सिलगढ़ पट्टी के जैली गाँव स्थिति प्रसिद्ध सिद्धपीठ माँ चण्डिका देवी में जैली के ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से नौ दिवसीय यज्ञ का आयोजन किया। इस धार्मिक अनुष्ठान में ग्रामीणों के साथ ही बाहर रह रहे प्रवासियों ने भी बढ़चढ़ कर भागीदारी की। इस अनुष्ठान के आठवें दिन भव्य 101 जल कलशों की यात्रा निकाली गई। ब्यास उमेश चन्द्र भट्ट ने बताया कि पुराणों में मान्यता के अनुसार प्रजापति दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव का अपमान होने पर माता पार्वती हवन कुण्ड में कूद जाती है। जिसके बाद भगवान शिव पार्वती के मृत शरीर को क्रोधित होकर घुमाने लगते हैं, इसे देख भगवान विष्णु भगवान अपने सुदर्शन चक्र से वार कर पार्वती के शरीर को क्षत-विक्षत कर देते हैं, कहा जाता है कि जहाँ जहाँ माता पार्वती के टुकड़े गिरे थे वहाँ-वहाँ माता के सिद्धपीठ बने हैं। प्रवासी ग्राामीण इस आयोयन को न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि मेल मिलाप के साथ ही पलायन कर गये लोगों को घर लौटने का संदेश भी दे रहे हैं।
माँ चण्डिका देवी महायज्ञ: पलायन कर गये लोगों को घर लौटने का संदेश
सिलगढ़ पट्टी के जैली गाँव स्थिति प्रसिद्ध सिद्धपीठ माँ चण्डिका देवी में जैली के ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से नौ दिवसीय यज्ञ का आयोजन किया। इस धार्मिक अनुष्ठान में ग्रामीणों के साथ ही बाहर रह रहे प्रवासियों ने भी बढ़चढ़ कर भागीदारी की। इस अनुष्ठान के आठवें दिन भव्य 101 जल कलशों की यात्रा निकाली गई। ब्यास उमेश चन्द्र भट्ट ने बताया कि पुराणों में मान्यता के अनुसार प्रजापति दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव का अपमान होने पर माता पार्वती हवन कुण्ड में कूद जाती है। जिसके बाद भगवान शिव पार्वती के मृत शरीर को क्रोधित होकर घुमाने लगते हैं, इसे देख भगवान विष्णु भगवान अपने सुदर्शन चक्र से वार कर पार्वती के शरीर को क्षत-विक्षत कर देते हैं, कहा जाता है कि जहाँ जहाँ माता पार्वती के टुकड़े गिरे थे वहाँ-वहाँ माता के सिद्धपीठ बने हैं। प्रवासी ग्राामीण इस आयोयन को न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि मेल मिलाप के साथ ही पलायन कर गये लोगों को घर लौटने का संदेश भी दे रहे हैं।
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