रूडकी;
विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के 22वें वार्षिक अधिवेशन में साहित्यसेवियों ,शिक्षाविदो को सम्मानित किया गया। हिंदी सेवियों को विद्यावाचस्पति और विद्यासागर उपाधि अलंकरण के साथ साथ अन्य सारस्वत सम्मान भी प्रदान किये गए।
रूडकी निवासी राजकीय प्राथमिक विद्यालय बेडपुर के शिक्षक संजय वत्स, राजकीय प्राथमिक विद्यालय भौरी के प्रधानाध्यापक ललित कुमार गुप्ता, राजकीय प्राथमिक विद्यालय बोडाहेडी(बहादराबाद)को विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि प्रदान की गई! उज्जैन में आयोजित हुए इस अधिवेशन में कुलाधिपति डॉ. सुमन भाई, कुलसचिव डॉ. देवेंद्र नाथ शाह, कुलानुशासक डॉ. चंद्रशेखर शास्त्री विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ. शैलेंद्र शर्मा, जनसंपर्क अधिकारी महेंद्र मयंक आदि उपस्थित रहे!कुलाधिपति डॉ. सुमन भाई ने विश्व स्तर पर अस्तित्व की लड़ाई लड़ती हिंदी की अस्मिता पर चर्चा की!उन्होने पीठ के माध्यम से हिंदी क्षेत्र के साथ-साथ अहिन्दीभाषी क्षेत्रों में हो रहे हिंदी कार्यों पर संतोष जताया।
विश्वविख्यात धार्मिक नगरी उज्जैन की पावन शिप्रा नदी के तट पर दशाश्वमेध घाट (गंगाघाट) स्थित मौनतीर्थ आश्रम के चित्रकूट धाम में 13-14 दिसम्बर, 2018 को विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ द्वारा आयोजित "22वें वार्षिक अधिवेशन एवं सारस्वत सम्मान समारोह" में तीनो शिक्षको को विद्या वाचस्पति (समतुल्य पी0एच0डी0) मानद उपाधि से
सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ के अधिष्ठाता एवं वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय डॉ० योगेन्द्र नाथ शर्मा 'अरुण' ,कुलसचिव डॉ0देवेन्द्र नाथ शाह, कुलपति डॉ0 तेजनारायण कुशवाहा देशभर से पधारे तमाम कवियों एवं साहित्यकारों के अलावा हिंदी सेवी इस अवसर के साक्षी एवं सहभागी बने।
-क्या है विद्या वाचस्पति उपाधि
विद्या वाचस्पति की उपाधि डॉक्टरेट के समकक्ष मानी जाती है। यह उपाधि साहित्य के क्षेत्र में बेहतर और उल्लेखनीय कार्यों के लिए दी जाती है। देश में भागलपुर स्थित विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ एकमात्र ऐसी संस्था है जो विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि प्रदान करती है। उपाधि मिलने के बाद संबंधित साहित्यकार या कवि अपने नाम के आगे डॉ. लिखने का पात्र हो जाता है। ठीक उसी प्रकार जैसे पीएचडी उपाधि के बाद व्यक्ति डॉ. लिखता है।
एक टिप्पणी भेजें