्षणों और उनसे बचाव के विभिन्न तरीके बताए गए। 

इस अवसर पर डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता ने बताया कि इस बीमारी से ऐसे लोग अधिक ग्रसित होते हैं, जिनका कई घंटे तक एक ही स्थान पर खड़े रहने का कार्य होता है। इनमें यातायात पुलिस, सिक्योरिटी गार्ड्स, नर्सिंग स्टाफ, वाहनों के चालक-परिचालक आदि लोग मुख्यरूप से शामिल होते हैं। ऐसे सभी लोगों जिनकी दिनचर्या कई घंटे तक खड़े रहकर कार्य करने की होती है, उन्हें समय-समय पर अपनी जांच करा लेनी चाहिए, साथ ही अन्य लोगों को भी बीमारी के प्रति जागरुक करना चाहिए। उन्होंने इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए जन-जागरुकता कार्यक्रमों के नियमित आयोजन पर जोर दिया।  

संस्थान के डीन सीएसआर प्रो. ब्रिजेंद्र सिंह ने बताया कि इस बीमारी को हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी का संपूर्ण उपचार एम्स ऋषिकेश के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग में उपलब्ध है। 

रोटरी क्लब ऋषिकेश के सचिव संजय अग्रवाल ने आम लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरुक करने के लिए शीघ्र ही विभिन्न स्थानों पर शिविर आयोजित करने में सहयोग का भरोसा दिलाया है।  

बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. विशाल मागो ने बताया कि अधिक समय तक एक ही स्थान पर खड़े रहकर अपना कार्य करने वाले लोगों के पैरों की नसें कमजोर पड़ने लगती हैं और इसी कमजोरी की वजह से इनके पैरों में नसों के गुच्छे बनकर बाहर की ओर उभरने लगते हैं। कई लोगों के पैर सूजकर बहुत मोटे हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस बीमारी से ग्रसित लोगों को स्टॉकिंग पहनने से नसों पर दबाव बना रहता है साथ ही दर्द में भी आराम मिलता है। कार्यक्रम के दौरान इस बीमारी से ग्रसित संस्थान के सिक्योरिटी गार्ड्स व अन्य कर्मचारियों को स्टाॅकिंग वितरित की गई।  

कार्यक्रम में बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डा. विशाल मागो, डा. मधुभरी वाथुल्या, डा. अल्ताफ मीर, डा. नीरज, डा. अक्षय कपूर, नर्सिंग कॉलेज प्राचार्य डा. वसंता कल्याणी  एवं रोटरी क्लब के राकेश अग्रवाल, आईएमए ऋषिकेश  डा. हरिओम प्रसाद आदि मौजूद थे।

                                                                                                                                                                                                                   अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के स्त्री रोग विभाग की ओर से गाइनी ओपीडी में सर्वाइकल कैंसर विषय पर जनजागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया,जिसमें महिलाओं को बच्चेदानी के मुख का कैंसर से सुरक्षा संबंधी जानकारियां दी गई।                                                                                                                                                                        शनिवार को एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी व डीन प्रो. मनोज गुप्ता जी की देखरेख में गाइनी विभाग के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर बच्चेदानी के मुख का कैंसर को लेकर जागरुक किया गया। इस दौरान स्त्री रोग विभाग की ओपीडी में आए महिला मरीजों व उनके तीमारदारों को सर्वाइकल कैंसर के कारणों व इससे बचाव के बारे में अवगत कराया गया।                                                                                                                                                                                                                      स्त्री रोग विभागाध्यक्ष प्रो. जया चतुर्वेदी व महिला कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. शालिनी राजाराम ने बताया कि गर्भाशय के कैंसर का शतप्रतिशत उपचार संभव है, वशर्ते महिलाएं सामान्य अवस्था में इसके बचाव के उपायों को अपना सकें। उन्होंने बताया कि महिलाओं में जागरुकता की कमी के कारण एडवांस सर्वाइकल कैंसर केस अधिक बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि कैंसर के तमाम प्रकारों में सिर्फ सर्वाइकल कैंसर का ही शतप्रतिशत उपचार संभव है, वशर्ते इस बीमारी की रोकथाम के लिए समय पर वैक्सीनेशन कर लिया जाए।                                                                                  उन्होंने बताया कि सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए किशोरियों को 9 से 14 वर्ष की उम्र के मध्यम वैक्सीनेशन अनिवार्यरूप से करा लेना चाहिए, साथ ही प्रत्येक महिला को 30 वर्ष से 65 वर्ष के मध्य तीन से पांच साल के समयांतराल में बच्चेदानी के कैंसर की जांच अनिवार्यरूप से करानी चाहिए। उन्होंने बताया कि एचपीवी वैक्सीनेशन से महिलाओं के प्राइवेट पार्ट का कैंसर, सर्विक्स कैंसर, हैड एंड नैक कैंसर समेत पांच प्रकार के कैंसर की रोकथाम में काफी हद तक मदद मिलती है। 

            उन्होंने जोर दिया कि महिलाओं को बिना किसी तरह की तकलीफ के बिना भी अपनी नियमित जांच करानी चाहिए, वजह कईदफा सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों का पता नहीं चल पाता है और यह काफी एडवांस स्टेज में सामने आता है,जिसके बाद इसकी रोकथाम में कई तरह की दिक्कतें आती हैं।                                                                                                                                                                                                                       इस दौरान ओपीडी में महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई,जिनमें चार महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के लक्षण पाए गए। इस अवसर पर डा. रूबी गुप्ता, डा. लतिका चावला आदि मौजूद थे।

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