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  रूद्रप्रयाग:
भूपेंद्र भण्डारी 


 
 विश्वप्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग के कपाट आगामी 29 अप्रैल को खोले जाने हैं किन्तु कोरोना वायरस के चलते बाबा केदारनाथ की तैयारियों में भी भारी विलम्ब नजर  आ रहा है। कोरोना के इस संकट के बीच बाबा केदार की यात्रा पर भी इस वर्ष संशय के बादल मंडरा रहे हैं। किन्तु धार्मिक परम्पराएं के निर्वहन के लिए केदारनाथ की कपाट खोले जाने अत्यंत आवश्यक हैं। इसी को देखते हुए अब केदारनाथ यात्रा की तैयारियां आरम्भ हो चुकी हैं।
 कोराना विषाणु ने पूरे देश को अपने गिरफ्त में ले लिया है और सम्पूर्ण भारत घरों में कैद होकर रह गया है। लेकिन इस सबके बीच हजारों वर्षों से चली आ रही हमारी धार्मिक परम्पराओं के निर्वहन पर भी कोराना का संकट छा रहा है। ग्यारवें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ की यात्रा 29 अप्रैल से आरम्भ होनी हैं, भले ही कोरोना वायरस के चलते इस बार देश-विदेश के तीर्थ यात्री केदारनाथ के दर्शनों को न आए, लेकिन केदारनाथ की चल विग्रह पंचमुखी डोली को कैलाश धाम ले जाने के लिए जिला प्रशासन और सरकार ने तैयारियां आरम्भ कर दी हैं। केदारनाथ के पैदल मार्ग पर हुडस्टोन कस्टक्शन कम्पनी ने बर्फ हटाने का कार्य आरम्भ कर दिया है। केदारनाथ पैदल रास्ते पर कम्पनी के करीब 90 मजदूर बर्फ हटाने के कार्य में जुटे हैं और दावा किया जा रहा है कि 15 अप्रैल तक बर्फ से पट्टा केदारनाथ का मार्ग खोल दिया जायेगा। 
 उधर जिला प्रशासन और सरकार इस बात को लेकर भी मंत्रणा कर रही है कि केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल आंेकारेश्वर मंदिर उखीमठ से बाबा की चल विग्रह उत्सव डोली को केदारनाथ धाम तक ले जाने और और परम्पराओं के अनुसार कपाट खोलने के लिए कितने लोग वहां मौजूद रहेंगे। कोरोना विषाणु को देखते हुई किस तरह से सामाजिक दूरियों के बीच केदारनाथ के कपाट खोले जाय इसको लेकर जिला प्रशासन और तीर्थ-पुरोहित व पंडा समाज लगातार आपस में वार्ता कर रहे हैं। जबकि इस स्थिति पर उत्तराखण्ड सरकार भी मंथन कर रही है।  
 हजारों वर्षों की केदारनाथ यात्रा के ज्ञात इतिहास में यह दूसरी बार ऐसा होने जा रहा है जब भगवान केदारनाथ के कपाट खुलने के अवसर पर भक्तों का हुजुम नहीं होगा। 2013 की आपदा के बाद वर्ष 2014 में जब भगवान केदारनाथ के कपाट खुले थे तो उस वक्त केदारनाथ आपदा का लोगों के दिलों में इतना गहरा आघात था कि यहां भक्तों की सामान्य भीड़ भी नहीं जुटी थी। इस बार कोरोना वायरस के चलते  इस स्थिति की पुनर्रावृत्ति का संदेह हो रहा है। अब देखना है कि केदारनाथ यात्रा आरम्भ होने से पहले क्या कोरोना का संकट देश से छट जाता है या फिर इस बार केदारनाथ की यात्रा भी भक्तों के बिना फिकी रहती है।

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