प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ के 75वें स्थापना दिवस पर जग कल्याण का दिया मन्त्र
महत्वपूर्ण बातें :
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र पर उठाये सवाल
- संयुक्त राष्ट्र संघ में बदलाव को बताया आवश्यकता
- भारत को यूएन में निर्णायक भूमिका क्यों नहीं
- आतंकवाद पर किया प्रहार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ के ७५वें स्थापना दिवस पर , उदेश्यों और दिलाते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ में बदलाव की मांग की है। उन्होने भारत को वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण बात बताते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन करें तो बहुत सी उपलब्धि है .परंतु ऐसे उदाहरण भी हैं जो गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी करती है.
यह बात सही है तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ लेकिन इस बात को नकार नहीं सकते की अनेकों युद्ध हुए खून की नदियां बहती रही ,आतंकियों ने पूरी दुनिया को थर्रा दिया. जो मारे गए वह भी हमारी तरह इंसान थे। लाखों बच्चे जो मारे गए उन्हें दुनिया पर छा जाना थाे। कितने ही लाखों लोगों को अपने सपनों का घर छोड़ना पड़ाे। उस समय और आज भी संयुक्त राष्ट्र के जो प्रयास थे वे नाकाफी रहे।
पिछले 8 महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से ग्रसित है इस महामारी से निपटने में संयुक्त राष्ट्र कहां है ? एक प्रभावशाली रिस्पांस कहां है ?
अध्यक्ष महोदय , संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था में बदलाव स्वरूप में बदलाव आज समय की मांग हैे। संयुक्त राष्ट्र का भारत में जो सम्मान हैे। भारत के 130 करोड़ से ज्यादा लोगों का इस वैश्विक संस्था पर जो अटूट विश्वास हैे। वह आपको बहुत कम देशों में मिलेगाे। लेकिन यह भी उतनी बड़ी सच्चाई है । भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के फ्रेम को लेकर जो प्रोसेस चल रहा है, उसके पूरा होने का बहुत लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं । आज भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या यह प्रोसेस सभी एक तर्कसंगत अंत तक पहुंच पाएगा ?आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के निर्णायक में के स्ट्रक्चर से अलग रखा जाएगा ?
एक ऐसा देश जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। एक ऐसा देश जहां विश्व की 18% से ज्यादा जनसंख्या रहती है । एक ऐसा देश जहां सैकड़ों भाषाएं हैं। सैकड़ों बोलियां हैं । अनंत हैं विचारधाराएं हैं। जिस देश में सैकड़ों वर्षो तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और की गुलामी दोनों को जिया है।जब हम मजबूत थे तो दुनिया को कभी सताया नहीं ,जब हम मजबूर थे तो दुनिया पर कभी बोझ नहीं बने।
जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है उस देश को कब तक इंतजार करना पड़ेगा?
अध्यक्ष महोदय , संयुक्त राष्ट्र संघ और भारत की मूल दार्शनिक सोच बहुत मिलती-जुलती है। अलग नहीं है, यह यह शब्द कई बार गूंजा है, वह " वसुधैव कुटुंबकम" । हम पूरे देश को पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं । यह हमारी संस्कृति का हिस्सा हैे। संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने हमेशा विश्वकल्याण को ही प्राथमिकता दी हैे।
भारत देश है जिसने शांति की स्थापना के लिए लगभग 50 पीस टीम मिशन में अपने सैनिक मिले भेजें। भारत देश है ,जिसने शांति की स्थापना में सबसे ज्यादा अपने वीर सैनिकों को खोया । आज प्रत्येक भारतवासी संयुक्त राष्ट्र में अपने योगदान को देखते हुए राष्ट्र में अपनी व्यापक भूमिका भी देख रहा है ।
02 अक्टूबर को इंटरनेशनल डे ऑफ नॉन वायलेंस और 21 जून को इंटरनेशनल योगा डे इनकी पहल भारत ने की थी । कोई डिजास्टर इंफ्रास्ट्रक्चर और इंटरनेशनल सोलर एलाइंस यह भी भारत के ही प्रयास हैं । भारत में हमेशा पूरी मानव जाति के हित के बारे में सोचा है ना कि अपने निहित स्वार्थों के बारे में । भारत की नीतियां हमेशा इसी दर्शन से प्रेरित रही है।
भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है तो वह किसी के खिलाफ नहीं होती। भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है तो उसके पीछे किसी साथी देश को नुक्सान नहीं होता ।
महामारी की स्थिति में भी भारत ने 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयां भेजी ।.विश्व के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के नाते आश्वासन देना चाहता हूं,कि भारत की जनता की यह क्षमता पूरे विश्व को महामारी से बाहर निकालने के लिए काम आएगी । हम क्लिनिकल ट्रायल की ओर बढ़ रहे हैं ,वैक्सिंग की डिलीवरी के लिए कोल्ड चेन और कोल्ड स्टोरेज क्षमता बढ़ाने के लिए भारत सभी की मदद करेगा ।
अध्यक्ष महोदय, अगले वर्ष जनवरी से भारत सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य के तौर पर ही अपना दायित्व निभाएगा ।.दुनिया के अनेक देशों ने भारत पर जो विश्वास जताया है मैं उसके लिए सभी साथी देशों का आभार प्रकट करता हूं ।विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने की प्रतिष्ठा और इसके अनुभव को हम विश्व के हित के लिए उपयोग करेंगे । हमारा मार्ग कल्याण से जन कल्याण से जग कल्याण तक है।
भारत की आवाज मानवता मानव जाति और मानवीय मूल्यों के दुश्मन ,आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, ड्रग्स , मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ उठेगी। भारत के सांस्कृतिक ,धरोहर ,संस्कार हमेशा विकासशील देशों को ताकत देंगे ।
भारत के अनुभव भारत के उतार-चढ़ाव से भरी विकास यात्रा विश्व कल्याण के मार्ग को मजबूत करेगी ।बीते कुछ वर्षों में रिफॉर्म- परफॉर्म-ट्रांसफार्म ने करोड़ों भारतीयों के जीवन में बदलाव लाने का कार्य किया है ।यह अनुभव बहुत से देशों के लिए उपयोगी है।
भारत ने करोड़ों लोगों को बैंकिंग, स्वास्थ्य और डिजिटल सेवाओं से जोड़ा है। टीबी जैसे करने के लिए बड़ा ने चलाया है. १५० मिलियन घरों में पीने का पानी पंहुचने का काम कर रहे है। अपने ६ लाख गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने की शुरुआत की है ,ब्रॉडबैंड से जोड़ा है। महामारी के बाद आत्मनिर्भर अभियान को लेकर आगे बढ़ रहे है जो ग्लोबल इकॉनमी को भी गति देगी।भारत में ट्रांसजेंडर के अधिकारों को भी बढ़ाया गया है। भारत दुनिया के उन देशों में से एक है जहाँ पेड मैटरनिटी लीव दी जाती है.
भारत विश्व से सीखते हुए वश्व को अपने अनुभव बांटते हुए आगे बढ़ना चाहता है. संयुक्त राष्ट्र संघ के ७५वें स्थापना दिवस पर संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य मिलकर संयुक्त राष्ट्र संघ के सशक्तिकरण के लिए अपने आप को विश्व कल्याण के लिए समर्पित करे.
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