रूद्रप्रयाग :
भूपेन्द्र भण्डारी
रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल स्कूल में जाकर विद्यार्थियों को अपने लक्ष्य को निधारित करने का पाठ पढाते हैं लेकिन छात्र कहते हैं साहब बिना अध्यापकों के कैसे लक्ष्य निर्धारित करें। सूबे में सरकारी विद्यालयों की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है। लेकिन सरकारी स्कूलों की बेहतरी के लिए रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल हमेशा से प्रयासरत रहे हैं। वे अक्सर स्कूलों में जाकर छात्रों को बेहतर भविष्य बनाने की तालिब देते हैं।
इसी कड़ी में मंगवार को जब जिलाधिकारी विकासखण्ड उखीमठ के पलद्वाड़ी इंटर काॅलेज में छात्रों को अपने जीवन लक्ष्य को निधारित करने का पाठ पढ़ाया तो, छात्र समझ नहीं पाया कि बिना गुरू के उनका भविष्य का लक्ष्य कैसे निर्धारित होगा।
दरअसल पलद्वाड़ी इंटर काॅलेज के छात्र पहली बार जिलाधिकारी को अपने बीच पाकर बेहद खुश भी थे, क्योंकि छात्रों के लिए यह पहला अवसर था जब कोई जिलाधिकारी उनके बीच आकर उन्हें व्यावहारिक ज्ञान के साथ भविष्य को साँवारने की शिक्षा दे रहा हो।
लेकिन दूसरी तरफ हिन्दी, अर्थशास्त्र, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित जैसे महत्वपूर्ण विषयों के पद रिक्त होने से छात्रों का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है। ऐसे में छात्र असामाजस्य में थे कि वे बिना अध्यापकों के कैसे भविष्य को साँवारे। लेकिन मीडिया ने जब सवाल किया तो साहब ने जल्दी ही अतिथि शिक्षकों की तैनाती करने की बात कही है।
अजीब सी बिडम्बना है जिस प्रदेश में हर साल सबसे अधिक बजट शिक्षा के नाम पर खर्च किया जाता है, उस प्रदेश में सरकारी शिक्षा व्यवस्था जिस कदर आज हाशिए पर है वह 19 वर्षों के उत्तराखण्ड राज्य की प्रगति दर्शा रही है। कहीं अध्यापक नही ंतो कही भवन नहीं। जहां अध्यापक और भवन हैं वहां छात्र नहीं। शिक्षा की ऐसी विसंगती योजनाकारों और नितिनियंताओं की नीति पर बड़ा सवाल खड़ी करती। जरूरत है तो इस विसंगति को दूर करने की ताकि यहां के छात्र बेहतर भविष्य की तलाश में मैदानों की दौड़ न लगाये।
भूपेन्द्र भण्डारी
रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल स्कूल में जाकर विद्यार्थियों को अपने लक्ष्य को निधारित करने का पाठ पढाते हैं लेकिन छात्र कहते हैं साहब बिना अध्यापकों के कैसे लक्ष्य निर्धारित करें। सूबे में सरकारी विद्यालयों की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है। लेकिन सरकारी स्कूलों की बेहतरी के लिए रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल हमेशा से प्रयासरत रहे हैं। वे अक्सर स्कूलों में जाकर छात्रों को बेहतर भविष्य बनाने की तालिब देते हैं।
इसी कड़ी में मंगवार को जब जिलाधिकारी विकासखण्ड उखीमठ के पलद्वाड़ी इंटर काॅलेज में छात्रों को अपने जीवन लक्ष्य को निधारित करने का पाठ पढ़ाया तो, छात्र समझ नहीं पाया कि बिना गुरू के उनका भविष्य का लक्ष्य कैसे निर्धारित होगा।
दरअसल पलद्वाड़ी इंटर काॅलेज के छात्र पहली बार जिलाधिकारी को अपने बीच पाकर बेहद खुश भी थे, क्योंकि छात्रों के लिए यह पहला अवसर था जब कोई जिलाधिकारी उनके बीच आकर उन्हें व्यावहारिक ज्ञान के साथ भविष्य को साँवारने की शिक्षा दे रहा हो।
लेकिन दूसरी तरफ हिन्दी, अर्थशास्त्र, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित जैसे महत्वपूर्ण विषयों के पद रिक्त होने से छात्रों का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है। ऐसे में छात्र असामाजस्य में थे कि वे बिना अध्यापकों के कैसे भविष्य को साँवारे। लेकिन मीडिया ने जब सवाल किया तो साहब ने जल्दी ही अतिथि शिक्षकों की तैनाती करने की बात कही है।
अजीब सी बिडम्बना है जिस प्रदेश में हर साल सबसे अधिक बजट शिक्षा के नाम पर खर्च किया जाता है, उस प्रदेश में सरकारी शिक्षा व्यवस्था जिस कदर आज हाशिए पर है वह 19 वर्षों के उत्तराखण्ड राज्य की प्रगति दर्शा रही है। कहीं अध्यापक नही ंतो कही भवन नहीं। जहां अध्यापक और भवन हैं वहां छात्र नहीं। शिक्षा की ऐसी विसंगती योजनाकारों और नितिनियंताओं की नीति पर बड़ा सवाल खड़ी करती। जरूरत है तो इस विसंगति को दूर करने की ताकि यहां के छात्र बेहतर भविष्य की तलाश में मैदानों की दौड़ न लगाये।
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