सावन का सोमवार शिवजी की उपासना के लिए बहुत ही उत्तम दिन माना गया है। इस दिन भगवान शिव और पार्वती का पूजन करने से भगवान प्रसन्न होते हैं। आपको बता दें कि इस बार सावन में चार सोमवार आएंगे। तीसरे सोमवार में त्रियोग का संयोग बनेगा। हरियाली अमावस्या पर पंच महायोग का संयोग बन रहा है। ऐसा संयोग 125 वर्षों के बाद बन रहा है। नाग पंचमी विशेष संयोग में मनाई जाएगी।
सुबह-सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा स्थान की सफाई करें। भोलेनाथ के सामने आंख बंद शांति से बैठें और व्रत का संकल्प लें। दिन में दो बार सुबह और शाम को भगवान शंकर व मां पार्वती की अर्चना जरूर करें। भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया प्रज्वलित करें और फल व फूल अर्पित करें। आसपास कोई मंदिर है तो वहां जाकर भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल व दूध अर्पित करें। भगवान शिव को दूध और जल अर्पित करना बहुत अच्छा माना जाता है। सावन के सोमवार को हो सके तो रुद्राभिषेक कराएं। सावन के महीने में वैसे शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है। इसके अलावा शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से जीवन में सभी तरह की सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है
इन मंत्रों का करें जाप
ॐ नमः शिवाय, ॐ गं गणपतये नमः और ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः का जाप करें
श्रावण में साम्ब-सदाशिव की अर्चना का विशेष महत्व है। भगवान शिवजी की जो भक्त वंदना करता है, वह पृथ्वी पर सुख भोगकर शिवलोक को प्राप्त होता है। विशेषकर श्रावण माह में शिव पूजा कई गुना फल देती है। श्रावण माह यदि जातक अपनी राशि के अनुसार शिव को भोग अर्पित करें तो मनोवांछित फल पाना और भी सहज हो जाता है। आचार्य देवेन्द्र प्रसाद भट्ट जी देहरादून उत्तराखंड से बता रहे हैं
किस राशि का जातक भगवान शिव को क्या भोग लगाए।
धनु : भोलेनाथ को बेसन की मिठाई का भोग लगा कर ‘ऊं अबलोगणाय नम:' का जप करें।
मकर : भगवान शंकर को काली तिल चढ़ा कर ‘ऊं बलवीराय नम:' का जप करें।
कुंभ : विश्वेश्वर को भांग का भोग लगाएं व ‘ऊं भूतभावनाय नम:' का जप करें।
मीन : औघड़दानी को केसरयुक्त मिठाई का भोग लगाएं और ‘ऊं सुबिजाय नम:' का जप करें।
वृश्चिक : योगेश्वर को गुड़ पट्टी व तिल का भोग लगाएं तथा ‘ऊं अनिमिषाय नम:‘ का जप करें।
तुला : महेश को खीर का भोग लगाने के बाद ‘ऊं सर्वज्ञाय नम: का जप करें।
कन्या : त्रिपुरारी को मालपुए का भोग लगाएं और ‘ऊं महाकायाय नम:' का जप करें।
सिंह : शशिधर को अष्टगंध से स्नान कराएं तथा ‘ऊं अनघाय नम:' का जप करें।
मिथुन : चंद्रशेखर को गन्ने का रस चढ़ाएं व ‘ऊं लोकपालाय नम:' का जप करें।
कर्क : नीलकंठ को घी चढ़ाएं एवं ‘ऊं खेचराय नम:‘ का जप करें।
वृषभ : महादेव को चावल, सफेद तिल चढ़ाएं व ‘ऊं प्रवृत्तये नम:' का जप करें।
मेष : शिवजी को गुड़ व शहद चढ़ाएं, ‘ऊं नम: शिवाय' का जप करें।
इन मंत्रों का करें जाप
ॐ नमः शिवाय, ॐ गं गणपतये नमः और ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः का जाप करें अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें मै आचार्य देवेन्द्र प्रसाद भट्ट जी देहरादून उत्तराखंड
सुबह-सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें। पूजा स्थान की सफाई करें। भोलेनाथ के सामने आंख बंद शांति से बैठें और व्रत का संकल्प लें। दिन में दो बार सुबह और शाम को भगवान शंकर व मां पार्वती की अर्चना जरूर करें। भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया प्रज्वलित करें और फल व फूल अर्पित करें। आसपास कोई मंदिर है तो वहां जाकर भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल व दूध अर्पित करें। भगवान शिव को दूध और जल अर्पित करना बहुत अच्छा माना जाता है। सावन के सोमवार को हो सके तो रुद्राभिषेक कराएं। सावन के महीने में वैसे शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है। इसके अलावा शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से जीवन में सभी तरह की सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है
इन मंत्रों का करें जाप
ॐ नमः शिवाय, ॐ गं गणपतये नमः और ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः का जाप करें
श्रावण में साम्ब-सदाशिव की अर्चना का विशेष महत्व है। भगवान शिवजी की जो भक्त वंदना करता है, वह पृथ्वी पर सुख भोगकर शिवलोक को प्राप्त होता है। विशेषकर श्रावण माह में शिव पूजा कई गुना फल देती है। श्रावण माह यदि जातक अपनी राशि के अनुसार शिव को भोग अर्पित करें तो मनोवांछित फल पाना और भी सहज हो जाता है। आचार्य देवेन्द्र प्रसाद भट्ट जी देहरादून उत्तराखंड से बता रहे हैं
किस राशि का जातक भगवान शिव को क्या भोग लगाए।
धनु : भोलेनाथ को बेसन की मिठाई का भोग लगा कर ‘ऊं अबलोगणाय नम:' का जप करें।
मकर : भगवान शंकर को काली तिल चढ़ा कर ‘ऊं बलवीराय नम:' का जप करें।
कुंभ : विश्वेश्वर को भांग का भोग लगाएं व ‘ऊं भूतभावनाय नम:' का जप करें।
मीन : औघड़दानी को केसरयुक्त मिठाई का भोग लगाएं और ‘ऊं सुबिजाय नम:' का जप करें।
वृश्चिक : योगेश्वर को गुड़ पट्टी व तिल का भोग लगाएं तथा ‘ऊं अनिमिषाय नम:‘ का जप करें।
तुला : महेश को खीर का भोग लगाने के बाद ‘ऊं सर्वज्ञाय नम: का जप करें।
कन्या : त्रिपुरारी को मालपुए का भोग लगाएं और ‘ऊं महाकायाय नम:' का जप करें।
सिंह : शशिधर को अष्टगंध से स्नान कराएं तथा ‘ऊं अनघाय नम:' का जप करें।
मिथुन : चंद्रशेखर को गन्ने का रस चढ़ाएं व ‘ऊं लोकपालाय नम:' का जप करें।
कर्क : नीलकंठ को घी चढ़ाएं एवं ‘ऊं खेचराय नम:‘ का जप करें।
वृषभ : महादेव को चावल, सफेद तिल चढ़ाएं व ‘ऊं प्रवृत्तये नम:' का जप करें।
मेष : शिवजी को गुड़ व शहद चढ़ाएं, ‘ऊं नम: शिवाय' का जप करें।
इन मंत्रों का करें जाप
ॐ नमः शिवाय, ॐ गं गणपतये नमः और ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः का जाप करें अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें मै आचार्य देवेन्द्र प्रसाद भट्ट जी देहरादून उत्तराखंड
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