जय जवान
ऋषिगंगा के मुहाने पर बनी झील के पानी से फिलहाल कोई खतरा न हो, लेकिन लगातार राज्य आपदा प्रतिवादन बल उत्तराखंड (SDRF) सतर्क है, राहत एवं बचाव कार्यों में लगा हुआ है। पैंग से लेकर तपोवन तक SDRF द्वारा मैन्युअली अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया गया है।
रेणी गाँव से ऊपर बनी झील,
जहां पैदल पहुँचे है SDRF कमाण्डेन्ट श्री नवनीत भुल्लर अपनी SDRF सर्चिंग टीम के साथ, कमाण्डेन्ट महोदय के द्वारा जल भराव के बारे में भी जानकारी दी जा रही हैझी.ल से पानी डिस्चार्ज हो रहा है इसलिए घबराने वाली कोई बात नही है
पैंग, रैणी व तपोवन में SDRF की एक एक टीम तैनात की गई है। दूरबीन , सैटेलाइट फोन व PA सिस्टम से लैस SDRF की टीमें किसी भी आपातकालीन स्थिति में आसपास के गांव के साथ जोशीमठ तक के क्षेत्र को सतर्क कर देंगी। SDRF की टीमों द्वारा इस क्षेत्र का निरीक्षण किया गया जहां झील बनी है।और इससे फिलहाल खतरा नही है।
श्रीमती रिदिम अग्रवाल,अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी,उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं DIG SDRF ने बताया कि SDRF की टीमें लगातार सैटेलाइट फोन के माध्यम से सम्पर्क में है।
गढ़वाल मंडल आयुक्त श्री रविनाथ रमन ने आज सायं आईआरएस कैंप कार्यालय में तपोवन आपदा के राहत, बचाव एवं खोजबीन कार्य में तैनात विभाग/संस्थान के संबंधित अधिकारियों के साथ टनल एवं खोज बचाव कार्य प्रगति की बैठक ली।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए सर्च एवं रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी लाना सुनिश्चित करेंगे।
उन्होंने
क्रमवार राहत एवं बचाव कार्य में जुटी जिला प्रशासन, आर्मी, एनडीआरएफ,
एसडीआरएफ, आईटीबीपी, एनटीपीसी, पुलिस प्रशासन आदि की अद्यतन कार्यों की
जानकारी लेते हुए संबंधित अधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। उन्होंने
रेस्क्यू कार्य में आ रहे समस्या के बारे में भी जानकारी ली। तपोवन बांध
बैराज के संवेदनशील स्थल पर रेस्क्यू दल को जोखिम नहीं लेने को कहा, उक्त
स्थल पर जीवंत होने की संभावना नहीं है, स्थिति सामान्य होने पर सर्च करना
सुनिश्चित करेंगे।
उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के कार्य प्रगति की
जानकारी लेते हुए संबंधित अधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। साथ ही
आईटीबीपी के संबंधित अधिकारी को ऋषिगंगा में जवानों की तैनाती बनाए रखने के
निर्देश दिए।
एनटीपीसी के जीएम ने अवगत कराया कि सुरंग में करीब 136
मीटर तक मालवा निस्तारित किया गया है। साथ ही बताया कि ड्रिलिंग के कार्य
प्रारंभ किया गया है, करीब 10 से 12 घंटे में टनल के भीतर की वस्तुस्थिति
संभवत ज्ञात हो सकेगा।
इस अवसर पर डीआईजी पुलिस नीरू गर्ग, जिलाधिकारी
स्वाति एस भदौरिया, डीआईजी एसडीआरएफ मोहसिन शाहेदी, डीसी एसडीआरएफ अजय
भट्ट, डीसी एनडीआरएफ आदित्य प्रसाद, लेफ्टिनेंट कर्नल आर्मी विजय सिंह,
जीएम आर पी अहेवाल, सहायक सेनानी एस. सिंह, सीडीओ हंशा दत्त पांडे सहित
संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
SDRF अर्ली वार्निंग सिस्टम टीम
टीम - 1 , पेंग गांव
1. कॉन्स्टेबल विपिन आर्या
2. कॉन्स्टेबल हरीश चंद्र
3. कॉन्स्टेबल प्रेम सिंह
टीम -2 , रैणी गांव
1. कॉन्स्टेबल राकेश राणा
2. कॉन्स्टेबल जगदीश प्रसाद
3. कॉन्स्टेबल अनमोल सिंह
टीम 3 - तपोवन गांव
1. कॉन्स्टेबल दीपक नेगी
2. कॉन्स्टेबल राजेंद्र सिंह
3. फायरमैन नितेश खेतवाल
उपकरण - पी ए सिस्टम -01, वाईनाकुलर - 01, सेटेलाइट फ़ोन- 01
पैंग गांव से तपोवन की कुल दूरी - 10.5 Km
यदि किसी भी प्रकार से जल स्तर बढ़ता है तो ये अर्ली वार्निंग SDRF की टीमें तुरंत सूचना प्रदान करेगी। ऐसी स्थिति मैं नदी के पास के इलाकों को 5 से 7 मिनट के अंदर तुरंत खाली कराया जा सकता है। SDRF के दलों ने रैणी से ऊपर के गांव के प्रधानों से भी समन्वय स्थापित किया है।
जल्द ही दो तीन दिनों में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगा दिया जाएगा जिससे पानी का स्तर डेंजर लेवल पर पहुंचने पर आम जनमानस को सायरन के बजने से खतरे की सूचना मिल जाएगी।इस बारे में SDRF की ये टीमें ग्रामीणों को जागरूक भी कर रही है।
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