श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष/संपादक नंदकिशोर नौटियाल के निधन पर शोक ब्यक्त किय
देहरादून;
हिंदी ब्लिट्ज के पूर्व संपादक एवं नूतन सवेरा के संपादक श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष नंदकिशोर नौटियाल के निधन पर मंदिर समिति के केनाल रोड स्थित कार्यालय में शोक ब्यक्त किया गया। दिवंगत आत्मा की शांति हेतु दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी। शोक सभा में मंदिर समिति अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कहा कि नौटियाल जी का निधन अपूरणीय क्षति है। उनके द्वारा मंदिर समिति के लिए किया गया योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। उल्लेखनीय है कि कल नौटियाल का 88 वर्ष की आयु में देहरादून में निधन हो गया। वह कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। आजकल वह अपने छोटे पुत्र भारत नौटियाल के साथ देहरादून में थे।
श्री नौटियाल जी के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय साप्ताहिक नूतन सवेरा मुंबई में बतौर उप संपादक कार्य कर चुके मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा.हरीश गौड़ ने बताया कि महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी मुंबई के दो बार अध्यक्ष रह चुके नौटियाल वर्ष 2002 से 2005 तक श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने श्री बदरीनाथ एवं केदारनाथ मंदिर ब्यवस्थाओं
में आमूल चूल परिवर्तन किया। मंदिर समिति की वेबसाईट बनवायी, सीसीटीवी कैमरे पहली बार मंदिर में लगे। फार्मेसी प्रशिक्षण शुरू हुआ हवन सामग्री बनायी गयी। अंतर्राष्ट्रीय श्रद्दालु समाज की स्थापना हुई। साहित्य का प्रकाशन एवं दानी दाताओं द्वारा श्री बदरीनाथ धाम को स्वर्ण सिंहासन दिया जाना भी उनकी उपलब्धियों में रहा।
स्वतंत्रता संग्राम में भी बाल्यकाल में सक्रिय रहे तो बाद में मजदूर आंदोलन, गोवा मुक्ति संग्राम एवं पत्रकारिता के माध्यम से देश सेवा जुड़े रहे। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के भी भागीदार रहे। परिप्रेक्ष्य ग्रंथ एवं अलकनंदा उपन्यास सहित कई पुस्तके लिखी। एवं कई पुस्तकों का संपादन किया। उनका जन्म
15 जून 1931 को पौड़ी जिले के मसान गांव में हुआ था। दिल्ली विश्व विद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की तत्पश्चात पत्रकारिता को समर्पित हो गये।
यह उनक उत्तराखंड के प्रति लगाव ही था कि उन्होंने देहरादून में अंतिम सांस ली।
कल मुनिकीरेती ऋषिकेश स्थित पूर्णागिरी पेतृक घाट पर उनके बड़े पुत्र राजीव नौटियाल ने मुखाग्नि दी। आज केनाल रोड देहरादून स्थित मंदिर समिति कार्यालय में
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल सहित मुख्य कार्याधिकारी बी.डी.सिंह, अधिशाषी अभियंता अनिल ध्यानी, वैयक्तिक सहायक प्रमोद नौटियाल,कुलदीप नेगी, विनोद नौटियाल, प्रबंधक जगमोहन बर्त्वाल, बल्लभ सेमवाल, घनश्याम जोशी, वीरेन्द्र बिष्ट शोक सभा में शामिल हुए।
तत्पश्चात मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल
एवं मुख्यकार्याधिकारी बी.डी.सिंह एवं मंदिर समिति कर्मचारियों ने दिवंगत श्री नौटियाल जी के परिजनों से भेंट
कर शोक संवेदना ब्यक्त की।
प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री बदरीनाथ, श्री केदारनाथ, देहरादून, ऋषिकेश, श्रीनगर,चमोली जोशीमठ, उखीमठ, कार्यालयों में शोक सभा हुई।
देहरादून;
हिंदी ब्लिट्ज के पूर्व संपादक एवं नूतन सवेरा के संपादक श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष नंदकिशोर नौटियाल के निधन पर मंदिर समिति के केनाल रोड स्थित कार्यालय में शोक ब्यक्त किया गया। दिवंगत आत्मा की शांति हेतु दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी। शोक सभा में मंदिर समिति अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कहा कि नौटियाल जी का निधन अपूरणीय क्षति है। उनके द्वारा मंदिर समिति के लिए किया गया योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। उल्लेखनीय है कि कल नौटियाल का 88 वर्ष की आयु में देहरादून में निधन हो गया। वह कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। आजकल वह अपने छोटे पुत्र भारत नौटियाल के साथ देहरादून में थे।
श्री नौटियाल जी के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय साप्ताहिक नूतन सवेरा मुंबई में बतौर उप संपादक कार्य कर चुके मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा.हरीश गौड़ ने बताया कि महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी मुंबई के दो बार अध्यक्ष रह चुके नौटियाल वर्ष 2002 से 2005 तक श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने श्री बदरीनाथ एवं केदारनाथ मंदिर ब्यवस्थाओं
में आमूल चूल परिवर्तन किया। मंदिर समिति की वेबसाईट बनवायी, सीसीटीवी कैमरे पहली बार मंदिर में लगे। फार्मेसी प्रशिक्षण शुरू हुआ हवन सामग्री बनायी गयी। अंतर्राष्ट्रीय श्रद्दालु समाज की स्थापना हुई। साहित्य का प्रकाशन एवं दानी दाताओं द्वारा श्री बदरीनाथ धाम को स्वर्ण सिंहासन दिया जाना भी उनकी उपलब्धियों में रहा।
स्वतंत्रता संग्राम में भी बाल्यकाल में सक्रिय रहे तो बाद में मजदूर आंदोलन, गोवा मुक्ति संग्राम एवं पत्रकारिता के माध्यम से देश सेवा जुड़े रहे। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के भी भागीदार रहे। परिप्रेक्ष्य ग्रंथ एवं अलकनंदा उपन्यास सहित कई पुस्तके लिखी। एवं कई पुस्तकों का संपादन किया। उनका जन्म
15 जून 1931 को पौड़ी जिले के मसान गांव में हुआ था। दिल्ली विश्व विद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की तत्पश्चात पत्रकारिता को समर्पित हो गये।
यह उनक उत्तराखंड के प्रति लगाव ही था कि उन्होंने देहरादून में अंतिम सांस ली।
कल मुनिकीरेती ऋषिकेश स्थित पूर्णागिरी पेतृक घाट पर उनके बड़े पुत्र राजीव नौटियाल ने मुखाग्नि दी। आज केनाल रोड देहरादून स्थित मंदिर समिति कार्यालय में
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल सहित मुख्य कार्याधिकारी बी.डी.सिंह, अधिशाषी अभियंता अनिल ध्यानी, वैयक्तिक सहायक प्रमोद नौटियाल,कुलदीप नेगी, विनोद नौटियाल, प्रबंधक जगमोहन बर्त्वाल, बल्लभ सेमवाल, घनश्याम जोशी, वीरेन्द्र बिष्ट शोक सभा में शामिल हुए।
तत्पश्चात मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल
एवं मुख्यकार्याधिकारी बी.डी.सिंह एवं मंदिर समिति कर्मचारियों ने दिवंगत श्री नौटियाल जी के परिजनों से भेंट
कर शोक संवेदना ब्यक्त की।
प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री बदरीनाथ, श्री केदारनाथ, देहरादून, ऋषिकेश, श्रीनगर,चमोली जोशीमठ, उखीमठ, कार्यालयों में शोक सभा हुई।
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