उच्च शिक्षा - सहकारिता प्रोटोकॉल मंत्री डा.धन सिंह रावत ने मेले का उद्घाटन किया।
श्रीनगर :
प्रसिद्ध बैकुंठ चतुर्दशी मेले का शुभारंभ प्रदेश के उच्च शिक्षा-सहकारिता राज्यमंत्री डा.धन सिंह रावत ने ध्वजारोहण तथा दीप प्रज्जवलित कर किया। श्रीनगर के गोला पार्क में आयोजित उद्घाटन समारोह के पश्चात उन्होंने स्कूल-कालेजों की ओर से आयोजित परेड की सलामी ली। इस अवसर पर विभिन्न महिला भजन मंडलियां भी उद्घाटन स्थल पहुंची "नीति-माणा भजन मंडली" ने कार्यक्रम में शिरकत की।
उद्घाटन के अवसर पर प्रतीकात्मक रूप से गुब्बारे एवं शांति के प्रतीक सफेद कबूतर आसमान की तरफ उड़ाये गये।
इस अवसर उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश एवं देश की सरकार आम लोगों के कल्याण हेतु प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहां कि श्रीनगर में बैकुंठ चतुर्दशी मेला प्रत्येक वर्ष उल्लासपूर्वक मनाया जाता है। मेले संस्कृति-परंपरा का अभिन्न अंग है। उन्होंने अपने संबोधन में राम मंदिर पर आये ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया, कश्मीर में धारा 370 हटाये जाने के केंद्र सरकार के निर्णय को देश हित लिया गया महत्त्वपूर्ण निर्णय बताया।
शिक्षा क्षेत्र में राज्य सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि पौड़ी जिले में 28000 स्कूली बच्चों को कुर्सी-मेज़ उपलब्ध करायी गयी हैं। श्रीनगर में ट्रेचिंग ग्राउंड , आल वेदर रोड, रणीहाट में रेल्वे लाईन , सीवर लाइन कनैक्शन जैसे कार्य प्रगति पर है।
उद्घाटन समारोह को नगर पालिका अध्यक्ष पूनम तिवारी, प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य वीरेंद्र सिंह नेगी, उपजिलाधिकारी दीपेन्द्र नेगी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर कांग्रेस नेता प्रदीप तिवारी, तहसीलदार/ ईओ नगरपालिका सुनील राज, भाजपा मंडल अध्यक्ष जितेन्द्र रावत, भाजपा नेता गणेश भट्ट, प्रवीण दानू, सभासद अनूप बहुगुणा, विनोद मैठाणी, कुशलनाथ आदि मौजूद रहे।
मेले के शुभारंभ के पश्चात उच्च शिक्षा मंत्री ने मेला स्थल जीएनटीआई मैदान में मेले के स्टालों का भी उद्घाटन एवं निरीक्षण किया। उल्लेखनीय है कि नगरपालिका श्रीनगर द्वारा आयोजित मेले का समापन 19 नवंबर को होगा। इससे पहले
आज प्रातः उच्चशिक्षा मंत्री ने श्रीनगर पहुंच कर भगवान कमलेश्वर मंदिर में दर्शन किये।
कमलेश्वर मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने बताया कि बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर निसंतान दंपत्ति संतान प्राप्ति की कामना के लिए भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करते है। श्रद्धालु हाथ में जलता दिया लेकर रात भर खड़े रहकर भगवान कमलेश्वर की अराधना करते है। जिसे खड़ा दिया अनुष्ठान कहते है। इसके लिए महीने पहले से पंजीकरण शुरू हो जाता है इस वर्ष 235 निसंतान दंपत्तियों ने अनुष्ठान हेतु पंजीकरण कराये है।
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