उत्तरकाशी
चिरंजीव सेमवाल
गंगा-यमुना की पहाड़ियों ने बर्फ की सफेद चादर ओढ ली, जिससे नजारा दिलकश हो गया हैं।
उत्तरकाशी की पहाड़ियां बर्फ से लकदक हो गई। निचली घाटी में लंबे इंतजार के बाद हुई खासी बारिश से किसानों के चेहरों मे रौनक लौट आयी है। खेती के लिए यह बर्फवारी व बारिश महफूज साबित हुई है। बीती शाम से अभी भी मौसम बर्फवारी व बारिश को लेकर मेहरबान है। चारों धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ व केदारनाथ बर्फ की आगोश में हैं। मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार आज पूरे दिन मौसम इसी तरह मेहरबान रहेगा।
उत्तरकाशी जिले के सम्पूर्ण भूभाग मे ऊँचाई वाले हिस्सो म बर्फवारी हुई है जबकि घाटी के इलाके मे बारिश से जान जीवन पर भी असर पड़ा है। तापमान मे भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। ज़िले की गंगा घाटी की बात करें तो गंगोत्री से लेकर भटवाड़ी तक बर्फ गिरी है।
यमुनोत्री के निचली घाटी के गांव भी बर्फ की चादर ओढ़ चुके है। पुख्ता जानकारी के अनुसार जिले के डेढ सौ से अधिक गांव बर्फ से ढके है। दयारा,हर्षिल,चौरंगीखाल,कुश कल्याण,सुकीटोप,राड़ी, हरकीदून,डोडीताल, सरनॉल,सेरबड़ियार,फते पर्वत समेत कई अन्य स्थान बर्फ से लकदक हुए है। इधर जिला मुख्यालय उत्तरकाशी के नजदीकी पहाड़ियो मे भी बर्फवारी हुई है।
उधर मौसम में आये एकाएक बदलाव औऱ उसके बाद हुई बारिश व बर्फवारी को जहाँ कृषि,उद्यान ,बागवान के लिऐ उपयोगी माना जा रहा है वहीं स्वास्थ्य के लिये भी लाभदायक बताया जा रहा है। सहायक उद्यान अधिकारी एन, के,सिंह ने बताया कि इस बर्फवारी औऱ बारिश का लाभ सेब,गेहूं व अन्य फसलों के लिए लाभदायक होगा तो वहीं सीनियर डॉ के, पी,जोशी ने बताया कि बगैर बारिश के जो वातावरण प्रभावित हुआ था और खासकर कई बीमारियों को आमंत्रण दे रहा था उसमें इस बारिश और बर्फवारी से ब्रेक लग जायेगा।
उत्तरकाशी शहर में लंबे समय यानि 10 वर्षों बाद हिमपात हुआ ,जिससे देखने लोग अपने घरों से बाहार निकले। मौसके भारी हिमपात के बाद जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान ने जिला आपदा प्राधिकरण कक्ष में इंसिडेंट रिस्पोंस सिस्टम की आपात बैठक बुलाई।
मौसम विभाग की भविष्यवाणी आखिर सही साबित हुई। पहाड़ों दो दिनों से उच्च हिमालय क्षेत्रों मैं जमकर बर्फबारी हो रही , निचले क्षेत्रों में झमाझम बारिश शुरू हो गई । खराब मौसम से जिले गंगोत्री- यमुनोत्री राजमार्ग सहित दर्जन भर सड़के बंद हो गई तो यमुनाघाटी की चार दर्जन गांव की विद्युत आपूर्ती ठप हो गई । बर्फबारी व भारी बारिश से तापमान में भी भारी गिरावट दर्ज कि गई है।
बता दे कि बीते तीन दिनों से आसमान में काले बादल छाये थे । सोमवार को देर सांय से पहाडों में बर्फबारी व बारिश शुरू हो गई। भारी बर्फबारी से यमुनोत्री,गंगोत्री राजमार्ग, राडी टॉप ,चौरंगी सुपाखोली सहित मोरी के कई सडके बंद होई है । खराब मौसम से जिले का जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त रहा है।इधर डीएम डा. आशीष चौहान ने ने आपदा कन्ट्ररोल रूम में जिले के साभी एसडीएम से रिपोर्ट तलब कर एनएच बडकोटय बीआराओं , सहित लोनिवि को सड़के खोलने के निर्देश दिये है।
पहाडों में बार्फबारी भैरवघाटी ,हर्षिल,धराली, भटवाड़ी,रैथल,चौरंगी, अस्सीगंगाघाटी, यमुनोत्री के खरसाली, मोरी जखोल,लिवाडी,फीताडी,ओसला, सहित तीन दर्जन गांव में एक फीट तक र्फबारी हुई जिससे गा्रमीण बर्फ मैं कैद हो गये । सीजन की तीसरे बर्फबारी से किसानों और बाग्वानों के चेहरे पर रौनक लौट आई है। खाशकर सेब के फसलों के लिये के लिए बंफर बर्फबारी आच्छा माना जाता है। पहाड़ों में सीजन की दूसरी बडी बारिश होना खेती के लिहाज व पर्यावरणीय दृष्टि से अच्छा माना जा रहा हैं ।
चिरंजीव सेमवाल
गंगा-यमुना की पहाड़ियों ने बर्फ की सफेद चादर ओढ ली, जिससे नजारा दिलकश हो गया हैं।
उत्तरकाशी की पहाड़ियां बर्फ से लकदक हो गई। निचली घाटी में लंबे इंतजार के बाद हुई खासी बारिश से किसानों के चेहरों मे रौनक लौट आयी है। खेती के लिए यह बर्फवारी व बारिश महफूज साबित हुई है। बीती शाम से अभी भी मौसम बर्फवारी व बारिश को लेकर मेहरबान है। चारों धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ व केदारनाथ बर्फ की आगोश में हैं। मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार आज पूरे दिन मौसम इसी तरह मेहरबान रहेगा।
उत्तरकाशी जिले के सम्पूर्ण भूभाग मे ऊँचाई वाले हिस्सो म बर्फवारी हुई है जबकि घाटी के इलाके मे बारिश से जान जीवन पर भी असर पड़ा है। तापमान मे भी भारी गिरावट दर्ज की गई है। ज़िले की गंगा घाटी की बात करें तो गंगोत्री से लेकर भटवाड़ी तक बर्फ गिरी है।
यमुनोत्री के निचली घाटी के गांव भी बर्फ की चादर ओढ़ चुके है। पुख्ता जानकारी के अनुसार जिले के डेढ सौ से अधिक गांव बर्फ से ढके है। दयारा,हर्षिल,चौरंगीखाल,कुश कल्याण,सुकीटोप,राड़ी, हरकीदून,डोडीताल, सरनॉल,सेरबड़ियार,फते पर्वत समेत कई अन्य स्थान बर्फ से लकदक हुए है। इधर जिला मुख्यालय उत्तरकाशी के नजदीकी पहाड़ियो मे भी बर्फवारी हुई है।
उधर मौसम में आये एकाएक बदलाव औऱ उसके बाद हुई बारिश व बर्फवारी को जहाँ कृषि,उद्यान ,बागवान के लिऐ उपयोगी माना जा रहा है वहीं स्वास्थ्य के लिये भी लाभदायक बताया जा रहा है। सहायक उद्यान अधिकारी एन, के,सिंह ने बताया कि इस बर्फवारी औऱ बारिश का लाभ सेब,गेहूं व अन्य फसलों के लिए लाभदायक होगा तो वहीं सीनियर डॉ के, पी,जोशी ने बताया कि बगैर बारिश के जो वातावरण प्रभावित हुआ था और खासकर कई बीमारियों को आमंत्रण दे रहा था उसमें इस बारिश और बर्फवारी से ब्रेक लग जायेगा।
उत्तरकाशी शहर में लंबे समय यानि 10 वर्षों बाद हिमपात हुआ ,जिससे देखने लोग अपने घरों से बाहार निकले। मौसके भारी हिमपात के बाद जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान ने जिला आपदा प्राधिकरण कक्ष में इंसिडेंट रिस्पोंस सिस्टम की आपात बैठक बुलाई।
- पहाडों मैं दो दिनों से जमकर हो रही बारिश व बर्फबारी।
- बर्फबारी से गंगोत्री -यमुनोत्री सहित दर्जन भर सड़के बंद
- जिले में बर्फबारी , पूरा जनजीवन राह अस्त-व्यस्त।
मौसम विभाग की भविष्यवाणी आखिर सही साबित हुई। पहाड़ों दो दिनों से उच्च हिमालय क्षेत्रों मैं जमकर बर्फबारी हो रही , निचले क्षेत्रों में झमाझम बारिश शुरू हो गई । खराब मौसम से जिले गंगोत्री- यमुनोत्री राजमार्ग सहित दर्जन भर सड़के बंद हो गई तो यमुनाघाटी की चार दर्जन गांव की विद्युत आपूर्ती ठप हो गई । बर्फबारी व भारी बारिश से तापमान में भी भारी गिरावट दर्ज कि गई है।
बता दे कि बीते तीन दिनों से आसमान में काले बादल छाये थे । सोमवार को देर सांय से पहाडों में बर्फबारी व बारिश शुरू हो गई। भारी बर्फबारी से यमुनोत्री,गंगोत्री राजमार्ग, राडी टॉप ,चौरंगी सुपाखोली सहित मोरी के कई सडके बंद होई है । खराब मौसम से जिले का जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त रहा है।इधर डीएम डा. आशीष चौहान ने ने आपदा कन्ट्ररोल रूम में जिले के साभी एसडीएम से रिपोर्ट तलब कर एनएच बडकोटय बीआराओं , सहित लोनिवि को सड़के खोलने के निर्देश दिये है।
पहाडों में बार्फबारी भैरवघाटी ,हर्षिल,धराली, भटवाड़ी,रैथल,चौरंगी, अस्सीगंगाघाटी, यमुनोत्री के खरसाली, मोरी जखोल,लिवाडी,फीताडी,ओसला, सहित तीन दर्जन गांव में एक फीट तक र्फबारी हुई जिससे गा्रमीण बर्फ मैं कैद हो गये । सीजन की तीसरे बर्फबारी से किसानों और बाग्वानों के चेहरे पर रौनक लौट आई है। खाशकर सेब के फसलों के लिये के लिए बंफर बर्फबारी आच्छा माना जाता है। पहाड़ों में सीजन की दूसरी बडी बारिश होना खेती के लिहाज व पर्यावरणीय दृष्टि से अच्छा माना जा रहा हैं ।
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