ब्रह्मखाल:
उद्यमियों का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण और स्वरोजगार के उद्देश्य से पेरुल व अन्य प्रकार के बायोमास से एम एस एम ई के तहत पेरूल नीति दो हजार अठारह को सरकार धरातल पर नहीं उतार पा रही है।
हांलांकि इसके लिए उरेडा और अन्य सभी संबंधित विभाग बड़ी दिलचस्पी के साथ इस नीति को सफल बनाने का प्रयास कर रहे हैं मगर अंतिम पायदान पर बैंक फाइलों को निरस्त कर उद्यमियों को मायूस कर रहे है जिससे सरकार की इस बहुआयामी योजना को अभी तक पंख नहीं लगे लग पा रहे हैं।
दो हजार अठारह की पेरूल नीति को स्वयं मुख्यमंत्री त्रिबेन्द्र सिंह रावत ने लांच किया था और उरेडा को इस योजना को सफल बनाने की जिम्मेदारी भी दी थी। यूपीसीएल के साथ भी बिजली खरीदने का अनुबंध भी हुआ था। पहले चरण में इक्कीस उद्यमियों को पेरुल से बिजली उत्पादन के प्लांट लगाने के लिए शासन ने एम एस एम ई के तहत स्वीकृति दी थी।
उद्यमियों ने सभी आवश्यक दस्तावेज जमा कर प्रशासनिक स्वीकृति भी ली और फाइलें बित्त पोषित के लिए बैंकों को भेजा। दो साल बीत गये मगर बैंकों ने अब तक केवल दो कुमांऊ और एक गढ़वाल से ही प्लांट उद्यमियों को बित्त पोषित किया है और शेष अन्य लोगों की फाइलों पर अनावश्यक आपत्तियां लगाकर फाइलें वापस डीआईसी को भेज दी जिससे इस महत्त्वपूर्ण नीति को धरातल पर नहीं उतारा जा सक रहा है।
उद्यमियों ने अब तक इस योजना पर अपने लाखों रू भी डुबा दिये मगर बैंकों द्वारा अनावश्यक परेशान किये जाने से वे निराश है। उद्यमियों का कहना है कि सरकार की मंशा इस योजना को वास्तव में यदि धरातल पर उतारने की है तो सरकार स्वंय उद्यमियों के साथ मीटिंग कर उनकी सुने और अपने स्तर से संयत्र लगाकर उद्यमियों को बित्त पोषित करें या इसका कोई दूसरा उपाय ढूंडे ताकि बैंकों के भरोसे उन्हे न रहना पड़े।
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