ऋषिकेश;
तीर्थ नगरी सहित यहां से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में ऋतु पर्व फूलदेई पारंपरिक रीति रिवाज के साथ मनाया गया।पर्व पर नगर निगम की महापौर अनिता ममगाई ने उत्तराखंडवासियों को पर्व की बधाई दी है।शनिवार की सुबह बच्चों ने घरों में जाकर फूल देइ छम्मा देई…..गाकर मंगल कामना की, तो बदले में उन्हें गुड़ इत्यादि दिया गया। महापौर ममगाई ने बताया कि फूलदेई पर्व अब कुमाऊं की वादियों तक ही सीमित नही रहा है बल्कि पूरे उत्तराखंड में में चैत्र माह के पहले दिन ऋतु परिवर्तन का पर्व फूलदेई धूमधाम से मनाया जाने लगा है।इस मौके पर महापौर ने कहा कि ये पर्व एक संस्कृति को उजागर करता हैं, तो दूसरी ओर प्रकृति के प्रति पहाड़ के लोगों के सम्मान और प्यार को भी दर्शाता है।इसके अलावा पहाड़ की परंपराओं को कायम रखने के लिए भी ये पर्व-त्योहार खास हैं।इस त्योहार को फूल संक्रांति भी कहा जाता है, इसका सीधा संबंध प्रकृति से है। इस समय चारों ओर छाई हरियाली और नाना प्रकार के खिले फूल प्रकृति के यौवन में चार चांद लगाते है। मेष संक्रांति कुमाऊं में फूल संक्रांति के नाम से भी जानी जाती है।
तीर्थ नगरी सहित यहां से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में ऋतु पर्व फूलदेई पारंपरिक रीति रिवाज के साथ मनाया गया।पर्व पर नगर निगम की महापौर अनिता ममगाई ने उत्तराखंडवासियों को पर्व की बधाई दी है।शनिवार की सुबह बच्चों ने घरों में जाकर फूल देइ छम्मा देई…..गाकर मंगल कामना की, तो बदले में उन्हें गुड़ इत्यादि दिया गया। महापौर ममगाई ने बताया कि फूलदेई पर्व अब कुमाऊं की वादियों तक ही सीमित नही रहा है बल्कि पूरे उत्तराखंड में में चैत्र माह के पहले दिन ऋतु परिवर्तन का पर्व फूलदेई धूमधाम से मनाया जाने लगा है।इस मौके पर महापौर ने कहा कि ये पर्व एक संस्कृति को उजागर करता हैं, तो दूसरी ओर प्रकृति के प्रति पहाड़ के लोगों के सम्मान और प्यार को भी दर्शाता है।इसके अलावा पहाड़ की परंपराओं को कायम रखने के लिए भी ये पर्व-त्योहार खास हैं।इस त्योहार को फूल संक्रांति भी कहा जाता है, इसका सीधा संबंध प्रकृति से है। इस समय चारों ओर छाई हरियाली और नाना प्रकार के खिले फूल प्रकृति के यौवन में चार चांद लगाते है। मेष संक्रांति कुमाऊं में फूल संक्रांति के नाम से भी जानी जाती है।
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