टिहरी जनपद में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आरएनटीसीपी के अंतर्गत हुई सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर भर्ती मामले में अनियमितता की शिकायत अभ्यर्थियों द्वारा की गई थी। आरोप था कि अधिक योग्यता रखने वाले अभ्यार्थियों को दरकिनार कर दिया गया था । संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत अगस्त 2017 में सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर के 4 पदों संविदा के तहत विज्ञप्ति जारी की गई थी। जब इस भर्ती में अनियमितता की शिकायत कुछ अभ्यर्थियों ने उस समय की तत्कालीन जिलाधिकारी महोदय सोनिका से की गई थी।
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत पत्राक संख्या - R-202/9-32/2018-19 दिनाक 15 दिसंबर 2018 में ज्ञात हुआ की जिलाधिकारी ने इस पर संज्ञान लेते हुए 8 /12/ 2017 को मुख्य विकास अधिकारी टिहरी गढ़वाल को जांच अधिकारी नामित किया गया था । तथा जांच करने में 95 दिन का समय व्यतीत हुआ और उक्त भर्ती प्रक्रिया मुख्य विकास अधिकारी टिहरी गढ़वाल की जांच असंख्या के आधार पर निरस्त की गई है । जिसे उस समय के तत्कालीन जिलाधिकारी महोदय सोनिका द्वारा सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर के पदों पर हुई त्रुटि के कारण जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल के आदेश संख्या - 811/27-4 दिनांक 08 मई 2018 के आधीन भर्ती प्रक्रिया को निरस्त किया गया।
जांच आदेश में अवगत कराया गया है कि कंप्यूटर नोट्स के अनुसार उपरोक्तानुसार चयन समिति थी किंतु नोटसीट पर पृथक से समिति में फिजिशियन (केवल डाइटिशियन पद हेतु) के साथ पृथक से सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर टीबी अंकित किया गया है, जिस पर किसी सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं है।
जिला सूचना एवं विज्ञान अधिकारी टिहरी गढ़वाल को समिति से हटाए जाने का अनुमोदन प्राप्त नहीं किया गया है , सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना ही अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं सूचना विज्ञान अधिकारी टिहरी गढ़वाल को चयन समिति से बाहर रखा गया है। जबकि पूर्व में उक्त अधिकारी समिति में रखने हेतु अनुमोदित किए गए थे उकतनुसार प्रक्रियात्मक त्रुटि की गई है ।
भर्ती प्रक्रिया निरस्त होने के बाद चयानित 4 सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर माननीय उच्च न्यायालय से स्टे ऑर्डर ले आए थे। स्टे के आधार पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्तर से उक्त सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर कर्मचारी का नवीनीकरण बिना जिलाधिकारी के अनुमोदन से किया गया तथा सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के पत्रांक संख्या - टीजी /आरटीआई /17/ 2018 -19 /8888 दिनांक 20/11/2018 में अवगत कराया गया कि स्टे ऑर्डर अग्रिम सुनवाई तक मान्य होगा ।
अब जबकि माननीय उच्च न्यायालय ने अपना अंतिम आदेश 1 अप्रैल 2019 को दे दिया,तो अब चयनित 4 सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर किस आधार पर कार्य कर रहे हैं?
माननीय उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि जिला मजिस्ट्रेट /चयन समिति के अध्यक्ष (सक्षम प्राधिकारी (Competent Authority) को न्याय कराने के लिए आदेश दिया गया है कि उक्त चार सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर का पक्ष सुने और नया आदेश पारित करें लेकिन वर्तमान समय तक कोई कार्यवाही/ आदेश पारित नहीं हुआ । अतः इस देरी के चलते ,अब अभ्यार्थियों के पास एक ही रास्ता है की पुनः माननीय उच्च न्यायालय में कोर्ट अवमानना के लिए याचिका देने के लिए बाध्य होना पड़ेगा ।
इस संबंध में जिलाधिकारी ने कहा है कि मेरे द्वारा इस विषय पर संज्ञान लिया गया है जिसमें विभागीय आधिकारी भी मौजूद थे और उक्त 4 कर्मचारियों का पक्ष भी सुन लिया गया है, अब विषय पर जल्द ही आदेश फाइनल आर्डर दे दिया जायेगा
जबकि मुख्य चिकित्साधिकारी का कहना है कि मुझे इस संबंध में घसीटा जा रहा है, जोकि मेरे पास संविदा नवीनीकरण हेतु मूल्यांकन के लिए आया था जिसमे डीटीओ द्वारा संस्तुति दी गई थी, बाकी यह मामला जिलाधिकारी के पास विचाराधीन है अंतिम फैसला जिलाधिकारी द्वारा किया जायेगा।
अब उक्त मामले में अभ्यर्थियों की शिकायत है कि जब तक यह मामला जिलाधिकारी के पास विचाराधीन है फिर भी संविदा नवीनीकरण किस आधार पर की गई ।जबकि पूर्व में सभी संविदा कर्मचारियों का नवीनीकरण किया गया । परन्तु उस सूची में 4 एस टी एस की संविदा नवीनीकरण नहीं हुआ था.
जैसे ही पूर्व जिलाधिकारियों सोनिका का तबादला हुआ उसके बाद संविदा नवीनीकरण किया गया है जो कि मुख्य चिकित्साधिकारी पर सवालिया निशान खड़े करता है?
अभ्यर्थी धर्मेंद्र पवार का कहना है कि ऐसे मामलों में कोई उच्च अधिकारी/ जिलाधिकारी/ सक्षम प्राधिकारी संविदा नवीनीकरण के लिऐ (As per guidelines) गाइडलाइन का हवाला भी देते है तो वह उन कर्मचारियों के लिए होता जिनकी सामान्य प्रक्रिया होती है कोर्ट और अन्य विवादित मामलों में जिलाधिकारी/समिति के अध्यक्ष का आनुमोदन आति आवश्यक है ! वो भी इस मामले में खुद कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट/ सक्षम प्रधिकारी (Competent Authority) को न्याय करने हेतु आदेश दिया है, अब सवाल यह है कि जिलाधिकारी महोदय ने संविदा नवीनीकरण के लिए मुख्य चिकित्सा आधिकारी को संविदा नवीनीकरण करने के लिऐ अनुमोदन दिया या नहीं !
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