- पूर्वजों की स्मृति में गंगा वाटिका में किया गया पौधारोपण
- प्राकृतिक संशाधनों का समझदारी से करें उपयोग-मदन कौशिक
- पर्यावरण संरक्षण में सभी का योगदान जरूरी-शिखर पालीवाल
स्वयंसेवी संस्था बीइंग भगीरथ के तत्वाधान में कनखल स्थित गंगा वाटिका स्मृति वन में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, जिला अधिकारी सी.रविशंकर, अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह, एडीएम ललित नारायण मिश्रा, डीएफओ नीरज कुमार, वैद्य एमआर शर्मा, दीपक जैन, रेंजर दिनेश नौड़ियाल, एएसपी कुंभ मनीषा जोशी व बीइंग भगीरथ के संयोजक शिखर पालीवाल ने अपने पूर्वजों की स्मृति में 55 पौधे रोपित किए। मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि पूर्वजों की स्मृतियों को चिरस्थायी बनाए रखने का सबसे अच्छा माध्यम पौधारोपण है। पौधारोपण, वृक्षों का संवर्द्धन और संरक्षण बहुत जरूरी है। एक वृक्ष सौ पुत्रों के समान है। प्राकृतिक संसाधनों का समझदारी से उपयोग किया जाए तो मानव जीवन को अधिक खुशहाल बनाया जा सकता है। प्रकृति को विकसित व संरक्षित करने में सभी को सहयोग करना चाहिए। जिला अधिकारी सी.रविशंकर ने कहा कि मानव जीवन में वृक्षों का बेहद महत्व है। मानव जीवन को पल्लवित करने में वृक्षों का बेहद अहम योगदान है। मानव का भरण-पोषण भी तभी हो पायेगा जब पृथ्वी पर पेड़ होंगे। एडीएम ललित नारायण मिश्र व डीएफओ नीरज कुमार ने कहा कि जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
पेड़ है तो पानी है, पानी है तो जीवन है और जीवन हैं तो दुनिया है। अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह ने कहा कि उत्तराखंड की धरती दिव्य संस्कारांे से युक्त है। सभी को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा क्योंकि पर्यावरण असंतुलन का कृषि पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण असंतुलन के कारण ही प्राकृतिक आपदाएं आती है। बीइंग भगीरथ के संयोजक शिखर पालीवाल ने कहा कि भारतीय परम्पराओं में पेड़-पौधों के साथ ही पशु-पक्षियों के संरक्षण की संकल्पना भी विद्यमान है। जल-स्रोतों का संरक्षण, वृक्षों का पूजन, गंगा पूजन आदि भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है।
पर्यावरण का मानवीय जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। प्रकृति मानव की सभी जरूरतों का पूरा करती है। इसलिये पर्यावरण संरक्षण में सभी का योगदान जरूरी है। शिखर पालीवाल ने बताया कि पितरों की स्मृति में 55 पौधों का रोपण किया गया है। अब तक विभिन्न राज्यों से आने वाले श्रद्धालु पितृकर्म करने के पश्चात अपने पितरों की स्मृति में गंगा वाटिका में 150 पौधों का रोपण कर चुके हैं। वैद्य एमआर शर्मा ने कहा कि उपभोक्तावाद के स्थान पर बुनियादी जरूरतों को प्राथमिकता देनी होगी। प्रकृति संरक्षण को ध्यान में रखते हुये किया गया विकास ही प्रगति का प्रतीक है। मानव को प्रकृति का अंधाधुंध दोहन करने के बजाए उसका संरक्षण करना चाहिए। मनुष्य और प्रकृति के बीच संबंधों को बनाये रखना हम सभी का कर्तव्य है। इस अवसर पर मधु भाटिया, जनक सहगल, आदित्य भाटिया,नीरज शर्मा, चेतना भाटिया, शुभम सैनी, शिवम अरोड़ा आदि स्वयंसेवी भी मौजूद रहे।
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