यूं तो कुंभ के आयोजन का इतिहास अनादि काल से है पहले से ही साधु-संतों के विभिन्न अखाड़े कुंभ के अवसर पर स्नान करते आए हैं क्योंकि यह साधु संत 12 वर्षों अथवा 6 वर्षों में एक बार ही किसी एक तीर्थ नगरी में स्नान हेतु गंगा के घाटों पर आते हैं इसलिए कुंभ के अवसर पर इनके द्वारा किया गया स्नान शाही स्नान कहा जाता है।
शाही स्नान के वक्त घाटों पर स्थानीय और आम व्यक्ति स्नान नहीं करते हैं । ईश्वर के प्रतिनिधि के रूप में विभिन्न अखाड़ों के साधु संत अलग-अलग समय पर स्नान करते हैं। परंतु इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि किन्नर अखाड़े ने भी कुंभ के अवसर पर स्नान किया है इस ऐतिहासिक पल को आप इन तस्वीरों और वीडियो के द्वारा देख सकते हैं ।
जूना, अग्नि ,आव्हान अखाड़ों ने हर की पैड़ी पर कुंभ शाही स्नान किया। निरंजनी ,आनन्द अखाड़ा स्नान ने स्नान पूर्ण किया निरंजनी ,आनन्द अखाड़ा स्नान ने स्नान पूर्ण किया।
सभी प्रकार की चाक-चौबंद व्यवस्था ओं के बीच मेला प्रशासन ने इन अखाड़ों का स्नान सफलतापूर्वक संपन्न कराया
इससे पहले यह अखाड़े धर्म ध्वजा लेकर अपने अखाड़ों से निकलकर गंगा स्नान हेतु घाटों की और गए।
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