देहरादून:
इस अवसर पर पदम विभूषण डा0
मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि समाज में परिवर्तन रचनात्मक व हितकारी होना
चाहिए।उन्होंने कहा कि हमे शांति और सद्भावना मिल रही है या नही सोचने का विषय है।प्रत्येक स्थान पर स्थानांतरण हो रहा है। चाहे वह साहित्य हो, विज्ञान हो और भावनाएं भी इससे अछूती नही है।संवाद की परिभाषा बदल गयी है।इसका कारण कहीं न कहीं ग्लोबलाइजेशन है। जहाँ सब कुछ बदलता रहता है। देश से विदेश में जा बसे बच्चे की भावनायों और उसके अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर न मिलने को उन्होंने बदलाव से जोड़ते हुए कहा कि मूल्य बदल गए है।ट्रांजीशन से पहले ट्रांसफर हो रहा है। हमे ऐसे ट्रांजीशन की जरूरत है।जो भौतिकवाद को अध्यात्म की तरफ ले जाये, तभी ट्रांसफॉर्मेशन निर्माणकारी होगा।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि विज्ञान और अध्यात्म के सामंजस्य के द्वारा हमे अपनी नई पीढ़ी को दिशा देनी है कि उन्हें किस और जाना है। ग्लोबल हैप्पीनेस में हम पिछड़े हुए है ,अतः पुरातन संस्कृति, सभ्यता को देखने की आवश्यकता है।उन्होंने अध्यात्म की भूमि उत्तराखण्ड में आनेवाले महापुरुषों स्वामी विवेकानंद , महात्मा गांधी जी का भी जिक्र किया है।
हमें मानव व पर्यावरण की आपसी निर्भरता को भी समझने की जरूरत है व
पर्यावरण संरक्षण को गम्भीरता से लेना होगा। मात्र जीडीपी वृद्धि पर ध्यान
नही देना होगा बल्कि सर्वागीण मानवीय विकास पर बल देना होगा। उन्होंने कहा
कि मात्र तकनीकी के अन्धानुकरण को रोकना होगा।
आज हमें भारतीय संस्कृति के सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की अवधारणा को फिर से अपनाने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने
शुक्रवार को जौलीग्राण्ट स्थित स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय में प्रणव
मुखर्जी फाउण्डेशन द्वारा आयोजित ‘‘शान्ति, सामंजस्य और प्रसन्नता के लिए
परिवर्तनकाल से परिवर्तन’’ विषय पर आयोजित द्धि-दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन
के उद्घाटन सत्र में प्रतिभाग किया।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि विज्ञान और अध्यात्म के सामंजस्य के द्वारा हमे अपनी नई पीढ़ी को दिशा देनी है कि उन्हें किस और जाना है। ग्लोबल हैप्पीनेस में हम पिछड़े हुए है ,अतः पुरातन संस्कृति, सभ्यता को देखने की आवश्यकता है।उन्होंने अध्यात्म की भूमि उत्तराखण्ड में आनेवाले महापुरुषों स्वामी विवेकानंद , महात्मा गांधी जी का भी जिक्र किया है।
आज हमें भारतीय संस्कृति के सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की अवधारणा को फिर से अपनाने की जरूरत है।
इस
अवसर पर श्री विजय धस्माना , कर्नल बक्शी, मेयर ऋषिकेश श्रीमती अनिता
मंमगाई, विभिन्न विश्वविद्यलायों के कुलपति व छात्र-छात्राएं भी उपस्थित
थे।
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