दूधली / डोईवाला :
संस्था नव दिव्यांग सेवा संस्थान, के संस्थापक श्री अजय कुमार की माँग पर संज्ञान लेते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को उत्तराखंड में मानसिक दिव्यांगों के लिए दीर्घकालिक आवास "घरौंदा" बनाने हेतु कार्यवाही करने को पत्र लिखा है।
अजय कुमार ने बताया कि पत्र में उन्होंने जिक्र किया कि उत्तराखंड में दिव्यांगों के लिए दीर्घकालिक आवास से सम्बंधित किसी योजना पर काम नही हो रहा है।जबकि अन्य प्रदेशों में इस योजना पर कार्य हो रहा है।
दिव्यांगों के लिए नेशनल ट्रस्ट के अंतर्गत घरौंदा योजना है जिसमें मानसिक दिव्यांगों के लिए दीर्घकालिक आवास बनाये जाने हैं जिसमें दिव्यांगों को आजीवन रखा जाएगा व उनकी देखभाल व दैनिक जरूरतें जैसे दवाई,भोजन,कपड़ा आदि की जरूरतें पूरी की जाएंगी। मानसिक दिव्यांग बच्चे न किसी सरकारी नॉकरी के लायक होते हैं न ही वह स्वरोजगार आदि कर पाते हैं।
ऐसी स्थिति में ऐसे बच्चों के माता पिता अगर इस दुनिया से चले जाएं तो फिर ऐसे बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता है।इसलिए केंद्र सरकार द्वारा इस तरह की योजना चलाई जा रही है पर उत्तराखंड में इस विषय पर कोई कार्य नही हुआ।
नव दिव्यांग सेवा संस्थान के अध्यक्ष अजय कुमार द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय में जाकर पत्र दिया गया था, मामले की गम्भीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को इस विषय पर आवश्यक कार्यवाही करने को लिखा है। निकट भविष्य में उत्तराखंड में मानसिक दिव्यांगों के लिए घरौंदा योजना कर अंतर्गत आवास बनाने की योजना को पंख लग सकते हैं।
संस्था नव दिव्यांग सेवा संस्थान, के संस्थापक श्री अजय कुमार की माँग पर संज्ञान लेते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को उत्तराखंड में मानसिक दिव्यांगों के लिए दीर्घकालिक आवास "घरौंदा" बनाने हेतु कार्यवाही करने को पत्र लिखा है।
अजय कुमार ने बताया कि पत्र में उन्होंने जिक्र किया कि उत्तराखंड में दिव्यांगों के लिए दीर्घकालिक आवास से सम्बंधित किसी योजना पर काम नही हो रहा है।जबकि अन्य प्रदेशों में इस योजना पर कार्य हो रहा है।
दिव्यांगों के लिए नेशनल ट्रस्ट के अंतर्गत घरौंदा योजना है जिसमें मानसिक दिव्यांगों के लिए दीर्घकालिक आवास बनाये जाने हैं जिसमें दिव्यांगों को आजीवन रखा जाएगा व उनकी देखभाल व दैनिक जरूरतें जैसे दवाई,भोजन,कपड़ा आदि की जरूरतें पूरी की जाएंगी। मानसिक दिव्यांग बच्चे न किसी सरकारी नॉकरी के लायक होते हैं न ही वह स्वरोजगार आदि कर पाते हैं।
ऐसी स्थिति में ऐसे बच्चों के माता पिता अगर इस दुनिया से चले जाएं तो फिर ऐसे बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता है।इसलिए केंद्र सरकार द्वारा इस तरह की योजना चलाई जा रही है पर उत्तराखंड में इस विषय पर कोई कार्य नही हुआ।
नव दिव्यांग सेवा संस्थान के अध्यक्ष अजय कुमार द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय में जाकर पत्र दिया गया था, मामले की गम्भीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को इस विषय पर आवश्यक कार्यवाही करने को लिखा है। निकट भविष्य में उत्तराखंड में मानसिक दिव्यांगों के लिए घरौंदा योजना कर अंतर्गत आवास बनाने की योजना को पंख लग सकते हैं।
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