रूद्रप्रयाग:
भूपेंद्र भंडारी
आपदा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील और जोन-5 में चिन्हित होने वाला जनपद रूद्रप्रयाग में स्वास्थ्य जैसे सुविधाओं को बेहतर होना अति आवश्यक है, लेकिन यहां हमेशा से स्वास्थ्य सेवाओं हाशिए पर ही रही। कुकुरमुत्तों की तरह जगह-जगह अस्पताल तो खोल दिए गए हैं लेकिन पर्याप्त संसाधन और डाॅक्टरों के अभाव में ये अस्पताल या तो रेफर सेंटर बने हैं या फिर शो-पीस। ऐसे में हेल्पेज इण्डिया का एक अस्पताल है जो आज यहां के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है-
16-17 जून 2013 को केदारघाटी में आये जल प्रलय के बाद यहां के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं की शख्त आवश्यकता थी। सरकारी अस्पतालों की लड़खड़ाती व्यवस्था के बीच हेल्पेज इण्डिया ने आपदा प्रभावित केदारघाटी के फाटा में अपना स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित किया। दो वर्ष तक तक हेल्पेज ने इस आपदा प्रभावित क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सेवायें मुहैया करवाई। उसके बाद गबनी गाँव चन्द्रापुरी में 1 वर्ष तक इस अस्पताल का संचालन हुआ। बाद में 2 करोड़ की लागत से एचडीएफसी बैंक के सौजन्य से हेल्पेज इण्डिया का अपना भवन गिंवाला गाँव में बना जिस पर यह अस्पताल शिफ्ट कर दिया गया। मुख्यतः पेरालाइसेंस के मरीजों का उपचार करने के लिए विख्यात इस अस्पताल में सैंकड़ो लकवाग्रस्त, दुर्घना में बुरी तरह चोटिल व्यक्ति जिन्होंने ठीक होने की आस ही छोड थी जैसे लोगों को उपचार कर उन्हें नया जीवन देने का कार्य किया।
सरकारी मशीनरी से लेकर प्राईवेट संस्थानों और ऋषिकेश, देहरादून, दिल्ली चढ़ीगढ़ जैसे मंहगे शहरों में लाखों खर्च करने के बाद भी जिन मरीजों ने अपनी बीमारी के आगे हार मान ली, ऐसे में मरीजों को भी हेल्पेज इण्डिया ने ठीक कर नया जीवन दिया है। कइ लोग ऐसे भी हैं जो मैदानी शहरों से यहां इलाज के लिए आ रहे हैं।
सल हेल्पेज इण्डिया गिंवाला गांव में वृद्धाआश्रम खोलने के उद्देश्य से आई थी लेकन सर्वेक्षण में उन्हें पहाड़ में एक भी ऐसा वृद्ध नहीं मिला जो अपने परिवार से बाहर हो। ऐसे में हेल्पेज इण्डिया ने यह महसूस किया कि इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की सबसे अधिक जरूरत है, बस उसके बाद वृद्धा आश्रम को भुलाकर अस्पताल खोल दिया, जो वास्तव में न केवल रूद्रप्रयाग और केदारघाटी बल्कि टिहरी, चमोली, पौड़ी और उत्तरकाशी जिले के लोगों के लिए भी वरदान साबित हो रहा है। सुविधा सम्पन्नता के साथ साथ-साथ यहां तैनात डाॅ0 रंगलाल यादव की बेहतर कार्याप्रणाली और कुशल सेवाओं की बदौलत भी यह अस्पताल अपनी बेहतर सेवायें दे रहा है। जबकि एम्स से भी यहां समय समय पेर कुशल चिकित्सक आकर रोगियों का परीक्षण करते हैं। जबकि हर महिने विभिन्न दूरस्थ गाँवों में निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाये जाते हैं।
आधुनिक मशीनों और सुविधा सम्पन्न हेल्पेज इण्डिया यह अस्पताल पहाड़ के दूरस्थ केदारघाटी में जहाँ अपनी बेहतरीन स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध करवा रहा है वहीं सरकारी अस्पतालों और सरकार की स्वास्थ्य नीतियों पर भी सवाल खड़े कर रहा है कि जब कोई प्राइवेट अस्पताल इतनी बेहतर सुविधायें दे रहा है तो फिर सरकार क्यों नहीं? बहरहाल जरूरत है पहाड़ों में दम तोड़ी सरकारी स्वस्थ्य व्यवस्था को भी इस तरह के सार्थक प्रयास करने की।
भूपेंद्र भंडारी
आपदा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील और जोन-5 में चिन्हित होने वाला जनपद रूद्रप्रयाग में स्वास्थ्य जैसे सुविधाओं को बेहतर होना अति आवश्यक है, लेकिन यहां हमेशा से स्वास्थ्य सेवाओं हाशिए पर ही रही। कुकुरमुत्तों की तरह जगह-जगह अस्पताल तो खोल दिए गए हैं लेकिन पर्याप्त संसाधन और डाॅक्टरों के अभाव में ये अस्पताल या तो रेफर सेंटर बने हैं या फिर शो-पीस। ऐसे में हेल्पेज इण्डिया का एक अस्पताल है जो आज यहां के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है-
16-17 जून 2013 को केदारघाटी में आये जल प्रलय के बाद यहां के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं की शख्त आवश्यकता थी। सरकारी अस्पतालों की लड़खड़ाती व्यवस्था के बीच हेल्पेज इण्डिया ने आपदा प्रभावित केदारघाटी के फाटा में अपना स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित किया। दो वर्ष तक तक हेल्पेज ने इस आपदा प्रभावित क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सेवायें मुहैया करवाई। उसके बाद गबनी गाँव चन्द्रापुरी में 1 वर्ष तक इस अस्पताल का संचालन हुआ। बाद में 2 करोड़ की लागत से एचडीएफसी बैंक के सौजन्य से हेल्पेज इण्डिया का अपना भवन गिंवाला गाँव में बना जिस पर यह अस्पताल शिफ्ट कर दिया गया। मुख्यतः पेरालाइसेंस के मरीजों का उपचार करने के लिए विख्यात इस अस्पताल में सैंकड़ो लकवाग्रस्त, दुर्घना में बुरी तरह चोटिल व्यक्ति जिन्होंने ठीक होने की आस ही छोड थी जैसे लोगों को उपचार कर उन्हें नया जीवन देने का कार्य किया।
सरकारी मशीनरी से लेकर प्राईवेट संस्थानों और ऋषिकेश, देहरादून, दिल्ली चढ़ीगढ़ जैसे मंहगे शहरों में लाखों खर्च करने के बाद भी जिन मरीजों ने अपनी बीमारी के आगे हार मान ली, ऐसे में मरीजों को भी हेल्पेज इण्डिया ने ठीक कर नया जीवन दिया है। कइ लोग ऐसे भी हैं जो मैदानी शहरों से यहां इलाज के लिए आ रहे हैं।
सल हेल्पेज इण्डिया गिंवाला गांव में वृद्धाआश्रम खोलने के उद्देश्य से आई थी लेकन सर्वेक्षण में उन्हें पहाड़ में एक भी ऐसा वृद्ध नहीं मिला जो अपने परिवार से बाहर हो। ऐसे में हेल्पेज इण्डिया ने यह महसूस किया कि इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की सबसे अधिक जरूरत है, बस उसके बाद वृद्धा आश्रम को भुलाकर अस्पताल खोल दिया, जो वास्तव में न केवल रूद्रप्रयाग और केदारघाटी बल्कि टिहरी, चमोली, पौड़ी और उत्तरकाशी जिले के लोगों के लिए भी वरदान साबित हो रहा है। सुविधा सम्पन्नता के साथ साथ-साथ यहां तैनात डाॅ0 रंगलाल यादव की बेहतर कार्याप्रणाली और कुशल सेवाओं की बदौलत भी यह अस्पताल अपनी बेहतर सेवायें दे रहा है। जबकि एम्स से भी यहां समय समय पेर कुशल चिकित्सक आकर रोगियों का परीक्षण करते हैं। जबकि हर महिने विभिन्न दूरस्थ गाँवों में निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाये जाते हैं।
आधुनिक मशीनों और सुविधा सम्पन्न हेल्पेज इण्डिया यह अस्पताल पहाड़ के दूरस्थ केदारघाटी में जहाँ अपनी बेहतरीन स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध करवा रहा है वहीं सरकारी अस्पतालों और सरकार की स्वास्थ्य नीतियों पर भी सवाल खड़े कर रहा है कि जब कोई प्राइवेट अस्पताल इतनी बेहतर सुविधायें दे रहा है तो फिर सरकार क्यों नहीं? बहरहाल जरूरत है पहाड़ों में दम तोड़ी सरकारी स्वस्थ्य व्यवस्था को भी इस तरह के सार्थक प्रयास करने की।
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