ऋषिकेश :
जहां सरकार पहाडों पर बगावनी एवं कृषि के क्षेत्र मे बढावा देकर स्वरोजगार की बात करती है । वही हम बात कर रहे है जनपद पौडी गढवाल के विकास खंड यमकेश्वर के मंगल्या गांव की कहानी कुछ और ही बंया कर रही है । जहां पर चालीस सालों से कृषि व बागवानी के क्षेत्र मे उत्कृष्ट कार्य करने वाले और शिक्षा क्षेत्र से जुडे आनंद सिंह नयाल जिन्होने 35 साल तक इण्ट inर कालेज किमसार मे शिक्षक के पद पर रहते हुये अपनी सेवायें प्रदान की । वहीं इसी दौरान अपने पैतृक गांव मंगल्या गांव मे उनके द्वारा जडी बुटी से लेकर औषधीय पादप इमारती लकडी फल फूल आदि का बहुत बडा बगीचा लगाया गया । जो आज खूब फल फूल रहे हैं । जहां बहुत बडे भू भाग पर फैले उनके इस बगीचे का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज उनके इस बाग मे लगभग तीन सौ से ज्यादा प्रजाति के दुर्लभ पेड व औषधिय पादप बाग की शोभा बढा रहे हैं
क्षेत्र पंचायत बूंगा पूर्व सैनिक सुदेश भट्ट ने बताया कि सरकार के उद्यान विभाग को क्षेत्र मे इस तरह का अनुकरणीय कार्य करने व स्वरोजगार के क्षेत्र मे उदाहरण प्रस्तुत करने वाले काश्तकारों को चिन्हित कर उन्हे सम्मानित करना चाहिये । उनके उत्पादों को बाजार मुहैय्या करवाने के लिये सरकार को ठोस रणनीति बनानी चाहिये । यदि सरकार इस तरह की नीति बनाकर पहाडों मे उतारती । वहीं आज आनंद सिंह नयाल के बगीचे मे लगी लाखों की लीचीयां बर्बाद नही होती । जिन्हे जंगली जानवर बर्बाद ना करते ।आनंद सिंह नयाल के अनुसार उन्हे सरकार द्वारा इस क्षेत्र मे ना तो कोई प्रोत्साहन व ना ही कभी पहाडों को उद्यान एवं कृषि के माध्यम से आबाद करने वाले किसी विभागीय अधिकारी ने इस क्षेत्र मे पहुंचने की हिम्मत जुटायी ।सुदेश भट्ट ने बताया कि एक तरफ सरकार उद्यानों के नाम पर प्रति वर्ष लाखों करोडों खर्च करने के बाद भी अभी तक पहाडों मे इस दिशा मे सफलता अर्जित करने मे नाकाम रहे । वहीं आनंद सिंह नयाल जैसे 70 वर्षीय बुर्जुग अपने प्रयासों से पहाडों मे खेती व बागवानी के क्षेत्र मे अनोखा उदाहरण पेश कर रहे । सरकार को पहाडों मे उद्यानों को विकसित करने के लिये इस तरह जानकार व मेहनती लोगों को चिन्हित कर उनकी सेवाओं का लाभ उठाना चाहिये ।
जहां सरकार पहाडों पर बगावनी एवं कृषि के क्षेत्र मे बढावा देकर स्वरोजगार की बात करती है । वही हम बात कर रहे है जनपद पौडी गढवाल के विकास खंड यमकेश्वर के मंगल्या गांव की कहानी कुछ और ही बंया कर रही है । जहां पर चालीस सालों से कृषि व बागवानी के क्षेत्र मे उत्कृष्ट कार्य करने वाले और शिक्षा क्षेत्र से जुडे आनंद सिंह नयाल जिन्होने 35 साल तक इण्ट inर कालेज किमसार मे शिक्षक के पद पर रहते हुये अपनी सेवायें प्रदान की । वहीं इसी दौरान अपने पैतृक गांव मंगल्या गांव मे उनके द्वारा जडी बुटी से लेकर औषधीय पादप इमारती लकडी फल फूल आदि का बहुत बडा बगीचा लगाया गया । जो आज खूब फल फूल रहे हैं । जहां बहुत बडे भू भाग पर फैले उनके इस बगीचे का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज उनके इस बाग मे लगभग तीन सौ से ज्यादा प्रजाति के दुर्लभ पेड व औषधिय पादप बाग की शोभा बढा रहे हैं
क्षेत्र पंचायत बूंगा पूर्व सैनिक सुदेश भट्ट ने बताया कि सरकार के उद्यान विभाग को क्षेत्र मे इस तरह का अनुकरणीय कार्य करने व स्वरोजगार के क्षेत्र मे उदाहरण प्रस्तुत करने वाले काश्तकारों को चिन्हित कर उन्हे सम्मानित करना चाहिये । उनके उत्पादों को बाजार मुहैय्या करवाने के लिये सरकार को ठोस रणनीति बनानी चाहिये । यदि सरकार इस तरह की नीति बनाकर पहाडों मे उतारती । वहीं आज आनंद सिंह नयाल के बगीचे मे लगी लाखों की लीचीयां बर्बाद नही होती । जिन्हे जंगली जानवर बर्बाद ना करते ।आनंद सिंह नयाल के अनुसार उन्हे सरकार द्वारा इस क्षेत्र मे ना तो कोई प्रोत्साहन व ना ही कभी पहाडों को उद्यान एवं कृषि के माध्यम से आबाद करने वाले किसी विभागीय अधिकारी ने इस क्षेत्र मे पहुंचने की हिम्मत जुटायी ।सुदेश भट्ट ने बताया कि एक तरफ सरकार उद्यानों के नाम पर प्रति वर्ष लाखों करोडों खर्च करने के बाद भी अभी तक पहाडों मे इस दिशा मे सफलता अर्जित करने मे नाकाम रहे । वहीं आनंद सिंह नयाल जैसे 70 वर्षीय बुर्जुग अपने प्रयासों से पहाडों मे खेती व बागवानी के क्षेत्र मे अनोखा उदाहरण पेश कर रहे । सरकार को पहाडों मे उद्यानों को विकसित करने के लिये इस तरह जानकार व मेहनती लोगों को चिन्हित कर उनकी सेवाओं का लाभ उठाना चाहिये ।
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