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रुद्रप्रयाग:
भूपेंद्र भण्डारी

नगर में एक बडे खौफनाक  हादसे को लेकर कई बार भविष्यवाणी हो चुकी है मगर प्रशासन है कि अभी भी इसे नजरंदाज किये हुए है। भारत-चीन युद्व से पहले का निर्मित अलकनन्दा नदी पर बना पुल अब अंतिम सांसे गिन रहा है इंजीनियर इसे आवागमन के लिए खतरा बता चुके हैं ,तो भी पुल को आवाजाही के लिए बडा खतरा बता रहे हैं, फिर भी  पुल का अभी तक विकल्प तैयार नहीं हो पाया है जिससे साफ कहा जा सकता है कि प्रशासन बैठकर एक बडे हादसे का इंतजार कर रहा है।
प्रसिद् ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ को जोडने के साथ ही हजारों गांवों को जोडने वाला रुद्रप्रयाग बाजार स्थित बेलणी पुल कब भरभरा कर गिर जाय यह तो कहा नहीं जा सकता है मगर भविष्यवाणी जरुर की जा सकती है कि आने वाले दिनों में यह पुल मौत का पुल साबित होगा।

पुल के निर्माण को लेकर किसी भी तरह के अभिलेख विभागों के पास भी मौजूद नहीं हैं मगर कहा जाता है कि करीब 1965 से पूर्व इस पुल का निर्माण हुआ था। तब इस पुल की भार क्षमता क्या रही होगी, इसका अंदाजा आज स्वयं लगाया जा सकता है। मगर जिस तरह से दिन प्रति दिन वाहनों का दबाव बडता जा रहा है उसके बावजूद भी पुल अभी तक टिका हुआ है तो इसे उस समय की इंजीनियरिंग की बडी मिशाल ही कहा जा सकता है। इस पुल से होकर प्रतिदिन सैकडों वाहन व राहगीर गुजरते हैं और यात्रा काल में तो यह संख्या हजारों से उपर हो जाती है ऐसे में प्रशासन के सामने पुल पर आवाजाही करवाना बडी चुनौती है।

 पुल पहले तो लोक निमार्ण विभाग के अधीन रहा फिर पुल को बीआरओ के अधीन रखा गया और वर्तमान में पुल राष्ट्ीय राजमार्ग विभाग के पास है। लम्बे समय से स्थानीय लोग पुल के सुधारीकरण व नये पुल की मांग करते आये हैं और इंजीनियर भी कह चुके हैं कि पुल की समय सीमा पूरी हो चुकी है। वहीं जिलाधिकारी भी मान रहे हैं कि पुल पर चलना घातक है और एक्सर्पटों के अनुसार पुल का सुधारीकरण कार्य भी नहीं किया जा सकता है।

 अब जिलाधिकारी भले ही कह रहे हैं कि राजमार्ग विभाग द्वारा करीब 100 करोड रुपये का स्टीमेट केन्द्र सरकार को भेजा गया है और धन स्वीकृति के बाद ही पुल का निर्माण हो पायेगा। तो बडा सवाल यही है कि कई वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक पुल के नव निर्माण के लिए धनराशि स्वीकृत नहीं हो पाई है तो धनराशि तब मिलेगी, जब सरकार को को इस पुल पर कोई बड़ा हादसा होगा।

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