बजट 2019
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वित्त मंत्री की ओर से बजट पेश करने के बाद कहा कि हमारी सरकार की योजनाओं ने देश के हर व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। इस बजट से 3 करोड़ से ज्यादा मध्यम वर्ग के टैक्स देने वालों को और 30- 40 करोड़ श्रमिकों को सीधा लाभ मिलना तय हुआ है । देश का एक बहुत बड़ा वर्ग आज अपने सपनें साकार करने में और देश के विकास को गति देने में लगा हुआ है, उनके लिए सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। मोदी ने कहा कि हमारा पूरा प्रयास है कि किसानों को सशक्त करके उन्हें वे संसाधन दें, जिनसे वे अपनी आय दोगुनी कर सकें। ये बजट गरीब को शक्ति देगा, किसान को मजबूती देगा, श्रमिकों को सम्मान देगा, मध्यम वर्ग के सपनों को साकार करेगा, ईमानदार आयकरदाताओं का गौरवगान करेगा, इंफ्रास्ट्रक्टर निर्माण को गति देगा और अर्थव्यवस्था को बल देगा।मोदी ने कहा कि ये बजट न्यू इंडिया के लक्ष्यों की प्राप्ति में देश के 130 करोड़ लोगों को नई ऊर्जा देगा, ये बजट सर्वव्यापी, सर्वस्पर्शी और सर्व-समावेशी है ।पेंशन योजना के लिए शुरुआत में 500 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया
असंगठित क्षेत्र में कार्यरत 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को प्रतिमाह 3000 रुपए पेंशन की घोषणा बजट में की गई है। वित्त मंत्री वे बताया कि सरकार प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन नाम की पेंशन योजना लॉन्च करेगी।
वित्त मंत्री पीयूष गोयल कहा प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन नाम से मेगा पेंशन योजना के तहत 15 हजार से कम वेतन वालों के लिए न्यूनतम 3000 रुपए की पेंशन मिलेगी। उन्हें 100 रुपए प्रति महीने का अंशदान करना होगा और इतना ही योगदान सरकार की तरफ से होगा। असंगठित क्षेत्र के 10 करोड़ कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा।
60 साल पूरे होने के बाद हर महीने 3000 रुपए मिलेंगे। ये पेंशन योजना इसी वित्तीय वर्ष में शुरू होगी। पेंशन योजना के लिए शुरुआत में 500 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया।
उन्होंने कहा जिनका पीएफ कटता है, उनका 6 लाख का इंश्योरेंस होगा। श्रमिक की मौत पर अब छह लाख रुपए का मुआवजा दिया।
[वित्त मंत्री ने जैसे ही किसानों के हितों की घोषणाएं शुरू की उसी के साथ गांव का किसान खुशी से उछल पड़ा
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बजट भाषण में बड़ा ऐलान किया कि सरकार छोटे किसानों के खातों में सीधा पैसा डालेगी। जिन किसानों के पास 2 हेक्टेयर जमीन है, उन्हें सरकार हर साल 6000 रुपए सीधे खाते में जमा करेगी। यह राशि हर महीने बैंक खाते में 500 रुपए के रूप में जमा होगी। इससे 12 करोड़ किसानों को फायदा होगा। सरकार ने इसके लिए बजट में 75 हजार करोड़ का प्रावधान किया है।
- 2 हेक्टेयर तक की जमीन वाले किसानों के खाते में सीधे 6 हजार रुपए देंगे। छोटे और सीमांत किसानों को निश्चित आय मिले। इसके लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को मंजूरी मिली है। किसानों के खाते में हर महीने पांच सौ रुपए मिलेंगे। 12 करोड़ किसान परिवारों को इससे फायदा मिलेगा। इस योजना पर सालाना 75 हजार करोड़ खर्च होंगे। मनरेगा को लिए 60 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए। गांवों में शहरों जैसी व्यवस्था पर जोर दिया जा रहा है। फसलों का एमएसपी लागत से डेढ़ गुना किया है। एक दिसंबर 2018 से किसानों के खाते में जाएंगे पैसे।
- पीयूष गोयल ने बजट भाषण में कहा कि लगभग तीन लाख करोड़ रुपए बैंकों और ऋण देने वाली संस्थाओं के पास वापस आए। बड़े डिफॉल्टर्स से सरकार सख्ती से निपट रही है। हमारी सरकार ने 22 फसलों का एमएसपी बढ़ाया। लागत से डेढ़ गुना कीमत देने का फैसला किया।
- प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को ब्याज में दो फीसद छूट दी जाएगी। वहीं अगर किसान वक्त पर ऋण की किस्त भरते हैं तो उन्हें ब्याज में तीन फीसद की छूट मिलेगी।
- किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी हो जाएगी, हम न्यू इंडिया की तरफ बढ़ रहे हैं। स्वच्छ भारत अभियान राष्ट्रीय आंदोलन बना। देश इस साल गांधीजी की 150वीं जयंती मना रहा है। ये उन्हें सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। गांवों को खुले में शौच से मुक्ति मिली है। देश के 98 फीसद गांवों में शौचालय बनाए गए। 5.45 लाख गांव पूरी तरह खुले में शौच से मुक्त हो गए।
[01/02, 14:20] +91 70179 11361: 10 करोड़ मजदूरों के लिए पेंशन योजना, जिनका EPF कटता है उन्हें 6 लाख का बीमा मिलेगा, पेंशन योजना का नाम सुनते ही श्रमिक मेघराज के चेहरे पर आई लाली
नई दिल्ली। बजट भाषण में पीयूष गोयल ने श्रमिकों के लिए बड़ा ऐलान किया है। मजदूरों के लिए एक पेंशन स्कीम लाई जाएगी। जिसे प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना नाम दिया गया है। इस योजना के तहत सरकार असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों जिनका पीएफ कटता है, उनका 6 लाख का इंश्योरेंस होगा। 15 हजार से कम वेतन पर पेंशन योजना शुरू की गई है। हर महीने तीन हजार रुपए की पेंशन दी जाएगी। इसके लिए हर महीने 100 रुपए का अंशदान देना होगा।
गोयल ने कहा कि देश में रोजगार के मौके बढ़े हैं। दो करोड़ से ज्यादा EPFO अकाउंट खुले हैं। मजदूरों को कम से कम एक हजार रुपए पेंशन मिलेगी। 10 करोड़ मजदूरों के लिए पेंशन योजना लाई गई है। जिनका ईपीएफ कटता कटता है, उनका छह लाख रुपए तक का बीमा किया जाएगा ।
बजट भाषण में पीयूष गोयल ने श्रमिकों के लिए बड़ा ऐलान किया है। मजदूरों के लिए एक पेंशन स्कीम लाई जाएगी। जिसे प्रधानमंत्री श्रम योगी मान धन योजना नाम दिया गया है। इस योजना के तहत सरकार असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को हर महीने तीन हजार रुपए की पेंशन दी जाएगी। इसके लिए हर महीने 100 रुपए का अंशदान देना होगा।
केंद्र सरकार ने बजट में सैनिकों के लिए बड़े ऐलान किए हैं। पीयूष गोयल ने अपने भाषण में बताया कि वन रैंक वन पेशन यानि ओआरओपी की घोषणा हमने की थी। पिछली सरकारों ने तीन बजट में इसकी बात कही थी, लेकिन 500 करोड़ का प्रावधान अंतिरम बजट में किया था। हमने इसके लिए 35 हजार करोड़ रुपए दिए हैं।
बकौल पीयूष गोयल, पहली बार हमारा रक्षा बजट तीन लाख करोड़ से ज्यादा हुआ है। 40 साल से अटकी वन रैंक, वन पेंशन योजना हमने लागू की। जोखिम वाली जगहों पर तैनात जवानों के लिए भत्ते बढ़ाए हैं।
महिलाओं के लिए कुछ खास सौगातें
वित्त मंत्री ने कहा, देश में उज्ज्वला योजना के तहत छह करोड़ मुफ्त गैस कनेक्शन दिए गए। मुद्रा योजना में 15 लाख करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया है। इसमें 70 फीसद महिलाएं लाभांवित हुई है। सिर्फ सरकारी नौकरी में ही रोजगार नहीं है।26 हफ्तों की मैटरनिटी लीव और प्रधानमंत्री मातृत्व योजना से देश की महिलाएं सशक्त हो रही हैं।
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने साफ की इनकम टैक्स में छूट की तस्वीर
बजट में आज 5 लाख तक की टैक्स छूट के ऐलान ने मिडिल क्लास को कुछ देर के लिए चक्कर में डाल दिया। पहले लोगों का ऐसा चेहरा खिला की संसद में भी मोदी-मोदी के नारे गूंज उठे, लेकिन बाद में असली पिक्चर सामने आने पर 5 लाख से ज्यादा इनकम वालों के चेहरे लटक गए। दरअसल अंतरिम बजट में 5 लाख तक टैक्सेबल इनकम ही टैक्स फ्री की गई है। टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
मतलब अब तस्वीर यह है कि अगर आपकी टैक्सेबल इनकम (टैक्स छूट घटाने के बाद) 5 लाख से ज्यादा है, तो आपको मौजूद टैक्स स्लैब के हिसाब से ही टैक्स चुकाना होगा। कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बजट के बाद यह बात क्लियर की और ऐसा क्यों किया, इसकी वजह भी बताई। बजट में मिडिल क्लास के लिए एक छूट की छोटी से बूंद स्टैंडर्ड डिडक्शन के जरिए आई है, जिसे 40 हजार से बढ़ाकर 50 हजार किया गया है।
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि टैक्स के प्रपोजल जुलाई में आने वाले मुख्य बजट में आएंगे। उन्होंने कहा, 'मैंने टैक्स में कोई बदलवा नहीं किया है। टैक्स रेट और लिमिट के प्रपोजल मेन बजट में तय होंगे। जनता का आशीर्वाद बना रहेगा, तो जुलाई 2019 में मोदी सरकार यह बजट लेकर आएगी।
बताया क्यों किया ऐसा
आखिर 5 लाख की आय वालों को हीयह छूट क्यों दी गई, गोयल ने इसकी वजह भी बताई। उन्होंने कहा, 'एक ऐसा वर्ग है जो निम्न मध्यम वर्ग है। PM मोदी ने इन्हें नियो मिडिल क्लास कहा था। इन सबको अगर अभी टैक्स लाभ का पता नहीं चलता, तो टैक्स डिडक्शन के कारण फाइनल बजट तक इनकम में कटौती होती और उनकी आमदनी घटती। इससे उनको रिफंड के लिए टैक्स विभाग के पास जाना होता। इस सब असुविधा से बचाने के लिए 3 करोड़ से अधिक टैक्सपेयर्स को यह लाभ दिया गया है।' उन्होंने कहा कि जिसकी भी टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये तक है, वह इस छूट का हकदार होगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि 5 लाख तक की टैक्सेबल इनकम के सभी लोग टैक्स के दायरे से बाहर निकल जाएंगे। उन्होंने इसे समझाते हुए कहा कि इनकम टैक्स ऐक्ट में घोषित डिडक्शन के बाद टैक्सेबल इनकम की गणना होती है। अगर किसी ने डेढ़ लाख रुपये पीएफ आदि में डालें हों, घर खरीदने पर 2 लाख का ब्याज दिया हो, मेडिक्लेम आदि डिडक्शन क्लेम किया हो, तो इसके बाद जिनकी इनकम पांच लाख से कम आती है, उन पर टैक्स का बोझ नहीं पडे़गा। उन्होंने कहा कि इसका सरकार पर साढ़े 18 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। तीन करोड़ मिडिल क्लास टैक्सपेयर्स को इसका फायदा होगा। छोटे व्यापारी, सैलरीड क्लास, पेंशनर्स फायदे में रहेंगे।
पांच लाख से ज्यादा इनकम वालों के लिए क्या?
वित्त मंत्री ने कहा, 'जिनकी इनकम पांच लाख से ज्यादा है, उनके लिए जो पुराना टैक्स स्लैब है, उसे जारी रखा गया है। उसके ऊपर जब मेन बजट आएगा, तब विचार किया जाएगा। अभी के अंतरिम बजट में इसे शामिल नहीं किया गया है।
पांच लाख से ज्यादा आय वालों के लिए बस 10 हजार की छूट
इस बजट में मिडल क्लास के पल्ले सिर्फ 10 हजार की सीधी छूट आई है। पांच लाख से ज्यादा वेतन पाने वालों को स्टैंडर्ड डिडक्शन 40 हजार था, जिसे बढ़ाकर 50 हजार किया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि इस छूट के बाद कोई 5 लाख से नीचे आता है, तो उसे भी लाभ मिलेगा।
रेलवे को 64,587 करोड़ का आवंटन,
मानव रहित क्रासिंग को पूरी तरह से हटाएंगे
नई दिल्ली। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट में रेलवे को 64,587 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। संसद में अंतरिम बजट प्रस्तुत करते हुए गोयल ने कहा कि भारतीय रेलवे के इतिहास में अब का सबसे सुरक्षित वर्ष रहा है। हमने उत्तर पूर्व में माल ढुलाई सेवा शुरू की है।
ब्रॉड गेज नेटवर्क के सभी मानव रहित क्रासिंग को पूरी तरह से हटा दिया जाएगा। इंजनरहित ट्रेन 18 के विनिर्माण के बारे में उन्होंने कहा कि वंदे भारत एक्सप्रेस स्पीड, सुरक्षा और सेवा के मामले में विश्वस्तीय सेवा मुहैया कराएगी। हमारे इंजीनियरों द्वारा विकसित यह बड़ी सफलता है, जो मेक इन इंडिया कार्यक्रम को गति प्रदान करेगी और रोजगार पैदा करेगी।
उन्होंने कहा कि रेलवे को बजटीय आवंटन में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 64,587 करोड़ रुपये प्रदान किया गया है। वास्तव में रेलवे का कुल पूंजीगत खर्च 1,58,658 करोड़ रुपये रहेगा, जो ऐतिहासिक है। गोयल ने यह भी कहा कि रेलवे का परिचालन अनुपात कम होकर वित्त वर्ष 2019-20 में 95 फीसदी रहेगा, जबकि वित्त वर्ष 2018-19 में यह 96.2 फीसदी था।
अरूण जेटली ने की पीयूष गोयल की तारीफ, बोले -मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ेगी
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने किसान हितैषी और गरीब हितैषी बजट पेश करने के लिये शुक्रवार को वित्त मंत्री पीयूष गोयल की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस बजट से मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति भी बढ़ेगी।
जेटली अभी इलाज के लिये अमेरिका गये हुए हैं। उनकी जगह अभी गोयल वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे हैं। जेटली की अनुपस्थिति में गोयल ने ही लोकसभा में शुक्रवार को 2019-20 का अंतरिम बजट पेश किया। जेटली ने एक के बाद एक ट्वीट करते हुए कहा, यह बजट बिना किसी शक के वृद्धि के अनुकूल, राजकोषीय नियंत्रण को बढ़ावा देने वाला, किसान हितैषी, गरीब हितैषी और भारतीय मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति को बढ़ाने वाला है। उन्होंने कहा, वर्ष 2014 से 2019 के बीच सारे बजट मध्यम वर्ग को राहत देने वाला रहा है। जेटली ने कहा कि यह बजट खर्च को बढ़ावा देने के साथ ही राजकोषीय स्थिति को नियंत्रण में रखने वाला है। उन्होंने कहा कि यह अंतरिम बजट सरकार के समक्ष पिछले पांच साल के कामकाज की समीक्षा करने और अपने प्रदर्शन को लोगों के सामने रखने का अवसर भी रहा।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने मोदी सरकार के बजट को जुमलों से भरा बताया, राहुल और पी चिदंबरम ने भी बजट को निराशाजनक कहा
मायावती ने मोदी सरकार के अंतिम बजट को जुमलों से भरा करार देते हुये इसे जमीनी हकीकत से दूर बताया है। वित्तमंत्री पीयूष गोयल द्वारा शुक्रवार को लोकसभा में पेश किये गये अंतरिम बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये मायावती ने कहा ''सरकार का अन्तिम और चुनाव पूर्व अन्तरिम बजट जमीनी हकीकत और समस्याओं के समाधान से दूर एवं जुमलेबाजी वाला बजट है। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा ''पिछले पाँच वर्षों के कार्यकाल में देश में आर्थिक असमानता की खाई बढ़ी है। इससे धन और विकास कुछ मुट्ठीभर धनकुबेरों के हाथ में सिमट गया है। यह इस सरकार की विफलता के अलावा गरीब और किसान विरोधी होने को भी प्रमाणित करता है।
मायावती ने कहा कि भाजपा के बड़े वादों और दावों की जुमलेबाजी से देश की तकदीर नहीं बदल सकती है। इससे देश में लम्बे समय से जारी जर्बदस्त मंहगाई, गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी की समस्या समाप्त नहीं हो सकती है। अंतरिम बजट देश की जनता को मायूस और बेचैन करने वाला ही है।
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बजट में घोषित 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को लेकर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि प्रतिनिधि 17 रुपये दिए जाने का प्रावधान करना किसानों का अपमान है। इसके साथ ही राहुल गांधी ने ट्वीट मे हैशटैग का भी इस्तेमाल किया।राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, 'प्रिय नरेंद्र मोदी जी, आपकी पांच वर्षों की अक्षमता और अहंकार ने हमारे किसानों के जीवन को बर्बाद कर दिया। उनको प्रतिदिन 17 रुपये देना हर उस चीज का अपमान है जिसके लिए किसान खड़े हैं और काम कर रहे हैं।' दूसरी ओर,
पूर्व वित्तमंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने शुक्रवार को कार्यवाहक वित्तमंत्री पीयूष गोयल की तरफ से पेश किए गए अंतरिम बजट की आलोचना करते हुए कहा कि यह कांग्रेस पार्टी की तरफ से गरीबों के लिए आइडिया की कॉपी है।
सीनियर कांग्रेस नेता ने ट्वीट करते हुए कहा- “अंतरिम बजट में में कांग्रेस की कॉपी करने के लिए शुक्रिया, जिसने इस बात की घोषणा की कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार गरीब लोगों का है।”
उन्होंने कहा- यह वोट ऑन एकाउंट नहीं बल्कि था। यह एकाउंट ऑन वोट्स था। अरूण जेटली के इलाज के ले अमेरिका जाने के बाद वित्तमंत्री का कार्यभार पीयूष गोयल को दिया गया है। जिन्होंने मई में होने जा रहे आम चुनाव से पहले बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार का बजट पेश किया ।
2022 तक हर परिवार के पास होगा सर्वसुविधायुक्त अपना घर: गोयल
केन्द्रीय वित्त, कॉरपोरेट मामले, रेल और कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को संसद में अंतरिम बजट 2019-20 पेश करते हुए कहा कि यह आम आदमी का बजट है और हमारी सरकार आम आदमी के सपनों को पूरा करने के लिए कटिबद्ध है। किसानों, कारोबारियों, कर्मचारियों से लेकर गृहणी तक की आवश्यकताओं का सरकार ने ध्यान रखा है और उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश की है।
केन्द्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। औसत जीडीपी विकास दर 7.3 प्रतिशत वार्षिक है। 1991 में शुरू किए गए आर्थिक सुधारों के बाद किसी भी सरकार की यह सबसे उच्च विकास दर है। उन्होंने कहा कि 2013-14 में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में 11वें स्थान में थीं जो अब विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो गई है।
स्वतंत्रता के 75 वर्ष में प्रत्येक परिवार के पास होगा अपना घर
पीयूष गोयल ने कहा कि न्यू इंडिया, 2022 में स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर उत्सव मनाएगा, जब प्रत्येक परिवार के अपने घर का सपना साकार होगा। शौचालय के साथ विद्युत व जल आपूर्ति की सुविधा होगी, किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और देश आतंकवाद, सांप्रदायिकतावाद, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से मुक्त होगा।
अबतक करीब 10 से ज्यादा बार टैक्स स्लैब में बदलाव हुए हैं। तो आइए जानतें हैं कि देश में कब-कब और कैसे टैक्स स्लैब में बदलाव हुए--
1949-50: वित्त मंत्रीजॉन मथाई, एक चौथाई राहत
देश की आजादी के बाद पहली बार 1949-50 में टैक्स दर तय की गई थी। कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री जॉन मथाई थे। तब 10,000 तक की आमदनी पर एक आना टैक्स लगता था, जिसमें एक चौथाई कटौती की थी।
वहीं, 10000 रुपये से ज्यादा के दूसरे स्लैब पर 2 आना टैक्स लगता था, जिसे घटाकर 1.9 आना किया गया था।
1974-75: यशवंत राव चव्हाण, 6000 तक टैक्स फ्री
1974-75 में कांग्रेस सरकार में महाराष्ट्र के यशवंत राव चव्हाण वित्त मंत्री थे। उन्होंने 97.75 फीसद के टैक्स को घटाकर 75 फीसद कर दिया। उन्होंने 6000 रुपये तक की सालाना आमदनी को टैक्स स्लैब से बाहर किया था।
साथ ही 70000 रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई पर 70 फीसद का मार्जिनल टैक्स दर तय किया गया। इसके अलावा सभी श्रेणियों पर सरचार्ज एक समान 10 फीसद कर दिया गया।
1985-86: विश्वनाथ प्रताप सिंह, 18000 तक टैक्स फ्री
1985-86 में राजीव गांधी की सरकार में विश्वनाथ प्रताप सिंह वित्त मंत्री थे। उन्होंने तबतक चल रहे 8 इनकम टैक्स स्लैब्स को 4 भागों में कर दिया। 18000 रुपए तक सालाना आय को टैक्स फ्री कर दिया।
25000 रुपए तक की आमदनी पर 25 फीसदी और 50,000 रुपए की आमदनी पर 30 फीसदी टैक्स रखा गया। 1 लाख रुपए पर 40 फीसदी टैक्स और 1 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी पर 50 फीसदी टैक्स लगाया गया।
1992-93: मनमोहन सिंह, 30000 तक टैक्स फ्री
प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह तभी वित्त मंत्री थे। 30,000 तक की आय टैक्स के दायरे से बाहर रखी गई थी। टैक्स स्लैब को तीन हिस्सों में बांटा था। 30 हजार से 50 हजार रुपये तक की आय पर 20 फीसदी टैक्स लगाई गई।
50,000 से एक लाख तक की आय पर 30 फीसदी टैक्स लगाई गई, जबकि एक लाख से अधिक की सालाना आय पर 40 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया गया।
1994-95: मनमोहन सिंह, 5000 अधिक की राहत
एक बार फिर कांग्रेस की सरकार में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने बजट पेश किया था। टैक्स स्लैब में थोड़ा बहुत बदलाव किया गया। हालांकि टैक्स दरें सेम रही, पर सालाना आय की सीमा बढ़ाई गई। टैक्स स्लैब से बाहर का दायरा 30000 था, जिसे बढ़ाकर 35000 सालाना आय किया गया।
वहीं, पहले स्लैब में 35,000 से 60,000 तक की सालाना आय पर 20 फीसदी टैक्स लगाई गई। 60,000 से एक लाख 20 हजार तक की आय पर 30 फीसदी टैक्स, जबकि इससे अधिक की आय पर 40 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया गया।
1997-98: पी. चिदंबरम, टैक्स दरों में बड़ी राहत
कांग्रेस की सरकार में पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे। उन्होंने टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया और पहले की अपेक्षा टैक्स दरों में भी बड़ी राहत दी। तीन टैक्स स्लैबों के लिए पूर्व निर्धारित टैक्स दरों को 15 फीसदी, 30 फीसदी और 40 फीसदी से घटा कर 10 फीसदी, 20 फीसदी और 30 फीसदी कर दिया।
पहले स्लैब में 40,000 से 60,000 रुपए सालाना आमदनी वालों को रखा गया। दूसरे टैक्स स्लैब में 60,000 से डेढ़ लाख वालों को रखा और तीसरे स्लैब में डेढ़ लाख से ज्यादा आय वालों को रखा गया।
2005-06 : पी चिदंबरम, एक लाख तक आय टैक्स फ्री
यूपीए की सरकार में एक बार फिर से वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बजट पेश किया और फिर से टैक्स स्लैब में बदलाव किया। बड़ी बात यह रही कि टैक्स से छूट का दायरा बढ़ा कर एक लाख रुपए कर दिया। यानि कि सालाना एक लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं।
वहीं, टैक्स स्लैब में बदलाव करते हुए 1 लाख से 1.5 लाख रुपए सालाना आय पर 10 फीसदी टैक्स, डेढ़ से अधिक और 2.5 लाख तक की सालाना आमदनी पर 20 फीसदी टैक्स और ढाई लाख से ज्यादा सालाना आय पर 30 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया।
2010-11: प्रणव मुखर्जी, 1.6 लाख तक आय टैक्स फ्री
यूपीए का दूसरा शासनकाल था और पूर्व राष्ट्रपति रहे और भारत रत्न से सुशोभित प्रणव मुखर्जी तब वित्तमंत्री थे। उन्होंने भी बजट में बड़ी घोषणा थी। पहले जहां एक लाख तक सालाना आमदनी वाले टैक्स के दायरे से मुक्त थे, अब यह सीमा 60,000 और बढ़ा दी गई। यानि कि 1.60 लाख सालाना आमदनी पर कोई टैक्स नहीं।
टैक्स स्लैब में भी बड़ा बदलाव हुआ। 1.6 लाख से 5 लाख तक की आमदनी पर 10 फीसदी टैक्स, 5 लाख से 8 लाख तक की सालाना आमदनी पर 20 फीसदी टैक्स और इससे अधिक की आमदनी पर 30 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया गया।
2012-13: प्रणव मुखर्जी, 2 लाख आमदनी टैक्स फ्री
एक बार फिर प्रणब मुखर्जी ने बजट पेश किया और मिडिल क्लास को राहत दी। जीरो टैक्स के दायरे को बढ़ा कर 2 लाख रुपए कर दिया गया। यानि कि 2 लाख रुपए तक की सालाना आमदनी वालों को कोई टैक्स नहीं। टैक्स स्लैब में भी थोड़ा बदलाव किया। 2 लाख से 5 लाख रुपए सालाना आय पर 10 फीसदी, 5—10 लाख की सालाना आय पर 20 फीसदी और इससे अधिक आय पर 30 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया गया।
2014-15: अरुण जेटली, 2.5 लाख तक आय टैक्स फ्री
एनडीए की मोदी सरकार का पहला बजट था और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया। उन्होंने टैक्स फ्री स्लैब का दायरा बढ़ा कर 2.5 लाख कर दिया। यानि कि 2.5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं।
वहीं, वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह दायरा 3 लाख, जबकि अति वरिष्ठ नागरिक के लिए यह सीमा 5 लाख रखी गई। इसी साल फाइनेंस बिल 2015 पास हुआ।
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