रुद्रप्रयाग :
भूपेंद्र भंडारी
जब कोई सुनने वाला और देखने वाला न हो तब किस तरह नौकरशाह हावी होता है और आज आदमी के हक पर किस तरह गाढ़ी कमाई करते हैं इसका नमूना रूद्रप्रयाग जनपद में दिख रहा है। रसोई गैस जो एक आम उपभोक्ता की सबसे पहली जरूरतों में से एक है। लेकिन अंदाजा लगाई जब यही जरूरी आवश्यकता पांच-पांच महिनों से ग्रामीणों को नसीब न हो रही हो तो कितनी परेशानियां झेलनी पड़ रहीं होंगी।
रूद्रप्रयाग जनपद के तीनों विकासखण्ड, जखोली, उखीमठ और अगस्त्यमुनि के बाजारों को छोड़कर दूरस्थ इलाकों में करीब 4 से पाँच माह से उपभोक्ताओं को रसोई गैस नहीं मिल पाई है। जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन दिनों जहाँ ग्रामीणों क्षेत्रों में गेहूँ की फसल की कटाई का सीजन चल रहा है वहीं दिन में भारी गर्मी भी पड़ रही है। ऊपर से रसोई गैस न आने के कारण ग्रामीणों को लकड़ी के चूल्हे का सहारा लेना पड़ रहा है जिससे उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
राई सिंह बिष्ट, नीरज पुरोहित ,नीरज पुरोहित ग्रामीण के अनुसार तिलवाड़ा, सुमाड़ी सहित जखोली के दूरस्थ क्षेत्र व धनपुर, तल्लानागपुर और कालीमठ घाटी में रसोई गैस की भारी किल्लत बनी हुई है।
भूपेंद्र भंडारी
जनपद के दूरस्थ क्षेत्रों में पिछले कई महिनों से घरेलु गैस नहीं पहुँच रही है जबकि गैस गोदाम में हर महिने पर्याप्त गैस पहुँच रही है। आखिर ग्रामीणों के हिस्से की गैस कहाँ जा रही है? हमने इसका बड़ा खुलासा किया है,
रिपोर्ट देखिए और समझिए किस तरह से रसोई गैस की कालाबाजारी की जा रही है ---
रिपोर्ट देखिए और समझिए किस तरह से रसोई गैस की कालाबाजारी की जा रही है ---
जब कोई सुनने वाला और देखने वाला न हो तब किस तरह नौकरशाह हावी होता है और आज आदमी के हक पर किस तरह गाढ़ी कमाई करते हैं इसका नमूना रूद्रप्रयाग जनपद में दिख रहा है। रसोई गैस जो एक आम उपभोक्ता की सबसे पहली जरूरतों में से एक है। लेकिन अंदाजा लगाई जब यही जरूरी आवश्यकता पांच-पांच महिनों से ग्रामीणों को नसीब न हो रही हो तो कितनी परेशानियां झेलनी पड़ रहीं होंगी।
रूद्रप्रयाग जनपद के तीनों विकासखण्ड, जखोली, उखीमठ और अगस्त्यमुनि के बाजारों को छोड़कर दूरस्थ इलाकों में करीब 4 से पाँच माह से उपभोक्ताओं को रसोई गैस नहीं मिल पाई है। जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन दिनों जहाँ ग्रामीणों क्षेत्रों में गेहूँ की फसल की कटाई का सीजन चल रहा है वहीं दिन में भारी गर्मी भी पड़ रही है। ऊपर से रसोई गैस न आने के कारण ग्रामीणों को लकड़ी के चूल्हे का सहारा लेना पड़ रहा है जिससे उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
राई सिंह बिष्ट, नीरज पुरोहित ,नीरज पुरोहित ग्रामीण के अनुसार तिलवाड़ा, सुमाड़ी सहित जखोली के दूरस्थ क्षेत्र व धनपुर, तल्लानागपुर और कालीमठ घाटी में रसोई गैस की भारी किल्लत बनी हुई है।
आखिर उपभोक्ताओं तक इतने लम्बे समय से गैस क्यों नहीं पहुंच पा रही हैं ?हमने इसकी भी पड़ताल की हैं। लेकिन पहले जरा आँकड़ों से स्थिति समझिए। रूद्रप्रयाग जनपद में इण्डेन गैस सर्विस केघरेलू गैस उपभोक्ताओं की संख्या करीब 24 हजार है। जिले में हर महिने औसतन आठ हजार सिलेण्डरों की खपत होती है। जबकि छः सौ व्यावसायिक उपभोक्ता हैं जिनकी आवश्यकता यात्राकाल में 4 से 5 सौ तक बढ़ जाती है जबकि आम दिनों में करीब डेढ़ सौ तक की खपत रहती है। जिले में इण्डेन गैस के घरेलू सिलेण्डर हर महिने 8 हजार सिलेण्डर पहुंचते हैं लेकिन बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर ये आठ हजार सिलेण्डर जाते कहां हैं? जब हमने इसकी पड़ताल रूद्रप्रयाग के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में की तो बड़ा खुलासा हुआ। रूद्रप्रयाग के कुछ होटलों को छोड़कर लगभग सभी दुकानों में धडल्ले से घरेलू गैस का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन न पूर्ति विभाग इस ओर शक्ति दिखा रहा है और न जिला प्रशासन।
दरअसल घरेलू गैस की इस कालाबाजारी के खेल में विभाग से लेकर गैस प्रबन्धन तक के अधिकारियों और कर्मचारियों का गठजोड़ बना हुआ है जिनकी शह पर होटल व्यवसाय खुले आम ग्रामीणों के हक पर चांदी काट रहे हैं। ग्रामीणों क्षेत्रों लोगों द्वारा कई बार शिकायतें भी की गई लेकिन इस राम राज्य इन ग्रामीणों की न तो कोई पूछने वाला है और न ही सुनने वाला। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस खबर दिखाने के बाद विभाग हरकत में आता है या नहीं।
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