कोरोना जैसे वैश्विक महामारी के कारण पहाड़ से पलायन कर चुके लोगों के
सामने अब जहाँ अन्य राज्यों में भी रोजगार का संकट पैदा हो गया है वहीं कुछ
जूनूनी लोग जो उत्तराखण्ड के इन युवाओं को स्वरोजगार की प्रेरणा दे रहे
हैं।
शिक्षक और पर्यावरण प्रेमी सत्तेन्द्र भण्डारी की स्वरोजगार सृजन की
इस प्रेरणादायक रिपोर्ट को आप भी देखिए-
देश भर में कोरोना
संक्रमण के चलते लाकडाउन चल रहा है। उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि देशभर के
अन्य राज्यों में भी छोटे-बड़े उद्योग-धंधे पूरी तरह से बंद हैं जिससे
हजारों युवा बेरोजगार हो गए हैं। उत्तराखण्ड के पर्वतीय जिलों से भी बड़ी
संख्या में अन्य प्रदेशों में रोजगार के लिए गए लोग या तो पहाड़ लौट चुके
हैं या फिर लाकडाउन खुलने के बाद अपने गांव घरों में आने की तैयारी में
हैं। ऐसे में इन युवाओं के लिए नया रोजगार पाने की बड़ी चुनौति हैं। कोरोना
संक्रमण के कारण अपना रोजगार गंवा चुके इन युवाओं के लिए रूद्रप्रयाग जनपद
के सत्तेन्द्र भण्डारी न केवल प्रेरणा के स्रोत बने हैं बल्कि इस निराशा और
हताशा के अंधेरे में एक उम्मीद भी जगा रहे हैं। अपने पैतृक गाँव
कोठगी-भटवाड़ी में गाँव की बंजर और बेजान 3 हैक्टेयर भूमि पर हाड़तोड़ मेहनत
करने के बाद लींची आम और आँवले के पेड़ों को पिछले तीन सालों से सींच रहे
हैं। लगातार मेहनत और लग्न के बूते अब सत्तेन्द्र भण्डारी की बागवानी
उम्मीदों को जगा रही है।
पेशे से शिक्षक सत्तेन्द्र भण्डारी न केवल अपनी कलात्मक, गुणात्मक शिक्षा
के लिए जाने जाते हैं बल्कि पर्यावरण का ही नतीजा है कि उन्होंने अपने
विद्यालय कोटतल्ला में हर वर्ष अनेक प्रजाति के पौधों की नर्सरी लगाई रहती
है। जबकि अपने गांव में पहले से उन्होंने एक त्रिफला वन तैयार कर रखा है।
पिछले तीन वर्षों से सत्तेन्द्र भण्डारी त्रिफला वन के साथ साथ गांव की
बंजर जमीन पर लींची आम और आवले का बागवान तैयार कर रहे हैं जिसमें उनकी मदद
ग्रामीण भी करते हैं और ग्रामीण भी मानते हैं कि गांव के युवाओं के लिए
बागवानी अच्छा स्वरोजगार का और कोई जरिया हो ही नहीं सकता है।
उत्तराखण्ड के पर्वतीय गांव राज्य बनने से पहले से ही पलायन की मार झेल
रहा है। खाली होते गावों और बंजर होती खेती को आबाद करने के लिए ही
उत्तराखण्ड राज्य अस्तित्व में आया था लेकिन राज्य बनने के बाद भी पलायन
बदस्तूर जारी रहा है और पहाड़ का जवानी और पहाड़ का पानी कभी पहाड़ के काम न आ
सका। इस बार कोरोना संक्रमण के ही बहान सही पहाड़ के युवा पहाड़ लौटे हैं
जिन्हें यहां रोकना सत्तेन्द्र भण्डारी जैसे अभिनव प्रयासों से ही संभव है।
सरकारों को चाहिए कि इस दिशा में वे गम्भीर और सार्थक प्रयास करें।
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