प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले की निंदा की है और मुठभेड़ में जान गंवाने वाले जिला रिजर्व गार्ड्स और स्पेशल टास्क फोर्स के 17 सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी है।
प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर कहा, बहादुरों की वीरता को कभी नहीं भुलाया जा सकता। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी 17 सुरक्षाकर्मियों की मौत पर शोक व्यक्त किया है।
सुकमा में हुए नक्सली हमले में 17 जवान शहीद हो गए और 14 घायल हैं. डीआरजी-एसटीएफ के जवानों को पहली बार इतना बड़ा हमला हुआ है.शहीद होने वाले जवानों में एसटीएफ और डीआरजी के जवान शामिल हैं.
बस्तर में एल्मागुंडा के नजदीक कोराजगुड़ा पहाड़ियों में सशस्त्र बल और पुलिस की संयुक्त टीम पेट्रोलिंग के लिए जैसे ही पहुंची, नक्सलियों ने इस टीम पर तुरंत हमला बोल दिया. यह स्थान छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 450 किमी दूरी पर स्थित है.
ऐसी संभावना जताई जा रही है कि कम से कम 5 नक्सली मारे गए हैं और इतनी ही संख्या में घायल भी हैं. सशस्त्र बल ने भी नक्सलियों का मुंहतोड़ जवाब दिया और उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.
शुरू में हालांकि 13 जवानों से संपर्क नहीं हो पाया था जो इस कार्रवाई में शामिल थे. तकरीबन 150 सुरक्षा अधिकारी उनकी तलाश में जंगलों में लगाए गए थे जिसके बाद में शहीद जवानों के शव बरामद किए गए.
इस घटना में 14 जवान घायल हैं जिन्हें हेलिकॉप्टर की मदद से रायपुर रेफर किया गया है. डीआरजी ( डिस्ट्रिक रिजर्व गार्ड के जवानों) को इतना बड़ा नुकसान हुआ है. शहीद 17 जवानों में से 12 जवान डीआरजी के हैं.
डीआरजी स्थानीय युवकों द्वारा बनाया गया सुरक्षा बलों का एक दल है, जो कि नक्सलियों के खिलाफ सबसे अधिक प्रभावी रहा है. यही नहीं नक्सलियों ने जवानों के 15 हथियार भी लूट लिए
दरअसल पुलिस और नक्सलियों के बीच खूनी संघर्ष की घटना शनिवार ढाई बजे सामने आई. घटना कोराजगुड़ा के चिंतागुफा इलाके की है जहां सशस्त्र बल और पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई शुरू की. इस ऑपरेशन में पुलिस की डिस्ट्रिक रिजर्व गार्ड (डीआरजी), स्पेशल टास्क फोर्स और कोबरा (कमांडो बटालियन फॉर रिजोल्यूट एक्शन) बटालियन ने एक साथ मोर्चा संभाला. संयुक्त टीम को एल्मागुंडा के नजदीक नक्सलियों के छिपे होने की सूचना मिली थी. इस खुफिया जानकारी के आधार पर संयुक्त टीम ने अपने चिंतागुफा, बुर्कापाल और टिमेलवाडा कैंप से नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू की थी। इस हमले में ३०० से ३५० नक्सली शामिल थे।
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