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राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष ने आज उन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने 2001 में संसद पर कायरतापूर्ण हमले का जवाब देते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे  ।

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने श्रद्धांजलि स्वरुप कहा  है कि , देश उन वीर शहीदों को कृतज्ञतापूर्वक याद करता है जिन्होंने 2001 में इस दि न संसद का बचाव करते हुए अपनी जान की बाजी लगा दी थी। उन्होंने कहा, हमारे लोकतंत्र के मंदिर के उन रक्षकों के महान बलिदान की सराहना करते हुए, हम अपने संकल्प को मजबूत करते हैं। आतंक की ताकतों को परास्त करना, हमारा लक्ष्य है ।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा, 2001 में संसद पर आतंकवादी हमले से हमारे लोकतंत्र के मंदिर का बचाव करने वाले बहादुर लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित है । उन्होंने कहा, यह दिन याद दिलाता है कि आतंकवाद लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। श्री नायडू ने कहा, विश्व समुदाय को उन देशों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए जो आतंकवाद का समर्थन कर रहे हैं।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हम 2001 में इस दिन हमारी संसद पर कायरतापूर्ण हमले को कभी नहीं भूलेंगे। उन्होंने कहा, हम उन लोगों की वीरता और बलिदान को याद करते हैं जिन्होंने हमारी संसद की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। श्री मोदी ने कहा, भारत हमेशा उनका आभारी रहेगा।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 2001 में इस दिन लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सुरक्षाकर्मियों और संसद अधिकारियों को याद किया। उन्होंने कहा, कर्तव्य, वीरता और वीरता के लिए उनकी भक्ति हमेशा हमें प्रेरित करेगी और आतंकवाद से लड़ने का हमारा संकल्प भी। ।

 संसद भवन परिसर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम में, उपराष्ट्रपति और सभापति एम। वेंकैया नायडू, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा के उपप्रधान हरिवंश, के नेता राज्यसभा में सदन थावरचंद गहलोत, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद, संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, और कई संसद सदस्यों ने शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की।

आज के दिन 13  दिसंबर,  2001 को पांच भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने संसद परिसर में घुसकर अंधाधुंध गोलियां चलाईं। यह हमला लगभग 30 मिनट तक चला और लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के सभी पांच आतंकवादियों को परिसर के बाहर  ही ढेर कर दिया गया था ।

राज्यसभा की संसद सुरक्षा सेवा के दो व्यक्ति जगदीश प्रसाद यादव और मातबर सिंह नेगी, दिल्ली पुलिस के पांच कर्मचारी नानक चंद, रामपाल, ओम प्रकाश, बिजेन्द्र सिंह और घनश्याम और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक महिला कांस्टेबल कमलेश कुमारी ने  बिल्डिंग के अंदर आतंकियों के प्रवेश को रोकने के के प्रयास में जान की बाज़ी लगा दी थी ।  एक माली ने भी लोकतंत्र के मंदिर पर हमले में अपनी जान गंवा दी थी और एक पत्रकार ने भी अपने प्राण गंवाएं ।इस  घटना के दौरान इमारत में संसद के लगभग 100 सदस्य मौजूद थे।

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