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तम्बाकू को न जिन्दगी को हाँ’’-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश:





 परमार्थ निकेतन गंगा तट पर राष्ट्र, पर्यावरण एवं जल संरक्षण, माँ गंगा सहित देश की सभी नदियों को समर्पित मानस कथा में आज परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं साध्वी भगवती सरस्वती जी ने सहभाग किया।

परमार्थ निकेतन तक ऋषिकेश के विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने तम्बाकू निषेध के विषय पर जागरूकता हेतु रैली निकाली। छात्रों ने स्लोगन, चित्रकला और पोस्टर के माध्यम से तम्बाकू के प्रति लोगों को जागरूक किया।
 मानस कथा व्यास श्री मुरलीधर  के मुखारबिन्द से माँ गंगा के तट पर मानस की ज्ञान रूपी गंगा प्रवाहित हो रही है।

श्री राम कथा का सीधा प्रसारण संस्कार चैनल पर हो रहा है। दिव्य श्री राम कथा में आज मलूक पीठाधीश्वर पूज्य संत राजेन्द्र दास जी महाराज, वृन्दावन से आये पूज्य संत किशोरदास देवाचार्य जी महाराज एवं अन्य पूज्य संतों ने सहभाग किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कथा के मंच से देश वासियों को नशामुक्त जीवन पद्धति अपनाने का संदेश दिया। उन्होने जानकारी दी कि धूम्रपान करने से 30 रसायन शरीर में जाते है जो कैंसर कारक है। स्वामी जी ने कहा कि आजकल छोटे-छोटे बच्चे गुटखा खाते है। एक दिन में 8 से 10 बार गुटखा खाने का मतलब 40 सिगरेट पीने के बराबर है। वैज्ञानिक शोध के अनुसार वर्ष 2020 तक मौत के तीन मुख्य कारण स्मोकिंग है।

धूम्रपान से मुहं, गले, फेफडे, किडनी, ब्लेडर, पैक्रियाज व पेट का कैंसर का रिस्क होता है। दुनिया भर में हर साल करीब 5.5 खरब सिगरेट का उत्पादन होता है.
अरब से ज्यादा लोग इसका सेवन कर अपनी सेहत बिगाड़ रहे है। भारत में 10 अरब सिगरेट और 72 करोड़ 50 लाख किलो तम्बाकू का उत्पादन होता है जिसे विभिन्न रूपों में खाया जाता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती  महाराज ने कहा, ’’ जिन्दगी चुनें तम्बाकू नहीं, तम्बाकू को ना जीवन को हाँ। याद रखे तम्बाकू जानलेवा है भगवान ने गिनती की साँसे दी है एक सिगरेट पीने से एक साँस कम हो जाती है, एक बीड़ी पीने से दो साँसे कम हो जाती है और एक पैकेट गुटका खाने से चार साँसे कम हो जाती है।

उन्होने कहा कि भारत में दस लाख और विश्व स्तर में 70 लाख से अधिक लोग हर साल तम्बाकू और सिगरेट  के सेवन अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाते है। सिगरेट और तम्बाकू कैंसर कारक है; कैंसर का सबसे बड़ा कारण है इससे हमें बचना चाहिये।

स्वामी जी ने कहा कि हृदय रोग विशेषज्ञों ने बताया की दिल की बीमारी का प्रमुख कारण धूम्रपान है, लोग समझते है कि धूम्रपान से फेफड़े को ही नुकसान पहुंचता है परन्तु सच माने तो हृदय रोग का प्रमुख कारण धूम्रपान ही है।

स्वामी जी ने लोगों को पेसिव स्मोकिग से सचेत रहने का संदेश दिया। जब घर के दूसरे लोग धूम्रपान करते है तो इसका असर परिवार के सदस्यों एवं आसपास के लोगों पर भी पड़ता है ।

अतः अपने आसपास रहने वालों को भी तम्बाकू का सेवन न करने की सलाह दें जिससे उनका और पूरे परिवार का जीवन सुरक्षित किया जा सकता है। स्वामी जी ने कहा, ’’अगर जीवन से हमको है प्यार, तो तम्बाकू का करे बहिष्कार ।’’


जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती  ने कहा कि ’’रसगुल्ला हम इसलिये खाते है क्योकि उसका स्वाद, सुगंध और खुशबु हमें अच्छी लगती है इसलिये हम खाते है लेकिन तम्बाकू में क्या स्वाद है।

क्या सुगंध है जो हमें अच्छी लगती है वो तो हमारे शरीर को भी नुकसान करता है इसलिये हमें इन चीजों से बचना चाहिये। उन्होने कह कि मैं जब भारत आयी तो मुझे भारत की संस्कृति, संस्कार और दर्शन ने प्रभावित किया और मैं यही रह गयी। आपके पास तो जन्म से ही इस भूमि के संस्कार है इस धारण करे भूल मत जाईये।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने मानस कथा के मंच से स्कूली छात्रों और भारत के विभिन्न राज्यों से आये श्रद्धालुओं को संकल्प कराया कि तम्बाकू का सेवन न हम स्वयं करेंगे न दूसरों को करने देंगे। स्वामी जी ने कहा कि दूसरों को भी धूम्रपान न करने के लिये प्रेरित करेंगे तथा एक व्यक्ति दस को जगायेंगा और बनेगे ग्यारह यह संकल्प यहां से लेकर जाये।

 चूंकि कथा संस्कार चैनल पर लाइव प्रसारित है तथा पूरे विश्व के लोग इसे सुन रहे हैं, अतः सबसे स्वामी जी ने संकल्प कराया और कहा कि यही कथा की दक्षिणा है। जिन छात्रों के पोस्टर, चित्रकला और स्लोगन सबसे अच्छे और संदेश प्रसारित करने वाले थे उन्हे सम्मानित किया गया।

 स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में विश्व ग्लेाब का जलाभिषेक किया। स्वामी जी ने विद्यालय के छात्रों को रूद्राक्ष का पौधा देकर सम्मानित किया।

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