रूद्रप्रयाग:
भूपेंद्र भण्डारी
रूद्रप्रयाग में नगर पालिका परिषद वाहन चालकों से पिछले एक साल से अवैध वसूली कर रही है। लेकिन इस वसूली को रोकने टोकने वाला कोई नहीं है।
दरअसल प्रसिद्ध चारो धामों में से बद्रीनाथ-केदारनाथ के साथ ही मध्यमहेश्वर, तुंगनाथ और हेमकुण्ड यात्रा का अहम पड़ाव रूद्रप्रयाग मुख्यालय की सड़कों पर यात्राकाल में वाहनों का चैगुना बोझ रहता है। ऊपर से विभिन्न ब्रांच रूठो पर चलने वाले वाहन सवारियां भरने के लिए राजमार्ग पर खण्डे रहते हैं जिससे अक्सर जाम की परेशानी खड़ी हो जाती है। इसी समस्या से निजात दिलाने के लिए केन्द्र सरकार की महत्वकांक्षी प्रसाद योजना के तहत पर्यटन विभाग द्वारा शहर के बीचों-बीच बहने वाले पुुनाड़ गदेरे के ऊपर पार्किंग का निर्माण किया गया। लेकिन पार्किंग का उपयोग शहर में जाम व्यवस्था को ठीक करने की बजाय प्राईवेट वाहनों का अड्डा बना हुआ है जिनसे नगर पालिका अवैध वसूूली कर रहा है।
तीर्थ यात्रियों को जाम में न फँसना पड़े इसके लिए पिछले वर्ष यात्रा आरम्भ होने के दौरान जिलाधिकारी के निर्देश पर इस पार्किंग को बिना पालिका को हैंड़ओवर किए बगैर ही पालिका को संचालन का जिम्मा दिया गया था। बशर्तें यह पार्किंग तीर्थ यात्रियों एवं ब्रांच रूठ पर चलने वाले वाहनों के लिए निःशुल्क थी। लेकिन पालिका पिछले एक साल से बिना हैंडओवर की इस पार्किंग से अवैध वसूली कर रही है। आलम ये है कि इस पार्किंग में प्राइवेट वाहन महिनों से खड़े हैं, 50 से 70 वाहनों वाली इस पार्किंग में प्रत्येक वाहन चालक से प्रति माह छः सौ रूपये से लेकर एक हजार रूपये तक वसूला जाता है।
उधर पर्यटन अधिकारी सुशील नौटियाल का स्पष्ट कहना है कि यह पार्किंग प्राइवेट वाहनों के लिए नहीं बनाई गई थी बल्कि बाहर से आने वाले तीर्थ-यात्रियों और ब्रांच रूठों पर चलने वाले पीली प्लेट के वाहनों के लिए था। इसमें पालिका किसी भी तरह से उगाई नहीं कर सकती है। जबकि पालिका की अधिशासी अधिकारी सीमा रावत का कहना है कि शहर के बीच डाट पुुल के निर्माण होने से बस अड्डे के एरिया में वाहन खड़े करना नहीं दिया जा रहा है जिस कारण वहां की गाड़ियां कार पार्किंग में लगाई गई हैं और उनके 20 रूपये शुुल्क प्रतिदिन के रूप में लिया जाता है।
6 करोड़ रूपये से निर्मित जिस पार्किंग को निःशुुल्क आम तीर्थयात्रियों और जनता के लिए जलने वाले वाहनों के लिए किया गया था वहां पालिका द्वारा पिछले एक वर्ष से अवैध वसूली कर प्राईवेट वाहनों का अड्डा बनाकर रखा है। ऐसे में सबसे अहम सवाल यह है कि बिना पालिका के हैड़ओर के कैसे पालिका पर्यटन विभाग की सम्पत्ति से वसूली कर रही है? दूूसरा यह भी अहम सवाल है कि पिछले एक वर्ष से जो अवैध वसूूली की गई है पालिका के किस मद में जमा है? बहरहाल यात्रा फिर आरम्भ होने को जा रही है ऐसे में जिस उद्देश्य के साथ इस पार्किंग का निर्माण किया गया है वह उस काम आती है या फिर ऐसे ही अधिकारियों के संरक्षण में अवैध वसूूली का यह कारोबार फलफूलता रहेगा।
पर्यटन विभाग की करीब 6 करोड़ की लागत से निर्मित यह पार्किंग अभी तक नगर पालिका के हैंडओवर भी नहीं हुई।
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