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हरिद्वार;



उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन हरिद्वार ने प्रांत को लिखे अपने पत्र में 50 वर्ष से अधिक आयु वाले शिक्षकों एवं कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने का विरोध किया है। साथ ही शिक्षा विभाग द्वारा परीक्षाफल को आधार बनाकर शिक्षकों को जबरन सेवानिवृत्ति की संगठन द्वारा पुरजोर मुखालफत की गई है।
 जिला मंत्री ललित मोहन जोशी ने कहा कि विद्यालयों में शिक्षकों के अधिकांश पद रिक्त चल रहे हैं । कई विद्यालय प्रधानाचार्य विहीन हैं एवं शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य करवाए जाते हैं जिन कारणों से शिक्षक का परीक्षा फल प्रभावित होता है। जिला मंत्री ने कहा कि किसी भी शिक्षक की सेवानिवृत्ति में उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली का ही पालन किया जाना चाहिए। सेवानिवृत्ति का आधार मात्र परीक्षा फल को न बनाकर शिक्षक द्वारा संपादित रचनात्मक एवं पाठ्य सहगामी क्रियाकलापों का भी मूल्यांकन किया जाना चाहिए ।
संगठन द्वारा वित्तीय स्तर उन्नयन के शासनादेश की खामियों को उजागर किया गया है । शासनादेश में कहा गया है कि केवल उन्हीं कार्मिकों को एसीपी का लाभ मिलेगा जिनकी 10 वर्ष की अर्हकारी सेवा उत्तम और अति उत्तम हो। संगठन के जिला अध्यक्ष केसी शर्मा ने इसे पक्षपात पूर्ण व अतार्किक कहा और मांग की कि पूर्व की भांति संतोषजनक सेवा पर वित्तीय स्तर उन्नयन का लाभ समस्त कार्मिकों को दिया जाना चाहिये।
 जिला मंत्री ललित मोहन जोशी ने बताया कि 15 अगस्त, 26 जनवरी, 2 अक्टूबर तथा महापुरुषों की जयंती पर विद्यालय एवं कार्यालय खोलकर सभी त्योहार मनाए जाते हैं जबकि विभागों द्वारा जारी अवकाश तालिका में उस दिन अवकाश दर्शाया जाता है जिससे कि अवकाश तालिका में अवकाशों की संख्या बढ़ जाती है जिस कारण अन्य प्रमुख त्योहारों पर अवकाश नहीं हो पाता है। संगठन की मांग है उक्त समस्त अवकाशों को तालिका से विलोपित कर अलग से निर्देश जारी किए जाएं।

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