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उपशिक्षाधिकारी श्रीमती रीना राठौर ने प्रशिक्षण के उदघाटन अवसर पर प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी चीज को सीखने के लिए व्यक्ति के मन में लगन शीलता होनी चाहिए। जब तक लगन शीलता नहीं रहेगी, कोई भी ज्ञान व्यक्ति मन में नहीं ऊतार सकता।
उन्होने कहा कि इस वर्ष का प्रशिक्षण एनसीईआरटी की पुस्तकों का अभिमुखीकरण व कैप्सूल पर आधारित है। शिक्षकों को प्रशिक्षण का भरपूर लाभ उठाकर उसे व्यवहार में लाना चाहिये।
इस बार के माड्यूल में एनसीईआरटी पुस्तकों के बारे में जानकारी हासिल कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को छात्र-छात्राओं के मध्य सीखने-सीखाने को उत्सव के रूप में मनाना है। डायट के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ0 पीतम सिंह व कविता चौधरी ने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता तभी प्राप्त हो सकती है, जब शिक्षा से जुड़े हुए सभी घटक शिक्षक, अभिभावक, छात्र, शिक्षाधिकारी सभी समग्रता से कार्य करें। उन्होने कहा कि वर्तमान में शिक्षा को उसके उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु शिक्षकों की निर्माण व संघर्ष की प्रक्रिया को साथ जारी रखना है। बीआरपी समन्वयक चंद्रशेखर बिष्टानिया व मनोज बहुगुणा ने प्रशिक्षण के उद्देश्यों, क्षेत्र व प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी।उन्होने बताया कि आगामी दिनो में एनसीईआरटी पुस्तकों की प्रकृति व अवधारणा, सीखने के प्रतिफल की जानकारी, पाठ्य पुस्तकों के साथ सीखने के प्रतिफलों का प्रतिचित्रण, एनएएस की न्यून संप्राप्ति वाले सीखने के प्रतिफलों की पहचान कर प्रभारी शिक्षण योजना तैयार करने के बारे में बताया जाऐगा।
आज प्राथमिक स्तर के 120व जूनियर स्तर के 37प्रतिभागियों ने शिरकत की।इस अवसर पर संजय वत्स, अनुभव गुप्ता, रूपेश आनंद, अमित कुमार, रोहिताश सानी, सुरेन्द्र रावत, प्रदीप मिश्री, किरण राय, पूनम अग्रवाल, संजय सामंत, रेखा यादव, उमा वर्मा, संदीप कुमार, इनाम, शेर अली, सुमन, रश्मि, संतोष चौहान, सरस्वती पुंडीर, नम्रता कुकरेती, सादिक, आदेश, अंजू भंडारी, सुरेखा मिश्रा आदि प्रतिभागी संदर्भदाता मौजूद रहे।
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