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हरिद्वार;

मातृ सदन के आत्मबोधानंद, जो कि पिछले 40 दिनों से अधिक समय से उपवास पर थे,  उन्हें शासन  द्वारा 38वे दिन एम्स ऋषिकेश भर्ती कराया गया। जहां जांच के उपरांत उनके सभी मेडिकल टेस्ट सही पाए गए। एम्स ऋषिकेश ने माना की प्लेटलेट्स की संख्या उचित नही होने की दशा में महे जिस दवा की आवश्यकता थी वो लेने से उन्होंने इनकार किया। वहीं आत्मबोधानंद  स्वयं को स्वस्थ बता रहे थे।
इसी कशमकश में, वे एम्स से  छुपते छुपाते मातृ सदन जा पंहुचे।मगर अस्पताल  इसकी भनक नही लगी और उनके होश उड़ गए।

कल प्रशासन से उपजिलाधिकारी हरिद्वार मातृ सदन पंहुचे और आश्रम का सब क्रिया कलाप बन्द कर दिया ,ऐसा वहां के संतों का कहना है। उन्होंने आश्रम में भोजन भी बनाने और करने नही दिया, सब सामान सीज़ कर दिया। यहां तक कि घंटो तक आश्रम में देर डाले बैठे रहे।
परेशान होकर आश्रम के संतों ने  मीडिया से गुहार लगाई और बताया कि डॉक्टर ने जाँच कर लिया, सब नार्मल है,  फिर भी सैंपल लेकर गए हैं ।जाँच करने के लिए, कम से कम एक घंटा का समय लगेगा, लेकिन मनीष कुमार, स्वप्नन किशोर आदि आश्रम में डेरा जमा दिए है और भोजन भी नही करने दे रहे है।
सवाल तो ये उठता है कि गंगा के मुद्दे पर केंद्र सरकार गंभीर है, राज्य सरकार गंभीर है, पर्यावरणविद चिंतित है, समाजसेवी दुःखी है तो अगर कुछ संत उसके लिए उपवास रखना चाहते है तो आपत्ति क्यों होती है?  यदि उन्हें अस्पताल में जबरन डालकर ,गंगा का उद्धार हो जाये तो ये बात गले उतर सकती है, वरन तो यह  यक्ष प्रश्न  बनकर रह जाएगा ।

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