Halloween party ideas 2015

  गीता में सद्भाव और सद्विचारों का माधुर्य - पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज



ऋषिकेश:

आज गीता जयंती के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ’’गीता, जीवन का शास्त्र है, वह हमें स्वयं से वयं की यात्रा कराती है; भय को दूर कर भाव को जगाती है; जीवन के विषाद को प्रसाद बना देती है और पीड़ा को प्रेरणा बना देती है।’’ 

परमार्थ निकेतन में पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने गीता पाठ किया।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि जीवन की हर दशा को एक नई दिशा देने वाला अद्भुत ग्रंथ है भगवत गीता। जीवन की हर समस्या का समाधान  ‘भगवत गीता’ में समाहित है। जब भी मन अशांत हो, चित्त विचलित हो रहा हो या जीवन की किसी समस्या का समाधान नहीं मिल रहा हो तब भगवत गीता उठाकर उसका कोई भी चेप्टर; कोई भी श्लोक हो उसे पढ़ते हुये शरणागत् भाव से उस पर मनन करें, हर श्लोक, हर मंत्र ऐसी शिक्षा दे जाता है, जैसे वह अपने लिये ही लिखा गया हो।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि श्रीमद् भगवत गीता चित्त की नकारात्मक वृतियों को तथा इमोशनल हाइजीन को मेेंटेन कर एक ऐसा सहज मार्ग प्रदान करता है, जिस का अनुसरण कर जीवन, मरण और मोक्ष तीनों को साधा जा सकता है। वास्तव में भगवत गीता एक श्रेष्ठ गुरू की तरह पथ प्रदर्शक, मार्गदर्शक है और माँ की तरह जीवन में आयी हर विपत्ति का समाधान भी देती है। उन्होंने कहा कि भगवत गीता मात्र एक आध्यात्मिक पुस्तक नहीं बल्कि उसमें जीवन का, रिश्तों का, आत्मा और परमात्मा का, सद्भाव और सद्विचारों का ऐसा माधुर्य है जिसका पान करने पर जीवन की सारी कड़वाहट दूर हो जाती है। 


भगवत गीता मनुष्य को कर्मयोग की शिक्षा भी देती है अर्थात मेरा वर्क (कार्य) ही मेरी वर्शिप है; मेरी पूजा है। निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन् हम अपने आप को ईश्वर का एक यंत्र समझ कर समाज की, राष्ट्र की सेवा करें तो उस सेवा में जो आनन्द आयेगा, शान्ति मिलेगी और प्रसन्नता मिलेगी उस का अनुभव ही  अद्भुत हैं।


  हिन्दू धर्म का यह सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ पूरे विश्व के लिये है, सार्वभौमिक, सार्वलौकिक है। इस ग्रंथ का सम्मान विश्व के विचारवान और बुद्धिमान विचारकों ने किया है। इस महान ग्रंथ को जिसने भी पढ़ा चाहे वह अल्बर्ट आइन्स्टाइन, अल्र्बट श्वाइत्जर, अल्ड्स हक्सले, हेनरी डी थोरो, थाॅमस मर्टन, हर्मन हेस, रौल्फ वाल्डो इमर्सन या अन्य विचारकों ने अपने जीवन में गीता का प्रभाव देखा और उसे अपना बना लिया।

एक टिप्पणी भेजें

www.satyawani.com @ All rights reserved

www.satyawani.com @All rights reserved
Blogger द्वारा संचालित.