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अनिल बलूनी के पहाड़ में इगास मनाया ,संबित पात्रा और ,विधानसभा अध्यक्ष ने-
पौड़ी;

राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के जिला पौड़ी में स्थित पैतृक गांव नकोट में  कल इगास-बग्वाल धूमधाम से मनाई या।इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा एवं उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेमचंद अग्रवाल ने अनिल बलूनी के गांव पहुंचकर इगास पर्व को मनाया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा एवं विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेमचंद अग्रवाल ने गांव के लोगों के साथ पारंपरिक गीतों का आनंद लिया साथ ही पारंपरिक नृत्य में झूमे ।

इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने इगास पर्व पर बने पहाड़ी व्यंजन एवं अरसे का स्वाद भी लिया।सांसद अनिल बलूनी  के गांव में विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला ऐसा लगा जैसे गांव में रौनक वापस लौट चुकी है।इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने रीति-रिवाजों के अनुसार गाय माता की पूजा कर हाथ पर बंधे हुए रक्षा सूत्र को गाय की पूंछ पर बांधकर सुख समृद्धि की कामना भी की।
इस अवसर पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि पलायन के कारण उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों की विधानसभा सीटों की चिंता के समाधान को लेकर सांसद अनिल बलूनी  द्वारा चलाए गए ‘मेरा गांव मेरा वोट’ अभियान में अपनी भागेदारी ज़रूर निभाए।उन्होंने उत्तराखंड के सभी प्रवासीयों से आह्वान किया कि अपने गांव अवश्य आएं एवं अपनी संस्कृति एवं रीति-रिवाजों को ना छोड़े।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ने इगास बग्वाल की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रदेश में पलायन को रोकने के लिए राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी की मुहिम को आगे बड़ाते हुए आज वह इगास मनाने उनके गांव आए हुए हैं।इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने अनिल बलूनी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की। इस अवसर पर श्री अग्रवाल ने उत्तराखंड राज्य की स्थापना दिवस पर बधाई एवं शुभकामनाएं भी दी।
श्री अग्रवाल ने कहा कि उत्तराखंड, एक ऐसा प्रदेश जहां की संस्कृति कई रंगो से भरी हुई है। जहां की बोली में एक मिठास है। जहां हर त्योहार को अनूठे अंदाज में मनाया जाता है। इगास-बग्वाल यानी दीपावली भी एक ऐसा ही त्योहार है जो उत्तराखंड की परंपराओं को जीवंत कर देता है। उन्होंने कहा कि आधुनिकता के इस युग में धीरे-धीरे लुप्त हो रही संस्कृति और परंपराओं को बचाने की जिम्मेदारी हमारी नई पीढ़ी की है, जो कि धीरे धीरे आधुनिकता के इस दौर में इसे भूलते जा रही हैं. ऐसे में अपनी संस्कृति और परंपराओं को संजोय रखने के लिए हमें सांसद अनिल बलूनी जी के मुहिम जैसे अहम कदम उठाने की जरूरत है ताकि हम अपनी अलग पहचान कायम रह सके।

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