डोईवाला:
सूबे के मुखिया श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र डोईवाला में हम आपको एक ऐसा नजारा दिखा रहे हैं ।जो सिंचाई विभाग और नगरपालिका समेत रेलवे विभाग की लापरवाही को दर्शाता है । नगर पालिका और सिंचाई विभाग दोनों की जिम्मेवारी है कि किसानों के खेतों में पानी पहुंचाने वाली नहरों की देखरेखहै कि करें और नहरों की मरम्मत आदि का ख्याल रखें ताकि साफ़ पानी खेतों में सिंचाई के लिए उपलब्ध हो सके. । प्रत्येक तीन या चार माह में नहरों द्वारा किसानों को सिंचाई की आवश्यकता होती है । उस पर भी किसान स्वयं नहरों से कूड़ा निकालते हुए और नहर के लिए रास्ता बनाते है । देखिये इन चित्रों में किस प्रकार किसान अपने खेतों तक पानी पंहुचाने के लिए 10 किमी तक नहर का रास्ता साफ़ कर रहे है. जिसे नगर वासियों ने कूड़े करकट से भर दिया है. और नगरपालिका डोईवाला भी जिस पर मौन साधे बैठी रहती है. विभाग अपना-अपना पल्ला झाड़ने में लगे रहते है.
इसी क्रम में11 मई ,2019 को किसानों ने लछीवाला से लेकर रेलवे स्टेशन डोईवाला नहर की खुदाई जगह जगह की ताकि साफ पानी उनके खेतों तक पहुंच सके ।
इसी बीच डोईवाला रेलवे रोड से होकर जाने वाली नहर की दशा आप इस वीडियो में देख पाएंगे जैसा कि हम जानते हैं कि कोई वाला रेलवे स्टेशन पर रेलवे विभाग द्वारा पटरी आ जाने और प्लेटफार्म बनाने का कार्य प्रगति पर है इसी स्थान पर रेलवे लाइन के नीचे से एक भूमिगत नहर सिंचाई के लिए किसानों के खेतों तक जाती है अब यह नजारा देखिए बनाने के लिए रेलवे विभाग ने अपनी जमीन पर मात्र कुछ ही दूरी तक पक्की नहर का निर्माण कर दिया और यही नहीं बल्कि 15 फुट से अधिक गहरा गड्ढा भी बना दिया ,जिसकी आवश्यकता नहीं थी।
इस नहर के ऊपर से मोहाना खुला छोड़ दिया जो कभी भी दुर्घटना का सबब बन सकता है
किसानों के अनुसार पहली बात तो इस नहर को रेलवे विभाग द्वारा पूरी तरह से बाउंड्री तक पूरी पक्की बना कर देना चाहिए था
दूसरा इस नहर को 15 फुट तक की गहराई देने की आवश्यकता नहीं थी ,यह जरूरत से कहीं अधिक दुगनी से भी अधिक गहराई है ।
यह लापरवाही देखने में आई है ,जब किसान अपने खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए घरों की सफाई लच्छीवाला से करते नहर हुए रेलवे तक चले आये ।
उन्होंने किसानों का कहना है कि इसी प्रकार प्रत्येक तीन या चार महा में उन्हें लहरों की सफाई करने के लिए स्वयं आना पड़ता है कोई भी अधिकारी या कर्मचारी नगर पालिका अथवा सिंचाई विभाग से उनकी सहायता के लिए नहीं आता है ।
जबकि यहां कार्य करते करते उनको बीमारियां भी लग जाती है ।
अब सवाल यह उठता है कि कृषि प्रधान देश में जहां किसानों को समस्त सुविधाएं मुहैया कराए जाने का प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रयास किया जा रहा है और डोईवाला जैसे स्थान को शहर की श्रेणी में रखकर नगरपालिका ढिंढोरा पीट रहा है ,क्या उचित है?
सूबे के मुखिया श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र डोईवाला में हम आपको एक ऐसा नजारा दिखा रहे हैं ।जो सिंचाई विभाग और नगरपालिका समेत रेलवे विभाग की लापरवाही को दर्शाता है । नगर पालिका और सिंचाई विभाग दोनों की जिम्मेवारी है कि किसानों के खेतों में पानी पहुंचाने वाली नहरों की देखरेखहै कि करें और नहरों की मरम्मत आदि का ख्याल रखें ताकि साफ़ पानी खेतों में सिंचाई के लिए उपलब्ध हो सके. । प्रत्येक तीन या चार माह में नहरों द्वारा किसानों को सिंचाई की आवश्यकता होती है । उस पर भी किसान स्वयं नहरों से कूड़ा निकालते हुए और नहर के लिए रास्ता बनाते है । देखिये इन चित्रों में किस प्रकार किसान अपने खेतों तक पानी पंहुचाने के लिए 10 किमी तक नहर का रास्ता साफ़ कर रहे है. जिसे नगर वासियों ने कूड़े करकट से भर दिया है. और नगरपालिका डोईवाला भी जिस पर मौन साधे बैठी रहती है. विभाग अपना-अपना पल्ला झाड़ने में लगे रहते है.
इसी क्रम में11 मई ,2019 को किसानों ने लछीवाला से लेकर रेलवे स्टेशन डोईवाला नहर की खुदाई जगह जगह की ताकि साफ पानी उनके खेतों तक पहुंच सके ।
इसी बीच डोईवाला रेलवे रोड से होकर जाने वाली नहर की दशा आप इस वीडियो में देख पाएंगे जैसा कि हम जानते हैं कि कोई वाला रेलवे स्टेशन पर रेलवे विभाग द्वारा पटरी आ जाने और प्लेटफार्म बनाने का कार्य प्रगति पर है इसी स्थान पर रेलवे लाइन के नीचे से एक भूमिगत नहर सिंचाई के लिए किसानों के खेतों तक जाती है अब यह नजारा देखिए बनाने के लिए रेलवे विभाग ने अपनी जमीन पर मात्र कुछ ही दूरी तक पक्की नहर का निर्माण कर दिया और यही नहीं बल्कि 15 फुट से अधिक गहरा गड्ढा भी बना दिया ,जिसकी आवश्यकता नहीं थी।
इस नहर के ऊपर से मोहाना खुला छोड़ दिया जो कभी भी दुर्घटना का सबब बन सकता है
किसानों के अनुसार पहली बात तो इस नहर को रेलवे विभाग द्वारा पूरी तरह से बाउंड्री तक पूरी पक्की बना कर देना चाहिए था
दूसरा इस नहर को 15 फुट तक की गहराई देने की आवश्यकता नहीं थी ,यह जरूरत से कहीं अधिक दुगनी से भी अधिक गहराई है ।
यह लापरवाही देखने में आई है ,जब किसान अपने खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए घरों की सफाई लच्छीवाला से करते नहर हुए रेलवे तक चले आये ।
उन्होंने किसानों का कहना है कि इसी प्रकार प्रत्येक तीन या चार महा में उन्हें लहरों की सफाई करने के लिए स्वयं आना पड़ता है कोई भी अधिकारी या कर्मचारी नगर पालिका अथवा सिंचाई विभाग से उनकी सहायता के लिए नहीं आता है ।
जबकि यहां कार्य करते करते उनको बीमारियां भी लग जाती है ।
अब सवाल यह उठता है कि कृषि प्रधान देश में जहां किसानों को समस्त सुविधाएं मुहैया कराए जाने का प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रयास किया जा रहा है और डोईवाला जैसे स्थान को शहर की श्रेणी में रखकर नगरपालिका ढिंढोरा पीट रहा है ,क्या उचित है?
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