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  • कुरूक्षेत्र की पावन धरती पर गीता जयंती उत्सव
  • परमार्थ निकेतन में धूमधाम से मनाई गीता जयंती
  • जीवन का शास्त्र है गीता
  • गीता को पढ़े गीता को जियें

  • पढ़ों गीता जियो गीता ,यही है आज का संदेश-स्वामी चिदानन्द सरस्वती


ऋषिकेश;

कुरुक्षेत्र का युद्ध का मैदान आज यूद्ध का मैदान, शुद्धि, बुद्धि और सिद्धि का मैदान बन गया ।वहां पर भारत की विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज जी, स्वामी ज्ञानानन्द जी महाराज, स्वामी रामदेव  महाराज, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी
महाराज, स्वामी सुधांशु जी महाराज, आर एस एस प्रवक्ता श्री इंदे्रश कुमार जी और अन्य गणमान्य अतिथि एवं पूज्य संतों ने सहभाग किया।

अद्भुत वातावरण था यहां पर 18,000 विद्यार्थियों ने मिलकर भगवत गीता का पाठ किया, 18 अध्याय में से चुने हुये 18 श्लोको का पाठ एक स्वर में एक साथ किया। 18,000 विद्यार्थी, 18 अध्याय, 18 श्लोक और 18 तारीख यह अद्भुत संयोग था। यह पूर्णता का संयोग पूरे विश्व में पूर्णता लाये तथा सभी का जीवन बुद्ध, शुद्ध और सिद्ध बने इस भाव से आने वाले नये वर्ष की शुरूआत का संदेश पूज्य संतों ने दिया। यह दिव्य गीता जयंती का उत्सव स्वामी ज्ञानानन्द जी महाराज के दिव्य संरक्षण में हरियाणा सरकार के सहयोग से सम्पन हुआ।


परमार्थ निकेतन में जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी के सान्निध्य में गीता जयंती उत्सव मनाया गया जिसमें परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों, पूज्य संतों, आचार्यो एवं अमेरिका, जर्मनी, यूके, पेरू, चिली इक्वाडोर, कोलंबिया, अर्जेंटीना तथा विश्व के अनेक देशों से आये विदेशी सैलानियों ने सहभाग किया। ऋषिकुमारों एवं आचार्यो ने इस अवसर पर गीता के श्लोक एवं वेदमंत्रों का पाठ किया।


 स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कुरूक्षेत्र की पावन धरती से संदेश दिया कि ’’ जब व्यक्ति ने मेरे लिये किया तो महाभारत पैदा होती है और मेरे द्वारा समाज के लिये; सब के लिये किया तब जीवन में गीता पैदा होती है। अर्थात व्यक्ति अपने लिये नहीं बल्कि अपनों के लिये जीयंे; स्वार्थ से उपर उठ कर जीयें ’’स्वार्थ से उपर उठकर परमार्थ की यात्रा है भगवत गीता; अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाने की यात्रा है भगवत गीता, मृत्यु से अमरत्व की ओर ले जाने की यात्रा है भगवत गीता, स्वयं से वयं की यात्रा है भगवत गीता, समता और समरसता की यात्रा है भगवत गीता। गीता, भय को भगाती है और भाव को जगाती है, कायरता को मिटाती है और शूरता का निर्माण करती है और व्यक्ति के जीवन को सरल, सजग और सरस बनाती है।’’ भगवत गीता हमें विशाद से प्रसाद की ओर ले जाती है, पीड़ा को जो प्रेरणा बना दे उसका नाम है भगवत गीता, जीवन की सारी पीड़ा का अंत और प्रेरणा की शुरूआत तथा जीवन में परिवर्तन लाने वाला महान ग्रन्थ है भगवत गीता। महात्मा गांधी से लेकर महात्मा नरेन्द्र तक की यात्रा में जिसने पूरा सहयोग किया वह है भगवत गीता। भारतीय इतिहास के अनेकों शहिदों ने गले में फासी का फंदा पहनते हुये भगवत गीता को अपने हाथ में लेकर हंसते-हंसते देश के लिये बलिदान किया।

 श्रीमद् भगवत गीता युग प्रवर्तक ग्रन्थ है। गीता, वास्तव में जीवन का शास्त्र है आज से लगभग 5 हजार वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिये थे वही उपदेश महाग्रंथ श्रीमद् भगवत गीता के रूप में हम सभी का मार्गदर्शन कर रहा है और आगे भी करता रहेगा। गीता का दर्शन और मार्गदर्शन पौराणिक, वर्तमान और भविष्य सभी काल में प्रासंगिक था और आगे भी रहेगा। स्वामी जी ने कहा कि गीता को पढ़े गीता को जीये, पढ़ों गीता जीयों गीता यही है आज का संदेश।


 गीता हमें पूजा पद्धति नहीं बल्कि जीवन पद्धति का ज्ञान कराती है। गीता का दर्शन हमें कर्म प्रधान जीवन जीने का संदेश देता है; गीता हमारे अंतस के प्रकाश को प्रकाशित करने वाला महान ग्रंथ है। भगवान कहते है समोऽम सर्व भूतेषु मैं सब में समान रूप से विराजमान हूँ तो हम क्यों भेदभाव करते है आईये हम संकल्प ले कि मानव-मानव एक समान सब के भीतर है भगवान अर्थात सब में ईश्वर है। आत्मवत् सर्व भूतेषु, अपनी तरह ही दूसरों को भी मानो जब यह भाव आ जायेगा तो हम न तो किसी को दुःख देंगे और न परेशान करेंगे न किसी का बुरा सोचेगे न किसी की बुराई करेगे अतः इन मंत्रों को अपने जीवन में लाये। उन्होने कहा कि गीता के श्लोक है ’’सर्व भूत हिते रताः’’यही परमार्थ निकेतन, दैवी सम्पद् मण्डल का मंत्र है यही हमारे महापुरूषों ने हमें सिखाया है। हिन्दू धर्म का यह सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ पूरे विश्व के लिये है, सार्वभौमिक, सार्वलौकिक है।

इस ग्रंथ का सम्मान विश्व के विचारवान और बुद्धिमान विचारकों ने किया है। इस महान ग्रंथ को जिसने भी पढ़ा चाहे वह अल्र्बट आइन्स्टाइन, अल्र्बट श्वाइत्जर, अल्ड्स हक्सले, हेनरी डी थोरो, थाॅमस मर्टन, हर्मन हेस, रौल्फ वाल्डो इमर्सन या अन्य विचारकों ने अपने जीवन में गीता का प्रभाव देखा और उसे अपना बना लिया।
 साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि गीता, मनुष्य को श्रेष्ठ जीवन जीना सिखाती है और जीवन को शंकाओं से मुक्त कर शान्ति का मार्ग दिखाती है। मुक्ति, भक्ति, कर्म और शान्ति का संदेश देने वाला महान ग्रन्थ हैं, गीता। उन्होने कहा कि गीता का उद्भव अर्जुन के अशांत मन को शान्त करने के लिये हुआ था आज के मनुष्यों की स्थिति भी ऐसी ही है। आज दुनिया के लोगों के  पास सब कुछ है आवश्यकता है तो शान्ति की; संतुष्टि की। जीवन में शान्ति का समावेश होते ही भक्ति, मुक्ति और संतुष्टि अपने आप आ जायेगी गीता के उपदेश शान्ति का परम स्रोत है।


 स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने सभी को संकल्प कराते हुये कहा कि कुरूक्षेत्र का युद्ध भी सत्य और असत्य के बीच; अच्छाई और बुराई के मध्य लड़ा गया युद्ध था। आज मनुष्य के विचारों में, मन में कुरूक्षेत्र के युद्ध जैसी स्थिति देखी जा सकती है उसी पर विजय पाने का श्रेष्ठ माध्यम है ’गीता’ आईये संकल्प करे सत्य, शान्त और श्रेष्ठ विश्व के निर्माण का सभी श्रद्धालुओं ने हाथ उठाकर संकल्प लिया।


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