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                                                                                                                                               विश्व हेपेटाइटिस दिवस  के उपलक्ष्य में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स ऋषिकेश) की ओर से लोगों को वायरल हेपेटाइटिस को लेकर जागरुक किया गया। इस दौरान हेपेटाइटिस के कारण लक्षण व बचाव के उपाय सुझाए गए।                                                              
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने बताया कि नेशनल वायरल हेपेटाइटिस प्रोग्राम के तहत एम्स ऋषिकेश के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग को उत्तराखंड सरकार की ओर से हेपेटाइटिस के लिए मॉडर्न ट्रीटमेंट सेंटर के तौर पर नामित किया गया है। उन्होंने बताया कि इस प्रोग्राम के तहत एम्स संस्थान में उत्तराखंड के चिकित्सकों व तकनीशियनों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि इस राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत एम्स गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग में नवंबर-2019 से जुलाई 2020 तक 250 मरीजों को हेपेटाइटिस-सी का निशुल्क उपचार प्रदान किया जा चुका है। विभाग में लीवर के मरीजों की डायग्नोसिस व ट्रीटमेंट की सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। जिनका संबंधित रोगी लाभ उठा सकते हैं।                                                                                                       एम्स के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग की ओर से विश्व हेपेटाइटिस डे के अवसर पर जानलेवा बीमारी के प्रति लोगों का जागरुक करने के लिए सुझाव दिए गए हैं। गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डा. रोहित गुप्ता जी ने बताया कि वायरल हेपेटाइटिस पांच प्रकार यानि हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी व ई का होता है। उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस मूलत: लीवर के सूजन को कहते हैं,जिसके कई कारण हो सकते हैं। उन्होने बताया कि देश व दुनिया में इसके प्रमुख कारण वायरल हेपेटाइटिस है। हेपेटाइटिस ए व ई दूषित पानी व गंदगी से फैलता है, जबकि हेपेटाइटिस बी व सी के फैलने का कारण असुरक्षित यौन संबंध होता है। यह संक्रमित रक्त के आदान-प्रदान व गर्भवती मां जिसे इन्फैक्शन है उससे होने वाले बच्चे में इसका संक्रमण हो सकता है।                                                                                                                                                                                                                                                    संस्थान के सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग के डा. अजीत सिंह भदौरिया ने बताया कि विश्वभर में करीब 26 करोड़ लोगों को हेपेटाइटिस बी का इन्फैक्शन है, जबकि 7 करोड़ लोग हेपेटाइटिस-सी के इन्फैक्शन से ग्रसित हैं। हरसाल दुनियाभर में करीब 2 करोड़ लोगों को हेपेटाइटिस ए व ई का इन्फैक्शन होता है। हेपेटाइटिस बी व सी विश्वभर में लीवर सिरोसिस व लीवर के कैंसर की प्रमुख वजह बनता है। भारत में हेपेटाइटिस बी से 4 करोड़ लोग जबकि हेपेटाइटिस सी से 1 करोड़ लोग संक्रमित हैं।                                                                                                                                    हेपेटाइटिस के लक्षण- एक्यूट हेपेटाइटिस के मरीज को पीलिया, बुखार, भूख नहीं लगना, उल्टी आना आदि लक्षण हो सकते हैं। कुछ मरीजों को लीवर फेलियर की समस्या भी हो सकती है जो कि जानलेवा होती है। जबकि लीवर सिरोसिस के मरीजों में पीलिया हो जाता है, जिसमें पेट में पानी भरना, खून की उल्टी होना या बेहोशी के लक्षण पाए जाते हैं।                                                       हेपेटाइटिस से कैसे करें बचाव- भारत सरकार ने वर्ष 2018 में नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम की शुरुआत की थी,जिसका उद्देश्य लोगों को हेपेटाइटिस बी व सी की बीमारी से अवगत कराना, इसके बाबत उन्हें जागरुक करना व जरुरी उपायों व उपचार प्रणाली की जानकारी देना था। बताया गया कि हेपेटाइटिस बी के बचाव के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण प्रोग्राम के तहत वेक्सीन उपलब्ध है, मगर हेपेटाइटिस सी के लिए दुनिया में अब तक कोई वेक्सीन उपलब्ध नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ने वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस के उन्मूलन का नारा दिया है।

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