रूद्रप्रयाग:
भूपेंद्र भंडारी
जिलाधिकारी के सोर्स सेग्रीगेसन कार्यक्रम पर उन्ही के अधिकारी जमकर पलीता लगा रहे हैं। दूसरों को ज्ञान बाँटने वाले अधिकारी खुद अपनी मिम्मेदारियों से भागते हुए नजर आ रहे हैं। ऐसा ही वाकिया रूद्रप्रयाग में उप जिलाधिकारी और पशुपालन विभाग के कर्मचारी का देखने को मिला है।
देखिए ये रिपोर्ट-
‘‘मै एसडीएम हूँ, मुझे मत समझाओं, जिनको समझाना है उन्हें जाकर समझाओं।’’ये शब्द हैं रूद्रप्रयाग में उपजिलाधिकारी मायादत जोशी के। दरअसल रूद्रप्रयाग जनपद में जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल की पहल पर स्वच्छता अभियान को सोर्स सेग्रीगेसन सप्ताह के रूप में बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत एक-एक सरकारी अधिकारी, नगर पालिका के अधिशासी अभियंता, पार्षद, पर्यावरण मित्र और दस-दस स्कूली छात्रों के समूह बनाया गये हैं जो प्रत्येक घर में जाकर लोगों को अजैविक-अजैविक और
सूखे-गीले कचरे को घर से ही पृथकीकरण के लिए जागरूक कर रहे हैं। यह कार्यक्रम पिछले एक सप्ताह स ेचल रहा है और लोग इसकी खूब सराहना भी कर रहे हैं, लेकिन जब स्कूली बच्चों की टीम रूद्रप्रयाग के एसडीएम मायादत्त जोशी के घर पहुंची तो टीम ने पाया कि उपजिलाधिकारी ने सूखे-गिले कचरे को एक साथ रखा है। इस बारे में जब छात्रों ने इसे पृथकीकरण करने को कहा तो अधिकारी महोदय आगबबूला हो गए और छात्रों अपने अधिकारी होना को रौब जमाने लगे।
वीओ- अब जरा दूसरे सरकारी अधिकारी का मामला भी आपको बताते हैं। रूद्रप्रयाग पशुपालन विभाग में चीफ फार्मेसिस्ट ने भी स्कूली बच्चों के साथ भारी अभ्रदता की। फार्मेसिस्ट महोदय तो इतने गुस्से में आ गए थे िक एक छात्र को मारने के लिए हाथ उठाने लगे। सामने से कैमरा देख गुस्से पर काबू कर दिया लेकिन छात्रों को भला-बुरा बोलकर वहां से भगा दिया।
अब सवाल यह है कि सरकार के कार्यक्रमों और जिलाधिकारी के निर्देशों को अधिकारी कर्मचारी ही गम्भीरता से नहीं लेंगे तो भला आम लोगों से कैसे उम्मीद की जा सकती है। ऐसे निरंकुश अधिकारी कर्मचारी जिलाधिकारी की मंशा पर पलीता तो लगा ही रहे हैं बल्कि सरकार की योजनाओं को भी धत्ता बता रहे हैं। आपको बताते चले कि कार्यक्रम के शुरूआती दिनों में सभी अधिकारियों द्वारा इस कार्यक्रम भाग लिया गया। उसके बावजूद भी अधिकारियों द्वारा घर पर कूड़े की छटनी नहीं की जा रही है। छात्रों द्वारा बनाई गई इन अधिकारियों की अभद्रता की वीडियों जिलाधिकारी को प्रेषित की गई जिस पर जिलाधिकारी ने चीफफार्मेसिस्ट के अभद्र व्यवहार पर अग्रिम आदेशों तक वेतन रोक दिया है। जबकि अभी उपजिलाधिकारी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
भूपेंद्र भंडारी
जिलाधिकारी के सोर्स सेग्रीगेसन कार्यक्रम पर उन्ही के अधिकारी जमकर पलीता लगा रहे हैं। दूसरों को ज्ञान बाँटने वाले अधिकारी खुद अपनी मिम्मेदारियों से भागते हुए नजर आ रहे हैं। ऐसा ही वाकिया रूद्रप्रयाग में उप जिलाधिकारी और पशुपालन विभाग के कर्मचारी का देखने को मिला है।
देखिए ये रिपोर्ट-
‘‘मै एसडीएम हूँ, मुझे मत समझाओं, जिनको समझाना है उन्हें जाकर समझाओं।’’ये शब्द हैं रूद्रप्रयाग में उपजिलाधिकारी मायादत जोशी के। दरअसल रूद्रप्रयाग जनपद में जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल की पहल पर स्वच्छता अभियान को सोर्स सेग्रीगेसन सप्ताह के रूप में बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत एक-एक सरकारी अधिकारी, नगर पालिका के अधिशासी अभियंता, पार्षद, पर्यावरण मित्र और दस-दस स्कूली छात्रों के समूह बनाया गये हैं जो प्रत्येक घर में जाकर लोगों को अजैविक-अजैविक और
सूखे-गीले कचरे को घर से ही पृथकीकरण के लिए जागरूक कर रहे हैं। यह कार्यक्रम पिछले एक सप्ताह स ेचल रहा है और लोग इसकी खूब सराहना भी कर रहे हैं, लेकिन जब स्कूली बच्चों की टीम रूद्रप्रयाग के एसडीएम मायादत्त जोशी के घर पहुंची तो टीम ने पाया कि उपजिलाधिकारी ने सूखे-गिले कचरे को एक साथ रखा है। इस बारे में जब छात्रों ने इसे पृथकीकरण करने को कहा तो अधिकारी महोदय आगबबूला हो गए और छात्रों अपने अधिकारी होना को रौब जमाने लगे।
वीओ- अब जरा दूसरे सरकारी अधिकारी का मामला भी आपको बताते हैं। रूद्रप्रयाग पशुपालन विभाग में चीफ फार्मेसिस्ट ने भी स्कूली बच्चों के साथ भारी अभ्रदता की। फार्मेसिस्ट महोदय तो इतने गुस्से में आ गए थे िक एक छात्र को मारने के लिए हाथ उठाने लगे। सामने से कैमरा देख गुस्से पर काबू कर दिया लेकिन छात्रों को भला-बुरा बोलकर वहां से भगा दिया।
अब सवाल यह है कि सरकार के कार्यक्रमों और जिलाधिकारी के निर्देशों को अधिकारी कर्मचारी ही गम्भीरता से नहीं लेंगे तो भला आम लोगों से कैसे उम्मीद की जा सकती है। ऐसे निरंकुश अधिकारी कर्मचारी जिलाधिकारी की मंशा पर पलीता तो लगा ही रहे हैं बल्कि सरकार की योजनाओं को भी धत्ता बता रहे हैं। आपको बताते चले कि कार्यक्रम के शुरूआती दिनों में सभी अधिकारियों द्वारा इस कार्यक्रम भाग लिया गया। उसके बावजूद भी अधिकारियों द्वारा घर पर कूड़े की छटनी नहीं की जा रही है। छात्रों द्वारा बनाई गई इन अधिकारियों की अभद्रता की वीडियों जिलाधिकारी को प्रेषित की गई जिस पर जिलाधिकारी ने चीफफार्मेसिस्ट के अभद्र व्यवहार पर अग्रिम आदेशों तक वेतन रोक दिया है। जबकि अभी उपजिलाधिकारी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
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