ऋषिकेश :
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश की ओर से शनिवार को अस्पताल से संबंधित नियमों, सुरक्षा मानकों,अग्नि सुरक्षा आदि विषयों पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
जिस पर पीजीआई चंडीगढ़, एम्स जोधपुर, एम्स भुवनेश्वर आदि स्थानों से आए विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिए। शनिवार को एम्स अस्पताल प्रशासन की ओर से आयोजित कार्यशाला का बतौर मुख्य अतिथि संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर निदेशक एम्स प्रो.रवि कांत ने कहा कि नियम कानून का मकसद कार्य में अवरोध पैदा करना नहीं बल्कि कार्य को किस तरह से सफलता के साथ पूर्ण किया जाए यह होना चाहिए।
निदेशक एम्स ने बताया कि अस्पताल के सभी नियम कायदे मरीजों के हित के लिए हैं, जिनके पालन को लेकर अस्पताल प्रशासन प्रतिबद्ध है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने कहा कि अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारियों को नियमित रूप से इस तरह की कार्यशालाओं में प्रतिभाग की आवश्यकता होती है। पीजीआई चंडीगढ़ के डा.पंकज अरोड़ा ने प्रतिभागियों को बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि अस्पताल से निकलने वाले सूखे व गीले कूड़े को अलग अलग रखना जरूरी है।बताया कि हास्पिटल वेस्ट जैसे प्लास्टिक सीरिंज, प्लास्टिक बॉटल्स को रेड डस्टबिन, कांच की वेस्ट सामाग्री को नीले डस्टबिन, संक्रमित रूई,रक्त से सने हुए कपड़ों को पीले और धातु से बनी वेस्ट सामाग्री को सफेद रंग के डस्टबिन में एकत्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने सभी कर्मचारियों को हास्पिटल वेस्ट मैनेजमेंट की ट्रेनिंग दी जाने की नितांत आवश्यकता बताई। पीजीआई चंडीगढ़ की डा.श्वेता तलाटी ने फायर सेफ्टी संबंधी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अस्पताल के भीतर आग लगने की स्थिति में त्वरित कार्यवाही से नुकसान को बचाया जा सकता है।कार्यशाला में डा. नवनीत ढालीवा भ्रूण परीक्षण एक्ट 1994 पर व्याख्यान दिया। कार्यशाला आयोजन समिति के अध्यक्ष एम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा.ब्रह्मप्रकाश व आयोजन समिति के सचिव डा.कुमार सतीश रवि रहे। इस अवसर पर उत्तराखंड के विभिन्न जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के अलावा डीन प्रो.सुरेखा किशोर, डीन (एलुमिनाई) प्रोफेसर बीना रवि, एम्स जोधपुर के एमएस डा.अरविंद सिन्हा,एम्स भुवनेश्वर एमएस डा.साची मोहांती,पीजीआई चंडीगढ़ एमएस डा.एके गुप्ता,डीएमएस डा.संतोष कुमार, डा.रूप भूषण कालिया, डा.अजीत भदौरिया,डा.अनुभा अग्रवाल, डा.पूर्वी कुलश्रेष्ठा, डा.प्रेरणा बब्बर, डा.केपीएस मलिक, डा.शशि प्रतीक, डा.बलराम ओमर, डीपी लखेड़ा आदि मौजूद थे।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश की ओर से शनिवार को अस्पताल से संबंधित नियमों, सुरक्षा मानकों,अग्नि सुरक्षा आदि विषयों पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
निदेशक एम्स ने बताया कि अस्पताल के सभी नियम कायदे मरीजों के हित के लिए हैं, जिनके पालन को लेकर अस्पताल प्रशासन प्रतिबद्ध है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने कहा कि अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारियों को नियमित रूप से इस तरह की कार्यशालाओं में प्रतिभाग की आवश्यकता होती है। पीजीआई चंडीगढ़ के डा.पंकज अरोड़ा ने प्रतिभागियों को बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि अस्पताल से निकलने वाले सूखे व गीले कूड़े को अलग अलग रखना जरूरी है।बताया कि हास्पिटल वेस्ट जैसे प्लास्टिक सीरिंज, प्लास्टिक बॉटल्स को रेड डस्टबिन, कांच की वेस्ट सामाग्री को नीले डस्टबिन, संक्रमित रूई,रक्त से सने हुए कपड़ों को पीले और धातु से बनी वेस्ट सामाग्री को सफेद रंग के डस्टबिन में एकत्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने सभी कर्मचारियों को हास्पिटल वेस्ट मैनेजमेंट की ट्रेनिंग दी जाने की नितांत आवश्यकता बताई। पीजीआई चंडीगढ़ की डा.श्वेता तलाटी ने फायर सेफ्टी संबंधी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अस्पताल के भीतर आग लगने की स्थिति में त्वरित कार्यवाही से नुकसान को बचाया जा सकता है।कार्यशाला में डा. नवनीत ढालीवा भ्रूण परीक्षण एक्ट 1994 पर व्याख्यान दिया। कार्यशाला आयोजन समिति के अध्यक्ष एम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा.ब्रह्मप्रकाश व आयोजन समिति के सचिव डा.कुमार सतीश रवि रहे। इस अवसर पर उत्तराखंड के विभिन्न जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के अलावा डीन प्रो.सुरेखा किशोर, डीन (एलुमिनाई) प्रोफेसर बीना रवि, एम्स जोधपुर के एमएस डा.अरविंद सिन्हा,एम्स भुवनेश्वर एमएस डा.साची मोहांती,पीजीआई चंडीगढ़ एमएस डा.एके गुप्ता,डीएमएस डा.संतोष कुमार, डा.रूप भूषण कालिया, डा.अजीत भदौरिया,डा.अनुभा अग्रवाल, डा.पूर्वी कुलश्रेष्ठा, डा.प्रेरणा बब्बर, डा.केपीएस मलिक, डा.शशि प्रतीक, डा.बलराम ओमर, डीपी लखेड़ा आदि मौजूद थे।
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