रूद्रप्रयाग:
भूपेन्द्र भण्डारी
कोरोना वायरस के कारण हुए लाॅकडाउन से देश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल भी बंद थे। अब लाॅकडाउन के 5वें चरण में देश धीरे धीरे अनलाॅक हो रहा है। विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम की यात्रा को सुचारू रूप से खोलने की कवायाद भी तेज हो गई है। पहली बार अस्तित्व में आया देवस्थानम बोर्ड ने केदारनाथ यात्रा को लेकर गाइड लाइन तैयार की है। देखिए इस रिपोर्ट में।
कोराना काल में बंद देश की विभिन्न गतिविधियों को अब फिर से शुरू करने की दिशा में देश बढ़ रहा है। करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक केदारनाथ धाम की यात्रा को खोलने की कवायाद शुरू हो गई है। हालांकि देवस्थानम बोर्ड ने केदारनाथ यात्रा के लिए जो नई गाइड लाइन जारी की है उसके तहत केदारनाथ की पूरी यात्रा इस बार बदली बदली नजर आयेगी। 30 जून तक केवल रूद्रप्रयाग जनपद के 800 को ही केदारनाथ धाम जाने की अनुमति मिलेगी। जबकि इस बार किसी भी श्रद्धालु को मंदिर के गर्भगृह में जाने की अनुमति नहीं मिलेगी।
केदारनाथ यात्रा पर जाने वाले हर व्यक्ति को उपजिलाधिकारी उखीमठ से पास बनाना अनिवार्य होगा। हर श्रद्धालु का डाटा जिला प्रशासन के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के पास उपलब्ध रहेगा ताकि कोरोना संक्रमण के किसी भी खतरे के दौरान संबंधित व्यक्ति का आसानी से पता लगया जा सकता है।
इस बार 10 वर्ष से कम व 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोग केदारनाथ यात्रा नहीं कर सकेंगे। जबकि बीमार गर्भवती महिलाएं एवं अन्य प्रदेशों से क्वारानटाइन हुए लोगों के लिए भी यात्रा प्रतिबंधित है। उधर केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित यात्रा खोलने के बिल्कुल भी हक में नहीं हैं। उन्होंने पहले ही केदारनाथ की यात्रा को प्रतिबंधित रखने की सलाह दी है। केदारनाथ के विधायक मनोज रावत ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में अगर किसी भी तरह की कोई घटना घटती है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
कुल मिलाकर कहें तो अब पहले की तरह यात्रा बिल्कुल भी नहीं रही है। कोरोना वायरस ने धार्मिक स्थलों पर होने वाली यात्रा का स्वरूप भी पूरी तरह से बदल दिया है। भक्त और भगवान के बीच भी सामाजिक दूरी बढा दी है। इसका उदारण आगामी दिनों होने वाली केदारनाथ यात्रा से उस वक्त पता चलेगा जब श्रद्धालु केदारनाथ धाम तो पहुँचेगा मगर मंदिर के अंदर गर्भगृह में भगवान के दर्शन नहीं कर पायेगा।
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