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रूद्रप्रयाग:

भूपेन्द्र भण्डारी


 फायर सीजन शुरू होते ही जंगलों में आग लगना भी शुरू हो जाती है। इस वर्ष भी यही हुआ और लगभग देवभूमि के सभी जंगल धू-धू कर जल रहे हैं और करोड़ों की वन सम्पदा राख हो रही है लेकिन जिम्मेदार हैं कि मौन धारण किए हुए हैं। रूद्रप्रयाग जनपद के जंगलों में लगी भीषण आग के कारण पूरा वातारण धूमिल नजर आ रहा है। 

बढ़ती गर्मी के साथ रूद्रप्रयाग जिले के कमोबेश सभी जंगलों में भीषण आग लगी हुई है जिस कारण करोड़ों की वन सम्पदा राख हो रही है और उसके साथ ही राख हो रहे हैं करोड़ों रूपयों के वनीकरण व जलागम विकास के काम साथ ही स्वाहा हो रही हैं स्थानीय लोगों की आशायें आकांक्षाए भी। 

रूद्रप्रयाग में जंगलों में आग लगाने का मुख्य कारण चीड़ के जंगलों का अधिक विकसित होना है। जितनी तेजी से चीड़ के जंगल बढ़़ रहे हैं उतनी ही तेजी से वनों की आग का प्रकोप बढ रहा है। अत्यधिक ज्वलंतशील होने के कारण चीड़ के जंगलों में आग जल्दी पकड़ी है और तेजी से सम्पूर्ण क्षेत्र में फैली है। जबकि जहां चीड़ की पत्तिया गिरती हैं वहां न अन्य वनस्पति उत्पन्न होती है और न घास-चारा। ऐसे में ग्रामीण भी नई घास उगाने के लिए जंगलों में आग लगाते हैं लेकिन इस आग से फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता है। 

 वन विभाग के पास आग बुझाने के लिए बातें और योजनायें तो बहुत हैं लेकिन पर्याप्त साधन तथा कर्मचारी न होने के कारण वे अग्नि सम्बन्धी घटनाओं से निपाटने में असफल रहते हैं। इससे एक बात तो साफ हो जाती है कि आपदाओं को लेकर हमारा सरकारी तंत्र कितना बेपरवाह है। नतीजा यह हो रहा कि बड़े पैमाने पर जंगल आग से राख हो रहे हैं और पशु-पक्षी आग की भेंट चढ़ रहे हैं लेकिन जिम्मेदार तमाशा देख रहे हैं। 

आँकड़ों की बात करें तो वर्ष 2014 से 25 मई 2019 तक आरक्षित वन क्षेत्र में आग लगने की 121 घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं, जबकि 188.35 हैक्टेयर क्षेत्र वनाग्नि की भेंट चढ़ चुका हैं इसी तरह से सिविल और वन पंचायत की भूमि में भी आग लगने की 128 घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं और 176.3 हैक्टेयर भूमि राख हो चुकी है। 

लेकिन अगर आग लगाने वालों के खिलाफ वन विभाग की तरफ से कार्यावाही की बात की जाय तो 214 से अब करीब साढ़े पांच वर्षों में केवल पांच व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया जिन्हें न्यूनतम जुर्माना अदा करने के बाद छोड़ दिया गया। रूद्रप्रयाग में वन विभाग की लचर कार्यशैली इन आँकड़ों से साफ जाहिर हो रही है। 

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