देहरादून;
उत्तराखंड शासन ने तय किया है कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की प्रक्रिया को निर्विघ्न जारी रखने के लिये ,सचिवालय में आयोजित होने वाली कार्यशालाओं और बैठकों में माइक्रोप्लास्टिक के प्रयोग को बैन करने का फैसला किया है।प्लास्टिक और प्लास्टिक से निर्मित वस्तुओं को सचिवालय में पूर्णतया प्रतिबंधित करने का फैसला किया है।
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने समस्त अधीनस्थ सचिव,उपसचिव,अपर सचिव आदि को निर्देशित करते हुए पत्र प्रेषित किया है, जिसमे यह उल्लेख है कि सचिवालय में अयोजित होनेवाले समस्त बैठकों में प्लास्टिक और प्लास्टिक से निर्मित वस्तुओं का प्रयोग न किया जाए। साथ ही पानी पीने के लिए प्लास्टिक की बोतल पूरी तरह से बैन रहेंगी, सिर्फ वाटर डिस्पेंसर और वाटर पेपर ग्लासों का प्रयोग किया जाए।
यही नहीं सचिवालय के विभिन्न अनुभागों में प्लास्टिक की वस्तुओं के प्रयोग से बचा जाए और वैकल्पिक साधनों के प्रयोग पर विचार किया जाए।
यहां तक कि कार्मिकों से अपेक्षित है कि वे प्लास्टिक की बोतल के स्थान पर कांच अथवा धातु की बनी हुई बोतल में पीने का पानी रखें,क्योंकि यब स्वास्थ्य के लिये भी लाभप्रद है।
उत्तराखंड शासन ने तय किया है कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की प्रक्रिया को निर्विघ्न जारी रखने के लिये ,सचिवालय में आयोजित होने वाली कार्यशालाओं और बैठकों में माइक्रोप्लास्टिक के प्रयोग को बैन करने का फैसला किया है।प्लास्टिक और प्लास्टिक से निर्मित वस्तुओं को सचिवालय में पूर्णतया प्रतिबंधित करने का फैसला किया है।
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने समस्त अधीनस्थ सचिव,उपसचिव,अपर सचिव आदि को निर्देशित करते हुए पत्र प्रेषित किया है, जिसमे यह उल्लेख है कि सचिवालय में अयोजित होनेवाले समस्त बैठकों में प्लास्टिक और प्लास्टिक से निर्मित वस्तुओं का प्रयोग न किया जाए। साथ ही पानी पीने के लिए प्लास्टिक की बोतल पूरी तरह से बैन रहेंगी, सिर्फ वाटर डिस्पेंसर और वाटर पेपर ग्लासों का प्रयोग किया जाए।
यही नहीं सचिवालय के विभिन्न अनुभागों में प्लास्टिक की वस्तुओं के प्रयोग से बचा जाए और वैकल्पिक साधनों के प्रयोग पर विचार किया जाए।
यहां तक कि कार्मिकों से अपेक्षित है कि वे प्लास्टिक की बोतल के स्थान पर कांच अथवा धातु की बनी हुई बोतल में पीने का पानी रखें,क्योंकि यब स्वास्थ्य के लिये भी लाभप्रद है।
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